Chhath Puja 2025: सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित छठ पर्व आने ही वाला है. इस बार यह त्योहार 25 अक्टूबर से शुरू होकर मंगलवार 28 अक्टूबर को खत्म होगा. यह त्योहार बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में खासतौर से मनाया जाता है. छठी मैया की पूजा में बनने वाला प्रसाद बेहद खास माना जाता है. इसमें पांच तरह के फल भी होते हैं. इन फलों का बहुत ज्यादा महत्व है. मान्यता है कि इन 5 किस्म के फलों से छठी मैया बेहद प्रसन्न होती हैं. तो चलिए जानते हैं यह पांच फल कौन से हैं, और छठ पूजा में इनका क्या महत्व है.
केला
मान्यता है कि छठी मैया को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए केला चढ़ाना एक प्रभावी उपाय है. केला भगवान विष्णु को भी अत्यंत प्रिय है. यही कारण है कि इसे छठ पूजा के प्रसाद में विशेष रूप से शामिल किया जाता है. इसलिए छठ में प्रसाद के तौर पर केला चढ़ाने से एक साथ छठी मैया, सूर्य देव और भगवान विष्णु तीनों का आशीर्वाद एक साथ प्राप्त होता है. बता दें कि केला को "सदा शुभ” फल भी कहा गया है. इसलिए छठ पूजा में केला चढ़ाने से घर-परिवार में धन और समृद्धि आती है, और जीवन की सभी बाधाएं और परेशानियां दूर हो जाती हैं.
डाभ नींबू
छठ पूजा में डाभ नींबू चढ़ाने का विशेष धार्मिक महत्व है. यह फल न केवल पूजा का अभिन्न हिस्सा है, बल्कि शुद्धता, समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक भी माना जाता है. मान्यता है कि छठी मैया इस फल का भोग पाकर अत्यंत प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं.
डाभ नींबू का स्वरूप और गुण इसे अन्य फलों से अलग बनाते हैं. इसका मोटा और कठोर छिलका इसे अशुद्धियों से सुरक्षित रखता है. यही कारण है कि इसे एक पवित्र और शुद्ध फल माना गया है, जिसे देवताओं को अर्पित करने योग्य माना गया है.
नारियल
छठ पूजा में नारियल चढ़ाने का भी विशेष महत्व है. यह फल न केवल एक पवित्र प्रसाद के रूप में जाना जाता है, बल्कि इसे मां लक्ष्मी का स्वरूप भी माना गया है. नारियल को शुद्धता, समर्पण और समृद्धि का प्रतीक समझा जाता है. मान्यता है कि इस फल को छठी मैया को अर्पित करने से माता सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.
सिंघाड़ा
छठ पूजा में सिंघाड़ा (पानी फल) चढ़ाने की परंपरा अत्यंत प्राचीन और पवित्र मानी जाती है. यह जल में फलने वाला फल है और इसलिए इसे पवित्रता, जीवन और प्रकृति के संतुलन का प्रतीक माना गया है. मान्यता है कि इसका ठंडा और शुद्ध स्वरूप छठी मैया की निर्मलता और मातृत्व का प्रतीक है. इसे छठी मैया को अर्पित करने से जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और संतुलन का आशीर्वाद मिलता है.
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