अवैध धर्मांतरण के मामलों में गिरफ्तार जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा का एक और खेल सामने आया है. इस बार मामला सीधे करोड़ों की प्रॉपर्टी से जुड़ा है, जिसे बाबा ने पुणे के लोनावला में खरीदा और उसे अपने खास गुर्गों के साथ-साथ बलरामपुर सीजेएम कोर्ट में तैनात क्लर्क राजेश उपाध्याय की पत्नी संगीता देवी के नाम कर दिया.एसटीएफ और एटीएस की जांच में यह नया खुलासा हुआ है.
राजस्थान, लखनऊ, बलरामपुर और पुणे तक फैले इस कथित धर्मांतरण नेटवर्क का मास्टरमाइंड जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा पिछले कई सालों से एक संगठित सिंडिकेट चला रहा था.उसने खुद को बलरामपुर के उतरौला कस्बे में एक 'पीर बाबा' के रूप में प्रचारित किया और धर्मांतरण के जरिए अवैध विदेशी फंडिंग की मोटी रकम हासिल की.अब जो खुलासा हुआ है वह चौंकाने वाला है.
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक छांगुर बाबा ने महाराष्ट्र के पुणे के लोनावला इलाके में करीब 16 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी खरीदी, जिसमें अपने गुर्गा मोहम्मद अहमद खान, नवीन रोहरा उर्फ जमालुद्दीन और बलरामपुर के कोर्ट क्लर्क राजेश उपाध्याय की पत्नी संगीता देवी को पार्टनर बनाया.
कोर्ट के क्लर्क से मिलीभगत का भी आरोप
सूत्रों की मानें तो छांगुर बाबा के खिलाफ शिकायत करने वाले कई लोगों को उलझा दिया जाता था.सब पर अलग अलग तरह के मामले दर्ज हो जाते थे .इस पूरे खेल में राजेश उपाध्याय नाम का कोर्ट क्लर्क भूमिका निभाता था, जो बाबा के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाने में मदद करता था.बदले में बाबा ने पुणे की करोड़ों की प्रॉपर्टी में उसकी पत्नी को हिस्सेदार बना दिया.
खुद बना सर्वे सर्वा
छांगुर बाबा ने अपनी कोठी के पीछे बनी चांद औलिया दरगाह को अपना ठिकाना बनाया और खुद को उसका सर्वे-सर्वा घोषित किया.जब आजतक ने दरगाह की सच्चाई जाननी चाही, तो सामने आया कि दरगाह की कमेटी या कार्यक्रम से बाबा का कोई वास्ता ही नहीं है.उर्स के आयोजक भी उसे नहीं पहचानते.एक बुजुर्ग ने इतना जरूर कहा कि वो बनारस से आया था, खुद को बाबा कहता है, हम तो उसे मुरीद समझते थेॅ
बलरामपुर की कोठी
उतरौला में स्थित छांगुर बाबा की कोठी किसी किले से कम नहीं.तीन बीघे में फैली यह आलीशान इमारत पूरी तरह से CCTV कैमरों, बिजली से दौड़ते तारों और खूंखार कुत्तों से लैस है.वहां 50 से ज्यादा लोगों के रहने का इंतज़ाम है.आसपास के लोग भी डर के कारण कैमरे पर कुछ बोलने से बचते हैं, लेकिन कहते हैं कि बाबा ने यह कोठी कुछ साल पहले ही बनाई और तब से यहां अजनबी लोगों की आवाजाही बढ़ी.
नग बेचने से करोड़पति बनने तक
कुछ साल पहले तक यही जमालुद्दीन बलरामपुर की गलियों में अंगूठी और रत्न (नग) बेचता था. हिंदुओं को मूंगा-गोमेद, मुसलमानों को अकीक.लेकिन अचानक वह गायब हो गया और फिर लौटते ही बाबा बन गया.अब न सिर्फ धर्मांतरण करवा रहा था, बल्कि करोड़ों की संपत्तियों का मालिक भी बन चुका था.
दुबई से हुई फंडिंग
बाबा ने मुंबई के एक रोहरा परिवार को पूरी तरह इस्लाम में धर्मांतरित करा लिया.2015 में दुबई में इस परिवार ने इस्लाम कबूल किया.नवीन रोहरा बन गया जमालुद्दीन, नीतू रोहरा बन गई नसरीन और नाबालिग बेटी बन गई सबीहा.इसके बाद इस परिवार के नाम पर पुणे और बलरामपुर में संपत्तियां खरीदनी शुरू हुईं.एटीएस की जांच में पता चला कि नीतू उर्फ नसरीन के नाम पर 8 बैंक खाते खोले गए जिनमें 5 करोड़ से ज्यादा की रकम संदिग्ध स्रोतों से आई.वहीं नवीन रोहरा उर्फ जमालुद्दीन के खातों में विदेश से 34 करोड़ रुपये ट्रांसफर हुए.यह सारा लेन-देन धर्मांतरण से जुड़े कामों में लगाया गया.इसी पैसों से पुणे, उतरौला, लखनऊ और अन्य जगहों पर संपत्तियां खरीदी गईं.
पुलिस प्रशासन से मिलीभगत का आरोप
स्थानीय लोगों का आरोप है कि बाबा का प्रभाव इतना था कि कई अधिकारी उससे मिलने पर कुर्सी छोड़ खड़े हो जाते थे.एसटीएफ की शुरुआती रिपोर्ट भी इस ओर इशारा करती है कि बाबा ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन को सेट करके अपने पूरे नेटवर्क को सालों तक चलाया.
गिरफ्तारी और 8 महीने की तलाश
16 नवंबर 2024 को एटीएस थाने में दर्ज हुई एफआईआर में छांगुर बाबा, नीतू रोहरा, नवीन रोहरा समेत 10 लोगों के नाम थे.सबसे पहले बाबा का बेटा महबूब और नीतू का पति नवीन गिरफ्तार हुए, लेकिन बाबा और नसरीन 8 महीने तक फरार रहे.आखिरकार जुलाई 2025 में एटीएस ने लखनऊ से दोनों को गिरफ्तार कर लिया.
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