स्मृति ईरानी आज भारतीय राजनीति में सबसे प्रभावशाली आवाजों में से एक के रूप में जानी जा सकती हैं. लेकिन एक घरेलू नाम बनने से पहले, वह एक पारंपरिक परिवार की एक युवा महिला थीं, जो चुपके से बड़े सपने देखने की हिम्मत कर रही थीं. सोहा अली खान के टॉक शो 'ऑल अबाउट हर' में एक्ट्रेस से राजनेता बनीं स्मृति ने उस निर्णायक क्षण को याद किया, जिसने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से एक नई दिशा में मोड़ दिया था.
स्मृति ने याद किए पुराने दिन
स्मृति मल्होत्रा के रूप में पली-बढ़ीं, वह एक ऐसे परिवार में थीं जहां महिलाओं के लिए करियर के रास्ते पारंपरिक रहने की उम्मीद की जाती थी और मॉडलिंग को स्वीकार्य नहीं माना जाता था. फिर भी अपने अंतर्ज्ञान से प्रेरित होकर, उन्होंने घर में किसी को बताए बिना फेमिना मिस इंडिया का फॉर्म भरा. उनके लिए यह विश्वास की एक छलांग थी. उनके परिवार के लिए यह जल्द ही एक झटके की तरह महसूस होने वाला था.
बातचीत के दौरान स्मृति ने कहा, 'मुझे आज भी वह दिन याद है. यह वसंत कुंज था, एक किराए का फ्लैट, और फोन आया. परिवार के किसी सदस्य ने फोन उठाया और पूछा कि टाइम्स ऑफ इंडिया क्यों फोन कर रहा है.' फोन करने वाले ने बताया था कि स्मृति को फाइनलिस्ट के रूप में चुना गया है. जो एक उत्सव का क्षण होना चाहिए था, वह एक रूढ़िगत ड्राइंग रूम में 'बम धमाके' की तरह महसूस हुआ.
पिता को हारने की थी उम्मीद
उनके पिता को जब इसकी जानकारी मिली, तो वे गुस्से में आ गए, उनकी चुपके से की गई हरकत से नाराज हो गए थे. उन्होंने अपने सहायक को निर्देश दिया कि वे स्मृति के साथ मुंबई जाएं, यह उम्मीद करते हुए कि वह जल्दी हार जाएंगी. उन्होंने कहा था- स्मृति के साथ जाओ, वह हार जाएगी, उसे वापस घर ले आओ'. लेकिन जैसे-जैसे स्मृति एक के बाद एक राउंड में आगे बढ़ती गईं, सहायक को उनके पिता को एक अप्रत्याशित अपडेट देना पड़ा कि यह बच्ची हार नहीं रही है.'
हालांकि स्मृति ने मिस इंडिया का ताज नहीं जीता, लेकिन उन्हें कुछ और मूल्यवान मिला. उन्होंने बताया, 'मुझे बाद में एहसास हुआ कि मॉडलिंग का प्रदर्शन मेरे बस की बात नहीं थी.' लेकिन इस अनुभव ने एक ऐसी चिंगारी जलाई जिसने उनके अगले कदमों को निर्देशित किया. पहले अभिनय में, खास तौर पर 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' में तुलसी विरानी के रूप में, और बाद में राजनीति में जहां उन्होंने दृढ़ता के साथ एक करियर बनाया.
स्मृति के लिए, इस घटना को याद करना सिर्फ पुरानी यादों को ताजा करना नहीं था. यह उस साहस को उजागर करने के बारे में था जो परिवार के रूढ़िगत नियमों के खिलाफ चुपके से विद्रोह करने और कुछ बड़ा हासिल करने के लिए चाहिए था. वह एक जोखिम भरा फैसला उनके करियर का बीज बन गया, जिसने कई उद्योगों और लाखों लोगों के जीवन को छुआ. आज वो एक बार फिर 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' के नए सीजन में नजर आ रही हैं.
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