जामताड़ा, ग्रहण, काठमंडू जैसी हिट सीरीज, विक्रांत मैसी के साथ 12वीं फेल और अब राजकुमार राव के साथ मालिक फिल्म का हिस्सा रहे अंशुमन पुष्कर इंडस्ट्री का उभरता नाम साबित हो रहे हैं. अपनी एक्टिंग से अलग छाप छोड़ने वाले अंशुमन ने आजतक से एक्सक्लुसिव बातचीत की. उन्होंने अपने 15 सालों की जर्नी, राजकुमार राव के साथ काम करने के अनुभव, और सीक्रेट लव तक का खुलासा किया. अंशुमन ने साथ ही भोजपुरी सिनेमा के बदलते दौर के बारे में भी अपनी राय रखी.
'मालिक' में काम करने का एक्सपीरियंस, राजकुमार राव से लड़ते हुए जख्मी हो गए थे?
नहीं, ऐसा कुछ खास जख्मी नहीं हुआ था. 'मालिक' में काम करके मालिक वाली फीलिंग आने जैसी बात भी नहीं है, पर हां आपका काम अगर लोगों को अच्छा लगता है, उसका अप्रीसिएशन मिलता है तो अच्छा लगता है. बाकी काम करते हुए हल्की-फुल्की चोट तो आती रहती है. इतना भी कोई डराने वाली बात नहीं थी. मैं बिल्कुल ठीक और हेल्दी हूं. उनसे ज्यादा तो मुझे डर लगता था क्योंकि उनके ऊपर ज्यादा पैसे लगे थे. वो ख्याल जरूर मैंने रखा है कि आपकी गलती से किसी और का नुकसान ना हो जाए. कई ऐसी छोटी-छोटी चीजें होती हैं, इतना दौड़ना-भागना होता है कि थोड़ा-बहुत कुछ हो जाता है. पर टचवुड कोई बड़ी बात नहीं हुई. अंत भला तो सब भला वाली बात है.
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फिल्म अच्छा कर रही है ये सच में बहुत खुशी की बात है. राजकुमार राव बहुत ही अच्छे इंसान हैं. उनसे हाल फिलहाल में तो बात नहीं हुई, क्योंकि वो बहुत ही बिजी रहते हैं लेकिन पहले बात हुई थी, जब हम साथ में ट्रेनिंग कर रहे थे. वो हमेशा तारीफ करते हैं- वो बोले कि तुमने अच्छा काम किया है. हम सीन भी डिस्कस कर रहे थे. वो बहुत ही ओपन और अच्छे इंसान हैं. बहुत ही ब्रिलिएंट एक्टर हैं. उनके साथ काम करने का एक्सपीरियंस ही अलग है, उन्होंने भी जिस तरह से मेरे काम की तारीफ की वो मेरे लिए बहुत बड़ी बात है.
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मैं जो सोच के इन चीजों को सिलेक्ट कर रहा हूं, या कहीं कोई भी काम सिलेक्ट करता हूं तो यही बातें मेरे दिमाग में रहती हैं कि वेब सीरीज में आपको लीड कैरेक्टर मिल रहे हैं, ठीक हैं, लेकिन फिल्मों में आपका जो भी किरदार हो, उसका उस कहानी में इम्पैक्ट हो तो मेरे लिए विनिंग सिचुएशन रहती है. फिर वो कैरेक्टर मेरे लिए बहुत स्पेशल हो जाता है. मैंने जो सोच कर ये किरदार चुने वो इसे रिफ्लेक्ट भी कर रहे हैं ये मेरे लिए खुशी की बात है.
मुझे इनके लिए अक्सर लोग आकर कह देते हैं कि ये अगर ये इंटेशनल था तो बहुत अच्छा है. तुम्हारा काम लोगों को पसंद आ रहा है. एक कलाकार के लिए इससे बेहतर बात तो हो ही नहीं सकती कि वो जो भी कर रहा है वो लोगों को पसंद आ रहा है. कई लोगों को लगता है कि काम की कमी है, या इतना ही ऑफर हो रहा है. इससे ज्यादा बड़ी बात ये है कि आपका मन क्या कहता है.
कब रोमांटिक सिनेमा में दिखेंगे अंशुमन?
कोशिश पूरी है कि मैं जल्द ही रोमांटिक सिनेमा करूं, मेरे अंदर तो ढेर सारा प्यार भरा पड़ा है. मैं चाहता हूं कि वो कहीं से दिखे सिनेमा में. ग्रहण में थोड़ा-सा मौका मिला था. ग्रहण और काठमांडू के छोटे-छोटे कट पीसेज हैं, जहां वो इमोशनल गहराई है. लेकिन जब मुझे मौका मिलेगा मैं जरूर करूंगा. मैं तो सिनेमा पर रोमांस देखकर ही बड़ा हुआ हूं तो वो देखकर तो करने की इच्छा और जाहिर होती है. मेरे पास तो किताबें भी रोमांटिक हैं. मेरे इंस्पिरेशन ऋषि कपूर, शशि कपूर, राज कपूर हैं, जिस तरह का मासूम प्यार इन्होंने पर्दे पर दिखाया है. वो मुझे नहीं लगता कि कोई और कर सकता है. जैसे रणबीर हैं- उनमें तो खानदानी चीजें आई हैं. जब इन दिग्गजों को आप देखें तो आप कह ही नहीं सकते कि इनसे ऊपर कुछ हैं. जैसे कमल हासन सदमा में थे, वो एक्सट्रीम लेवल है.
अंशुमन का सीक्रेट लव, जल्द करेंगे शादी?
प्रेम ऐसा होना चाहिए जो आपके अंदर ठहराव लाए, आपको रुकने पर मजबूर कर दे. प्रेम रोग, तीसरी कसम, सदमा ये वो कुछ एग्जाम्पल हैं कि इनसे ऊपर आप क्या सोच सकते हो. मैं बहुत लकी हूं कि मुझे ग्रहण करने को मिला. वहां भी कमिटमेंट से बढ़कर कुछ नहीं है. मेरी लाइफ में भी टचवुड एक ऐसा महिला हैं, जिन्होंने हर तरह से मेरी मदद की है. मुझे समझा है. मेरे जीवन की लाइफ लाइन हैं. मैं इस बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहता क्योंकि मैं मानता हूं कि पर्सनल लाइफ को प्राइवेट ही रहना चाहिए. शादी का अभी कुछ डिसाइड नहीं किया है, क्योंकि बहुत कुछ अचीव करना बाकी है. मैं लाइफ में क्लियर रहना पसंद करता हूं. हर चीज का समय होता है, उसी समय से सब होना चाहिए. मेरा करियर बहुत लेट शुरू हुआ है, तो अभी बहुत कुछ करना बाकी है. पर कह नहीं सकते कब क्या हो, क्या पता एक साल में या 5 साल में ही गुड न्यूज दे दूं.
पटना से मुंबई तक का सफर कैसे तय किया?
मुंबई आने तक का सफर मुश्किल भरा रहा होगा, लेकिन फैमिली को मनाने के लिए मुझे कुछ नहीं करना पड़ा. मेरी फैमिली हमेशा मेरे लिए सपोर्टिव रही है. मैं गांव से आता हूं, लेकिन फिर भी मेरी फैमिली को शुरू से सिनेमा से बहुत लगाव रहा है. आप मान लीजिए कि ये मेरे जीन्स में है, जितना सिनेमा मुझे रोमांचित करता है उतना ही मेरी फैमिली को भी. हां, बस इस इंडस्ट्री में जितनी उथल-पुथल है वो उन्हें जरूर थोड़ा डराती है, लेकिन मेरा भाई शुरू से ही मेरे लिए बहुत सपोर्टिव रहा है. उसे विश्वास था कि मैं कर सकता हूं, उसने हमेशा मुझे पुश किया है. मेरे घरवालों-दोस्तों सबका सपोर्ट रहा लेकिन अगर मैं कहूं कि एक बार सभी का विश्वास हिला होगा पर मेरे भाई के साथ ऐसा कभी नहीं हुआ. वो हमेशा मुझे न रुकने के लिए प्रेरित करता रहा.
मेरे भाई ने मुझे सिखाया वक्त लग रहा है तो कुछ न कुछ अच्छा आ रहा होगा. हिम्मत नहीं हारना है. जिसे लोग स्ट्रगल कहते हैं मैं उसे जर्नी कहता हूं. आप ये मान के चलिए कि जिस रोल को आपको मिलने में जितना समय लगेगा वो और उतना अच्छा निखर कर आएगा. जैसे हर उम्र में इश्क करने का एक अलग तरीका है, लेकिन नवयौवन वाला जो इश्क है, उसकी बात ही अलग होती है. वो एक ऐसी चीज है जो आप हमेशा चाहते हैं कि आपके जीवन में रहे. पटना से आना मुश्किल होता है, लेकिन डिप्रेसिव मोड में मैं कभी नहीं गया. मुझे हमेशा लगा कि ये रात बीती है तो कल सुबह आएगी. आज भी मैं ये नहीं कह सकता कि मैंने अपार सफलता पा ली है. एक ताली जो आपको मिलती है किसी नाटक के बाद में वो आज भी फील होती है, जैसे मालिक हिट हुई या ग्रहण के बाद में जो अप्रीसिएशन मिला.
कभी प्लान बी के बारे में सोचा था?
12वीं फेल के 'गौरीनंदन' के पास भी क्लियर प्लान था कि यूपीएससी नहीं निकला तो जीवन यापन के लिए चाय की दुकान खोल ली, लेकिन अपना उद्देश्य नहीं भूला था. वहां पर भी वो सबको पढ़ाता ही था. मेरे साथ भी वही चीज है, मैंने बीच में जब फिल्मों में काम नहीं मिला तब ओला की गाड़ियां चलवाईं, फ्लॉप बिजनेसमैन हूं एकदम, साइड में बहुत कुछ किया, लेकिन एक्टिंग नहीं छोड़ी. ये सब बस इसलिए किया कि किसी तरह से मुंबई जैसे महंगे शहर में सर्वाइव कर पाऊं.
बोलते हैं ना कि जो अपने मन का हुआ तो अच्छा, अगर भगवान के मन का हुआ तो और अच्छा. क्योंकि वो जो सोच के करेंगे वो बेस्ट होगा. मैं हमेशा से जानता था कि मेरी लाइफ में जो भी होगा एक्टिंग से रिलेटेड ही होगा, इसे छोड़कर जाने की तो मैंने कभी नहीं सोची. इसमें तो मैं यूपीएससी की तैयारी भी कर चुका हूं. लाइफ में सिनेमा है तो सिनेमा में ही लाइफ है. यही सबसे खूबसूरत चीज है जिसे मैं कभी नहीं छोड़ सकता.
भोजपुरी सिनेमा की तरफ रुख करने का नहीं सोचा?
मुझे इस चीज से कोई गुरेज नहीं है कि मैं भोजपुरी में जाके काम करूं, कभी नहीं. लेकिन क्या मुझे वो मौका भोजपुरी में उस समय मिलता जो अब मिलेगा? नहीं मिलता. क्योंकि जिस तरह का वातावरण वहां पर था मुझे नहीं लगता कि कोई मुझे मौका देता. मुझे तो भोजपुरी बोलने भी नहीं आती. मेरी भाषा अलग है, बिहार में कदम-कदम पर अलग-अलग भाषा बोली जाती है. वो सीखने की बात थी. मुझे लगता है कि जितने बड़े लेवल पर आप अपने आप को स्थापित कर पाते हैं, फिर भोजपुरी सिनेमा मुझे अच्छी तरह से एक्सेप्ट कर पाएगी.
अगर मैं भोजपुरी में पहले जाता तो हिंदी सिनेमा में मुझे काम नहीं मिलता, ये मैं आज से 15 साल पहले की बात कर रहा हूं, जब मैंने शुरुआत की थी. भोजपुरी में सिर्फ चार का नाम छोड़ दिया जाए तो आप कितने ही स्टार्स का नाम ले पाएंगे. भोजपुरी सिनेमा में क्वालिटी अब थोड़ी बेहतर हो रही है, तब नहीं हो रही थी. लेकिन आज भी उस लेवल के कंटेंट नहीं बन रहे हैं जो इसे अच्छे लेवल पर लेकर जाए, ये कहना मेरा बिल्कुल गलत नहीं होगा.
अंशुमन ने आगे बताया कि इसलिए राजकुमार राव इसलिए मुझे सबसे बेहतर लगते हैं क्योंकि हर तरह का कंटेंट करने के बाद वो अपने आप को इस लेवल पर स्थापित कर पाए हैं. वो इंस्पिरेशन हैं. मुझे किसी माध्यम से कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन कंटेंट अच्छा होगा और कैरेक्टर अच्छा होगा तो मैं जरूर करूंगा. आने वाले प्रोजेक्ट्स की बात करें तो अंशुमन जल्द ही नेटफ्लिक्स की अथा और मनीष मल्होत्रा की फिल्म में नजर आने वाले हैं. इसके अलावा कई और प्रोजेक्ट्स लाइन-अप हैं.
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