Google का ही रहेगा क्रोम ब्राउजर, कोर्ट से मिली बड़ी राहत, ये है पूरा मामला

1 day ago 1

Google को अमेरिकी अदालत की तरफ से एक बड़ी राहत मिली है और अब कंपनी को Chrome ब्राउजर बेचने की जरूरत नहीं होगी. कोर्ट ने अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा था कि Google को अपने Chrome ब्राउजर को बेचने पड़ेगा. डीसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज अमित मेहता ने मंगलवार को ये आदेश दिया है. 

कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि Google को ऑनलाइन सर्च में कॉम्पिटिशन को बढ़ावा देने के लिए अपनी राइवल्स टेक कंपनियों के साथ डेटा शेयर करना होगा. इससे दूसरी कंपनियों को सर्च कॉम्पिटिशन में मदद मिलेगी.  

Google पर क्या है मामला? 

Chrome पर असल में Sherman Antitrust Act उल्लंघन का मामला है. इंटरनेट ब्राउजर पर आरोप है कि उसने सर्च मार्केट से अपने राइवल्स को काफी पीछे कर दिया है और मोनोपॉली बना ली है.  

सरकारी डिपार्टमेंट ने दिया था ये तर्क 

डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने कहा था कि Google को अपने Chrome ब्राउजर को बेच देना चाहिए. क्रोम ब्राउजर के लिए कहा था कि यह कंपनी के लिए मेन एंट्री गेट है, जहां से वह अपने सर्च इंजन का यूज करके अपनी पकड़ को मजबूत बना रही है और बाजार में मोनोपॉली बना रहा है.  

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क्रोम ब्राउजर को सेल ना करने को कहा 

जज अमित मेहता ने डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के सुझाव को रिजेस्ट कर दिया है. इसके लिए उन्होंने ऑर्डर किया कि क्रोम ब्राउजर को सेल करने की वजह से मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. यह काफी खतरनाक साबित हो सकता है. आखिरकार इसका असर कंज्यूमर पर भी देखने को मिलेगा. उन्होंने आगे लिखा कि क्रोम ब्राउजर कोई अकेला बिजनेस नहीं है, यह पूरी तरह से गूगल के इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर है.

Google को जाना पड़ेगा सुप्रीम कोर्ट  

Google को फिलहाल अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के सबसे कठोर प्रस्ताव से राहत मिल गई है. हालांकि ये मामला अभी खत्म नहीं हुआ है. कंपनी को अब डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के उस ऑर्डर के खिलाफ अपील करना होगा जिसमें कहा था कि क्रोम गैर-कानूनी मोनोपॉलिस्ट बना रहा है. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट जा सकता है.   

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Sherman Antitrust Act क्या है?

Sherman Antitrust Act, असल में अमेरिका का 1890 का कानून है. यह किसी भी कंपनी को मोनोपॉली स्थापित करने या प्रतिस्पर्धा को खत्म करने से रोकता है. इसका उद्देश्य उन कंपनियों को रोकना है जो अपनी पावर का गलत यूज करके बाजार पर पूरी तरह से कब्जा करना चाहती हैं. 

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