जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना की कार्रवाई ने नई ऊंचाइयां छुई हैं. अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए भयानक आतंकी हमले के लगभग तीन महीने बाद, ऑपरेशन सिंदूर की पूरी तस्वीर साफ हो गई है. यह ऑपरेशन न सिर्फ पाकिस्तानी सेना को सीमा पर करारा झटका दिया, बल्कि जम्मू-कश्मीर के अंदर आतंकवादियों के नेटवर्क को पूरी तरह तोड़ने का आधार भी तैयार किया.
पहलगाम हमला: दर्दनाक शुरुआत
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम के बैसरन घाटी में पांच हथियारबंद आतंकियों ने हमला किया. उन्होंने 26 निर्दोष पर्यटकों को मार डाला, जिनमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे. एक ईसाई पर्यटक और एक स्थानीय मुस्लिम पॉनी राइडर भी मारे गए.
द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF), जो पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का सहयोगी संगठन है ने शुरुआत में जिम्मेदारी ली, लेकिन बाद में कहा कि उनका अकाउंट हैक हो गया था. पाकिस्तान ने इसे भारत का 'फॉल्स फ्लैग' ऑपरेशन बताया.
यह हमला 2008 मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर सबसे घातक हमला था. हमलावरों ने M4 कार्बाइन और AK-47 जैसे हथियार इस्तेमाल किए. NIA ने जांच शुरू की और पर्यटकों से फोटो-वीडियो मांगे.
हमले के बाद तनाव बढ़ गया, भारत ने इंडस वाटर्स ट्रीटी सस्पेंड कर दी और एयरस्पेस बंद कर दिया. दुनिया भर के नेता जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूरोपीय संघ की उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने निंदा की.
ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान को करारा जवाब
पहलगाम हमले के जवाब में 7-10 मई 2025 को भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया. नाम 'सिंदूर' का मतलब है लाल सिंदूर, जो हमले में विधवाओं की याद दिलाता है. यह ऑपरेशन भारतीय वायुसेना, सेना और नौसेना का संयुक्त प्रयास था. नेलम वैली, लीपा, सरूपा, हाजीपीर, परगवाल, पूंछ और राजौरी सेक्टरों में आर्टिलरी और ग्राउंड स्ट्राइक्स किए गए. लक्ष्य: आतंकी लॉन्च पैड और पाकिस्तानी मिलिट्री पोस्ट.
नौ आतंकी कैंपों को निशाना बनाया गया, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का बहावलपुर मुख्यालय और LeT का मुरीदके कैंप शामिल थे. ब्रह्मोस मिसाइल, लॉयटरिंग म्यूनिशन और हवाई हमलों से 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए, जिनमें JeM चीफ मसूद अजहर के परिवार के सदस्य भी थे.
पाकिस्तान ने दावा किया कि सिविलियन इलाके हिट हुए, लेकिन भारत ने कहा कि सिर्फ आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया. पाकिस्तान ने जवाबी ड्रोन और मिसाइल हमले किए, लेकिन भारत के S-400 सिस्टम ने उन्हें रोक लिया. ऑपरेशन में भारत को 5 सैनिक शहीद हुए, लेकिन पाकिस्तान को 130 से ज्यादा सैन्य हानि हुई.
पाकिस्तान को भारी नुकसान: स्वतंत्रता दिवस पर खुलासा
ऑपरेशन सिंदूर के नुकसान की पोल पाकिस्तान के 14 अगस्त 2025 को स्वतंत्रता दिवस पर खुल गई. डॉन अखबार के अनुसार, कई सैनिकों को मरणोपरांत सम्मानित किया गया, जैसे हवलदार मुहम्मद नवेद, नायक वकार खालिद, नायक अब्दुल रहमान, लांस नायक दिलावर खान, लांस नायक इकरामुल्लाह, सिपाही निसार अली और सिपाही अदील अकबर.
कुल 488 गैलेंट्री अवॉर्ड्स दिए गए, जिनमें 375 मरणोपरांत थे – यह संख्या ऑपरेशन सिंदूर के भारी नुकसान को दर्शाती है. समा टीवी ने गलती से 138 मरणोपरांत अवॉर्डी की लिस्ट जारी की, जो बाद में हटा ली गई. विशेषज्ञों का कहना है कि यह पाकिस्तानी सेना के 130+ हताहतों की पुष्टि करता है. पाकिस्तान ने इसे 'मारका-ए-हक' (सत्य का युद्ध) नाम दिया, लेकिन भारत ने इसे आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई बताया.
जम्मू-कश्मीर में लगातार एंटी-टेरर ऑपरेशन
ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को सजा दी, लेकिन भारत ने जम्मू-कश्मीर के अंदर भी आतंकवाद को कुचलने का सिलसिला जारी रखा. घुसपैठिए समूहों को रोका, सपोर्ट स्ट्रक्चर तोड़े और घाटी में उग्रवाद को पुनर्जीवित करने की कोशिशों को विफल किया.ऑपरेशन महादेव इसका चरम था.
जुलाई 2025 में दाचीगाम नेशनल पार्क के पास लिडवास क्षेत्र में शुरू हुआ यह ऑपरेशन पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड हाशिम मूसा उर्फ 'सुलेमान शाह' (पूर्व पाकिस्तानी सेना SSG ऑपरेटिव) को मार गिराने में सफल रहा. सुलेमान ने पाकिस्तान से आकर आतंकी गतिविधियां चला रही थी.
ऑपरेशन में तीन पाकिस्तानी LeT आतंकी मारे गए: सुलेमान शाह, हमजा अफगानी और जिब्रान. ऑपरेशन 14 दिनों तक चला. इंटेलिजेंस इनपुट्स से चीनी सैटेलाइट फोन का सिग्नल ट्रैक किया गया. सेना, CRPF और J&K पुलिस ने संयुक्त रूप से कार्रवाई की. हथियारों की बैलिस्टिक जांच से पुष्टि हुई कि ये ही पहलगाम हमले के जिम्मेदार थे. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये तीनों पाकिस्तानी थे, जिन्होंने निर्दोषों को मारा.
स्पष्ट संदेश: आतंकवाद की जड़ें उखाड़ना
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर और महादेव सिर्फ बदला नहीं, बल्कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करने का अभियान हैं. LoC पर स्ट्राइक्स ने पाकिस्तान की मिलिट्री और आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर को नेस्तनाबूद किया, जबकि कश्मीर में ऑपरेशनों ने घुसपैठियों को दोबारा संगठित होने से रोका.
भारत ने अपनी तरफ कोई हानि नहीं होने दी. ये कार्रवाइयां संदेश देती हैं: आतंक प्रायोजित करने वालों को LoC पार और भारत के अंदर सजा मिलेगी. जम्मू-कश्मीर की जनता और पूरे देश के लिए यह अभियान शांति, सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता के प्रति सेना की अटूट प्रतिबद्धता को मजबूत करता है.
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