मध्य प्रदेश में लंबे समय से चल रही ओबीसी आरक्षण की लड़ाई आखिरकार निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है. जनवरी 2025 में 87:13 फॉर्मूले को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं, जिससे ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ने ही स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि अब इस मामले में कोई कानूनी अड़चन नहीं है. फैसला पूरी तरह से सरकार के हाथ में है.
सरकार ने भी इस पर अपना रुख साफ करते हुए कहा है कि वह 27% आरक्षण देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. वहीं, फरवरी 2025 में सरकार ने यह भी ऐलान किया कि वह इस फैसले को और अधिक मज़बूती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएगी, जिससे भविष्य में कोई कानूनी उलझन न रहे. सरकार द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक, ओबीसी वर्ग में बेरोजगारी की दर 39.40% तक पहुंच चुकी है. इन आंकड़ों ने यह साफ कर दिया है कि आरक्षण केवल कागज़ों पर नहीं, ज़मीन पर भी असरकारी साबित होना चाहिए.
छात्रों को MPSC परीक्षा के रिजल्ट का इंतजार
वर्तमान हालात में ओबीसी वर्ग के युवाओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती सिर्फ परीक्षा पास करना नहीं रह गई है, बल्कि परीक्षा के बाद 'रिजल्ट' का इंतज़ार करना ही सबसे कठिन परीक्षा बन चुका है. विपक्ष ने इस पूरे मामले को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि वह युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. उनका कहना है कि यदि सरकार का रुख साफ है, तो नियुक्तियों में अब तक देरी क्यों?