ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रोपेगेंडा वॉर में क्या पाकिस्तान से हार गया भारत, कौन है जिम्मेदार?

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया और कई आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया. इसके बाद 9 मई की रात भारत ने पाकिस्तान के कई एयर बेस पर भी हमले किए. माना जाता है कि 7 मई और 9 मई के इन हमलों में पाकिस्तान में करीब 100 लोग मारे गए हैं.  भारत अपने टार्गेटेड लक्ष्य को हासिल करने में सफल रहा है. पर जीत का जश्न भारत में नहीं बल्कि पाकिस्तान में मनाया जा रहा है. भारत में तो आज की तारीख में विपक्ष यह सवाल पूछ रहा है कि देश के कितने राफेल युद्ध में गिरे? जाहिर है कि पाकिस्तान ने प्रोपेगेडा वॉर कुछ इस तरह चलाया कि कम से कम पाकिस्तान में तो लोग यही समझ रहे हैं कि उनके देश ने भारत को युद्ध में पानी पिला दिया. इसमें भी कोई दो राय नहीं हो सकती कि पाकिस्तान इस झूठ को बार-बार बोलकर आम भारतीयों को भी कन्फ्यूज कर दे.  क्यों कि पाकिस्तानियों को जश्न मनाते देख भारतीय समझ नहीं पा रहे हैं कि पाकिस्तानियों की खुशी का आखिर कारण क्या है? दरअसल पाकिस्तान वास्तविक युद्ध में तो हमेशा की तरह हार गया पर प्रचार युद्ध में उसने भारत से बढत जरूर बना ली है. आइये देखते हैं कि कैसे यह संभव हुआ?

1. भारत अपनी सैन्य और कूटनीतिक जीत को सबके सामने तेजी से नहीं ला सका

ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने 7 मई 2025 को पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों पर हमले किए, जिन्हें विदेश मंत्रालय ने लक्षित, संतुलित, और गैर-आक्रामक बताया. विदेश सचिव विक्रम मिस्री और रक्षा मंत्रालय ने सैटेलाइट तस्वीरों के साथ हमलों की सफलता साबित की. भारत एक जिम्मेदार देश की भांति बिहेव करते हुए शुरूआत में अपनी जीत का प्रचार करने में संकोच कर गया. जबकि पाकिस्तान हारते हुए भी युद्ध जीतने का प्रचार बढ़ चढ कर किया.

भारत ने UNSC सदस्यों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, आदि) और अन्य देशों (जर्मनी, जापान, सऊदी अरब) को हमलों की जानकारी दी, जिससे वैश्विक स्तर पर समर्थन मिला. EU ने भी आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन किया.

भारत ने PIB फैक्ट-चेक के जरिए पाकिस्तान के झूठे दावों (जैसे भारतीय सैनिकों की गिरफ्तारी, श्रीनगर एयरबेस पर हमला) का खंडन किया. पाकिस्तान ने झूठे दावों (जैसे पांच भारतीय जेट गिराने, Chora Post पर भारतीय सेना का आत्मसमर्पण) और पुराने वीडियो/तस्वीरों (जैसे 2024 के खैबर पख्तूनख्वा दंगों का वीडियो) का इस्तेमाल किया.

पर चीन और तुर्की की सरकारी मीडिया ने पाकिस्तान प्रोपेगेंडा को बहुत तेजी से फैलाया.  चीन  का Global Times और Xinhua, और तुर्की का TRT World ने पाकिस्तान की गलत जानकारियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाने में मदद की.कुछ पश्चिमी मीडिया ने पाकिस्तान के नैरेटिव को बिना जांच के बढ़ावा दिया, जिसने भारत के प्रचार को कमजोर किया.

2. झूठ पर आधारित पाकिस्तान की प्रचार रणनीति

पाकिस्तान ने ISPR (Inter-Services Public Relations) के जरिए सोशल मीडिया पर भ्रामक वीडियो, तस्वीरें, और दावे फैलाए. उदाहरण के लिए, पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और सूचना मंत्री अताउल्लाह तारार ने बिना सबूत के दावे किए, जैसे भारतीय सैनिकों की गिरफ्तारी, जिन्हें बाद में वापस लेना पड़ा. उनके झूठ को जस का तस  चीन और तुर्की के सरकारी मीडिया ने आगे बढ़ाया. जैसे JF-17 थंडर द्वारा भारत के S-400 सिस्टम को नष्ट करने का झूठा दावा. 

पाकिस्तान सरकार ने अपनी जनता को जीत की घुट्टी पिलाने के यौम-ए-तशक्कुर जैसे आयोजन किए और कई बार वीडियो गेम फुटेज का इस्तेमाल किया.

3-प्रचार युद्ध में भारत के पीछे रहने का कारण 

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को सैटेलाइट तस्वीरों और PIB फैक्ट-चेक के जरिए साबित किया, लेकिन जवाबी प्रचार में देरी होती रही. विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने तथ्य-आधारित खंडन किया, लेकिन यह वैश्विक और सोशल मीडिया पर प्रभावी ढंग से नहीं फैला. उदाहरण के लिए, The Daily Telegraph के फर्जी लेख को खारिज करने में देरी हुई, जिसने पाकिस्तान के नैरेटिव को हवा दी. सबसे बड़ी बात यह रही कि इस प्रोपेगेंडा को भारत के सरकारी संस्थान या किसी मीडिया हाउस ने खारिज नहीं किया , बल्कि इसमें भी भारत के मुकाबले पाकिस्तान आगे रहा.

The Daily Telegraph के फर्जी लेख, जिसमें दावा किया गया था कि पाकिस्तान वायुसेना ने भारत पर बढ़त ले लिया है. इसका पर्दाफाश सबसे पहले iVerify Pakistan ने किया. इस संगठन ने 10 मई 2025 को वायरल हुए फर्जी लेख की जांच की और इसे AI-जनरेटेड पाया. उन्होंने The Daily Telegraph की आधिकारिक वेबसाइट और 10 मई 2025 के संस्करण की जांच की, जिसमें ऐसा कोई लेख नहीं था. इसके अलावा, AI कंटेंट डिटेक्शन टूल्स (Decopy AI और Undetectable AI) ने पुष्टि की कि इस अखबार की फोटो 99.99% से 100% AI-जनरेटेड थी. इस फैक्ट-चेक को DAWN.COM ने 15 मई 2025 को प्रकाशित किया. इसके बाद, Full Fact ने भी 15 मई 2025 को इस फर्जी लेख का खंडन किया, यह पुष्टि करते हुए कि यह The Daily Telegraph का असली फ्रंट पेज नहीं था और इसमें AI-जनरेटेड संकेत थे.

सोशल मीडिया में पाकिस्तान की ISPR ने भ्रामक वीडियो (जैसे वीडियो गेम फुटेज) और दावों (जैसे पांच भारतीय जेट गिराना) को तेजी से फैलाया. भारत का डिजिटल प्रचार तुलनात्मक रूप से कमजोर रहा. सरकार और संबंधित मंत्रालयों (विशेष रूप से सूचना और प्रसारण मंत्रालय) की तेज, समन्वित, और सोशल मीडिया-केंद्रित रणनीति की कमी इसके लिए जिम्मेदार रही.

4- राहुल गांधी जैसे विपक्ष के नेताओं का गैरजिम्मेदाराना व्यवहार

राहुल के कुछ सवाल भारत के सैन्य अभियान पर संदेह पैदा करते हैं, जो पाकिस्तान के प्रचार तंत्र के दावों (जैसे भारत की हार, सैन्य कमजोरी) से मेल खाते हैं. यह अप्रत्यक्ष रूप से जनरल असीम मुनीर के जीत के नैरेटिव को बढ़ाने में मदद करते हैं. जो यौम-ए-तशक्कुर जैसे आयोजनों पर आधारित है.

राहुल ने दावा किया कि जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर से पहले पाकिस्तान को सूचना दी, जिसके कारण भारत ने अपने कई विमान खोए. यह तथ्यात्मक रूप से गलत था, क्योंकि विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सूचना हमले के बाद दी गई, वह भी आतंकी ठिकानों को लक्षित करने की जानकारी के रूप में. PIB फैक्ट-चेक ने भी इसकी पुष्टि की.

राहुल का यह सवाल भारत के सैन्य अभियान की विश्वसनीयता पर संदेह पैदा करता है, जो पाकिस्तान के प्रचार (जैसे पांच भारतीय जेट गिराने, Chora Post पर आत्मसमर्पण) से मेल खाता है. शायद यही कारण है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर, सलमान खुर्शीद, और पी. चिदंबरम ने राहुल के बयान से दूरी बना ली. थरूर ने राष्ट्रीय हित में सरकार का समर्थन किया, जबकि खुर्शीद और चिदंबरम ने विदेश मंत्रालय के स्पष्टीकरण का हवाला दिया.

5. विदेश मीडिया किस तरह पाकिस्तान के प्रचार तंत्र के हाथ में खेल रहा था

पाकिस्तान की ISPR और सरकारी तंत्र के भ्रामक दावों विदेशी मीडिया भी फंस गई. जैसे पांच भारतीय जेट गिराना, Chora Post पर भारतीय सेना का आत्मसमर्पण, और श्रीनगर एयरबेस पर हमला आदि जिनमें  वीडियो गेम फुटेज और पुरानी तस्वीरें (जैसे 2024 का खैबर पख्तूनख्वा दंगा वीडियो) का इस्तेमाल किया गया. 

न्यूयॉर्क टाइम्स ने पाकिस्तान के दावों, जैसे भारतीय हार और वायुसेना की कमजोरियों, को बिना पर्याप्त जांच के प्रकाशित किया, जो भारत के खिलाफ नैरेटिव को बढ़ाने में मददगार साबित हुआ.

वाशिंगटन पोस्ट ने भारत और पाकिस्तान के बीच fog of war को उजागर किया, लेकिन पाकिस्तानी दावों को बिना खंडन के छापा.

CNN  ने पाकिस्तान के दावों, जैसे नूर खान बेस पर हमले को कवर किया, लेकिन भारत के खंडन को कम महत्व दिया.इसे पाकिस्तानी प्रचार का हिस्सा माना गया.

Le Monde और Neue Zürcher Zeitung जैसे यूरोपीय आउटलेट्स ने भारत की सैन्य कमजोरियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया. जिसके चलते पाकिस्तान के नैरेटिव को समर्थन मिला.

पाकिस्तान की ISPR, चीन (Global Times, Xinhua), और तुर्की (TRT World) ने झूठे दावों (जैसे JF-17 द्वारा S-400 नष्ट करना) को बढ़ाया. भारत इस वैश्विक प्रचार का मुकाबला करने में कम प्रभावी रहा.

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