MP News: पन्ना जिले में नाबालिग रेप पीड़िता को आरोपी के घर भेजने के मामले में छतरपुर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है. जुझारनगर थाने की पुलिस ने पन्ना के महिला बाल विकास अधिकारी, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष, समिति के 5 सदस्य, वन स्टॉप सेंटर के 3 कर्मचारी और एक अन्य महिला के खिलाफ केस दर्ज किया है. हालांकि, अभी किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
पुलिस ने जांच में पाया कि नाबालिग से बलात्कार के मामले में बाल कल्याण समिति ने नियमों को ताक पर रखकर फैसले किए थे. समिति ने बलात्कार पीड़िता को आरोपी के ही घर भेज दिया था. इस गलत निर्णय की वजह से नाबालिग दोबारा बलात्कार का शिकार हो गई थी.
जब यह जानकारी पन्ना पुलिस को लगी, तो उसने अपनी गर्दन बचाने के लिए आनन-फानन आरोपी के खिलाफ कोतवाली पन्ना में दोबारा अपराध कायम कर दिया और डायरी जुझारनगर थाना (जिला छतरपुर) भेज दी. छतरपुर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर दोबारा जेल भेज दिया. बाल कल्याण समिति सहित गैर-जिम्मेदारों पर मामला दर्ज हुआ है.
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष भानुप्रताप जड़िया पिता मनीराम जड़िया निवासी किशोरगंज पन्ना, सदस्य अंजली भदौरिया पति योगेंद्र भदौरिया निवासी सिविल लाइन पन्ना, आशीष बोस पिता एनएन बोस निवासी सिविल लाइन पन्ना, सुदीप श्रीवास्तव पिता सरमन लाल श्रीवास्तव निवासी किशोरगंज पन्ना और प्रमोद कुमार सिंह पिता मोहन सिंह निवासी ललार जिला पन्ना के खिलाफ POCSO एक्ट की धारा 17 के तहत कायमी की गई है.
वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक कविता पांडे, काउंसलर प्रियंका सिंह, केस वर्कर शिवानी शर्मा के खिलाफ POCSO एक्ट की धारा 21 के तहत अपराध कायम किया गया है. जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी अवधेश सिंह के खिलाफ POCSO एक्ट की धारा 21, SC/ST एक्ट की धारा 4, BNS की धारा 199, 239 सहित एक अन्य महिला अंजली कुशवाहा के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम की धारा 82 के तहत अपराध दर्ज किया गया है.
अगर सही मायने में जिम्मेदार बाल कल्याण समिति सदस्य को महिला बाल विकास महकमे से सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट लेनी थी, तो उसमें यह देखा जाता कि नाबालिग बलात्कार पीड़िता का सर्वोत्तम हित है या नहीं. यह रिपोर्ट महिला बाल विकास विभाग का मैदानी अमला तैयार करता. मैदानी अमला जांच कर यह सुनिश्चित करता कि नाबालिग का संबंधित घर में सर्वोत्तम हित है, उसे किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है. तब उसे संबंधित घर में भेजा जा सकता था.
क्या है पूरा मामला
पन्ना जिले के एक गांव में रहने वाली 15 साल की नाबालिग 16 जनवरी 2025 को विद्यालय जाने के लिए घर से निकली, फिर लौटी नहीं. परिजनों ने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई. पुलिस ने मामला दर्ज कर नाबालिग को 17 फरवरी 2025 को गुरुग्राम, हरियाणा से बरामद किया. नाबालिग को भगा ले जाने वाले आरोपी के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत अपराध दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया.
नाबालिग को बाल कल्याण समिति पन्ना के समक्ष प्रस्तुत किया गया. बाल कल्याण समिति ने अस्थाई आश्रय के लिए वन स्टॉप सेंटर पन्ना भेज दिया. इसी बीच बाल कल्याण समिति ने 29 मार्च 2025 को नियम विरुद्ध तरीके से नाबालिग बलात्कार पीड़िता को आरोपी के घर भेज दिया.
कई बार बलात्कार हुआ
इधर, नाबालिग के परिजनों ने बेटी को सौंपने के लिए कलेक्ट्रेट पन्ना में जनसुनवाई में शिकायत दर्ज कराई. कलेक्टर ने शिकायत को संज्ञान में लेकर बाल कल्याण समिति को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिए. गलत और मनमाने निर्णय का खुलासा न हो, इसलिए नाबालिग को 29 अप्रैल 2025 को दोबारा वन स्टॉप सेंटर भेज दिया गया. वहां वन स्टॉप सेंटर की काउंसलिंग में खुलासा हुआ कि उसके साथ कई बार बलात्कार हुआ.
छतरपुर पुलिस सक्रिय हुई और छतरपुर एसपी अगम जैन ने मामले की जांच एडिशनल एसपी विनीता डागर की निगरानी में एसडीओपी लवकुशनगर और थाना प्रभारी जुझारनगर को सौंपी. पुलिस ने जांच में पाया कि बाल कल्याण समिति के गलत निर्णय से ही नाबालिग दोबारा रेप का शिकार हो गई.
पुलिस ने जांच में यह भी पाया कि जिला कार्यक्रम अधिकारी ने FIR दर्ज कराने के बजाय पर्दा डाल रखा था. वन स्टॉप सेंटर के अमले ने भी मामले को दबाए रखा था.
एसडीओपी लवकुशनगर नवीन दुबे ने बताया, नाबालिग बलात्कार पीड़िता को आरोपी के घर भेजने का गलत निर्णय करने वालों और इसे छिपाने वालों के खिलाफ अपराध दर्ज किया है. पुलिस मामले की बारीकी से जांच कर रही है.
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