भारतीय सेना जल्द ही अपाचे AH-64E लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की पहली खेप प्राप्त कर सकती है. 15 महीनों से लंबित इस डिलीवरी के तहत कुल छह हेलीकॉप्टर मिलेंगे, जिनमें से पहले तीन जुलाई 2024 में और बाकी तीन साल के अंत तक डिलीवर किए जाएंगे. 600 मिलियन डॉलर में अमेरिका के साथ डील हुई थी.
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सेना को मिलने वाले अपाचे से परेशान पाकिस्तान (पीटीआई/सांकेतिक तस्वीर)
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना पश्चिमी क्षेत्र में लगातार अपने लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रखा है. इस बीच अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों का इंतज़ार जल्द ही खत्म होने जा रहा है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि अपाचे हेलीकॉप्टरों की पहली खेप इसी महीने भारत को अमेरिका से मिल सकता है.
15 महीने के लंबे समय से भारत इन हेलीकॉप्टरों का इंतज़ार कर रहा है. लेकिन, आख़िरकार इसकी डिलीवरी जल्द ही शुरू होने की संभावना है. इसे पश्चिमी सीमा पर तैनात किए जाने की योजना है.
आर्मी एविएशन कोर की ओर से मार्च 2024 में जोधपुर में अपाचे स्क्वाड्रन मार्च को स्थापित किया था. लेकिन, इसके गठन के बावजूद 15 महीनों से स्क्वाड्रन के पास अपाचे हेलीकॉप्टर्स नहीं थे.
भारत को अमेरिका से कुल छह अपाचे AH-64E हेलिकॉप्टर मिलने वाले हैं. पहले तीन पिछले साल मई-जून में ही डिलिवर करना था. हालांकि, ऐसा अमेरिका किया नहीं. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों से पता चला है कि अमेरिका ने तकनीकी और सप्लाई में दिक्कतों का हवाला दिया. लेकिन अब उम्मीद है कि भारत को पहली खेप में तीन हेलिकॉप्टर इसी महीने मिलेगी और बाकी तीन साल के अंत में.
अपाचे हेलीकॉप्टर अमेरिका द्वारा बनाया गया एक एडवांस हेलीकॉप्टर है. जिसे दुनिया का सबसे घातक अटैक हेलीकॉप्टर माना जाता है. इसे बोइंग नाम की कंपनी बनाती है. इसकी गति 280 किमी प्रति घंटा है. 480 किमी दूर तक यह अपने दुश्मनों को निशाना बना सकता है. ख़ास बात है कि इसमें नाइट विजन और थर्मल सेंसर लगे हुए हैं, इसकी मदद से ख़राब मौसम और रात को दुश्मनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में मदद मिलेगी. पाकिस्तान से सटे सीमा क्षेत्र में यह हेलिकॉप्टर बेहद अहम साबित होगा.
बता दें कि भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही 15 अपाचे हेलीकॉप्टर हैं. अमेरिका और भारत के बीच 2015 में इन हेलीकॉप्टर्स को लेकर डील हुई थी.