यूपी में आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. उनके लिए अब उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड का गठन होगा. जो कम्पनीज एक्ट-2013 की धारा 8 के अंतर्गत पब्लिक लिमिटेड कंपनी नॉन-प्रॉफिट आधार पर संचालित होगी. इस फैसले से न सिर्फ प्रदेश में कार्यरत लाखों आउटसोर्स कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलेगा बल्कि विभागों में लंबे समय से चली आ रही अनियमितताओं और बिचौलिया संस्कृति पर भी लगाम लगेगी.
क्यों जरूरी था निगम का गठन
यूपी कैबिनेट बैठक के बाद प्रदेश के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि प्रदेश में वर्षों से आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से सेवाएं ली जा रही थीं. लेकिन अक्सर शिकायतें मिलती थीं कि कर्मचारियों को निर्धारित मानदेय का पूरा भुगतान नहीं मिलता. ईपीएफ और ईएसआई जैसी अनिवार्य सुविधाओं का अंशदान भी कई बार रोक लिया जाता था. इस स्थिति में कर्मचारी असुरक्षित महसूस करते थे और उनका भविष्य दांव पर लगा रहता था. सरकार तक यह पीड़ा कई बार पहुंची. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे गंभीरता से लेते हुए एक ऐसे तंत्र की आवश्यकता महसूस की, जो निष्पक्ष, पारदर्शी और जवाबदेह हो. यही कारण है कि नया निगम अस्तित्व में आया है.
क्या होगा नई व्यवस्था में खास
- अब विभाग सीधे एजेंसी का चयन नहीं करेंगे, बल्कि निगम जेम पोर्टल के माध्यम से पारदर्शी प्रक्रिया से एजेंसी चुनेगा.
- आउटसोर्स कर्मचारियों को 16 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलेगा.
- वेतन हर माह 1 से 5 तारीख के बीच सीधे कर्मचारी के खाते में पहुंचेगा.
- पीएफ और ईएसआई का अंशदान सीधे खातों में जाएगा, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी.
- सेवा अवधि अधिकतम तीन वर्ष होगी.
- चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार का प्रावधान रखा गया है, ताकि योग्य और दक्ष कर्मचारी ही चयनित हों.
- किसी भी अनियमितता पर सेवा तुरंत समाप्त करने का अधिकार भी रहेगा.
- सामाजिक सुरक्षा और आरक्षण की गारंटी
आरक्षण का भी होगा पालन
वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि नए मॉडल में संवैधानिक आरक्षण का पूरा पालन होगा. एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, दिव्यांगजन, भूतपूर्व सैनिक और महिलाओं को नियमानुसार अवसर दिया जाएगा. महिलाओं को मातृत्व अवकाश का अधिकार मिलेगा. कर्मचारियों को प्रशिक्षण के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे, ताकि उनकी दक्षता बढ़े. यदि सेवा के दौरान किसी कर्मचारी की मृत्यु होती है तो 15,000 रुपये अंतिम संस्कार सहायता राशि दी जाएगी. यह प्रावधान आउटसोर्स कर्मियों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.
युवाओं के लिए अवसर
वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि कैबिनेट के इस निर्णय से लाखों युवाओं को बेहतर अवसर मिलेंगे. प्रदेश सरकार का मानना है कि यह कदम रोजगार और सुशासन दोनों को एक साथ नया आयाम देगा. आउटसोर्सिंग सेवाओं में अब किसी तरह की कटौती, देरी या धोखाधड़ी की गुंजाइश नहीं रहेगी.
यूपी कैबिनेट के अन्य बड़े फैसले
लखनऊ और कानपुर में ई-बसें
नगरीय परिवहन को आधुनिक बनाने की दिशा में सरकार ने नेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट मॉडल पर ई-बसों का संचालन करने का निर्णय लिया. लखनऊ और कानपुर समेत आसपास के कस्बों में 10-10 रूटों पर 9 मीटर लंबी एसी ई-बसें चलेंगी. प्रत्येक रूट पर कम से कम 10 बसें होंगी. यह परियोजना 12 वर्षों तक चलेगी. बसों की खरीद, निर्माण, आपूर्ति और अनुरक्षण की जिम्मेदारी निजी ऑपरेटर की होगी. किराया निर्धारण सरकार करेगी. इस मॉडल से सरकारी वित्तीय बोझ कम होगा और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार आएगा.
निर्यात प्रोत्साहन नीति 2025-30
योगी कैबिनेट ने नई निर्यात प्रोत्साहन नीति 2025-30 को मंजूरी दी. लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक पंजीकृत निर्यातकों की संख्या में 50% की वृद्धि की जाए और हर जिले को निर्यात गतिविधियों से जोड़ा जाए. नई नीति में डिजिटल तकनीक, अवसंरचना विकास, प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और बाजार विस्तार पर विशेष जोर दिया गया है. सरकार का मानना है कि इससे उत्तर प्रदेश एक ग्लोबल एक्सपोर्ट हब के रूप में स्थापित होगा.
शाहजहांपुर में नया विश्वविद्यालय
कैबिनेट ने शाहजहांपुर में स्वामी शुकदेवानंद विश्वविद्यालय की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दी. मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट की शैक्षणिक इकाइयों को उच्चीकृत कर विश्वविद्यालय बनाया जाएगा. वर्तमान में ट्रस्ट के अधीन पांच शैक्षणिक संस्थान संचालित हो रहे हैं. अब इन्हें विश्वविद्यालय के अधीन लाया जाएगा. 21.01 एकड़ भूमि पर बनने वाले इस विश्वविद्यालय से शाहजहांपुर और आसपास के युवाओं को उच्च शिक्षा के नए अवसर मिलेंगे.
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