इराक, जॉर्डन, लेबनान, तुर्की, इजिप्ट... ईरान के पड़ोसी देश इजरायल से जंग में किस तरफ खड़े दिख रहे?

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इजरायल ने बीते हफ्ते गुरुवार रात ईरान में भारी तबाही मचाई जिसके बाद से दोनों देशों के बीच हमले जारी हैं. इजरायल ने ईरान के नतांज परमाणु संवर्धन संयंत्र समेत कई परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया और उसके कई सैन्य कमांडर और परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या कर दी. ईरान ने भी जवाबी हमले शुरू किए हैं जिसके बाद सोमवार को ईरानी हमले में तेल अवीव शहर में 12 लोग घायल हो गए. दोनों देशों के बीच लड़ाई शुरू हुए 72 घंटे से अधिक हो चुके हैं और हमले में ईरान के मुताबिक, 224 लोग मारे गए हैं जिनमें अधिकांश नागरिक हैं.

इस हमले से मध्य-पूर्व में क्षेत्रीय अस्थिरता चरम पर है और पड़ोसी देशों की नजर इसपर बनी हुई है. ऐसे में जान लेते हैं कि ईरान के पड़ोसी देश इराक, जॉर्डन, तुर्की आदि किसके पक्ष में खड़े हैं.

इराक

इराक ईरान के पश्चिम में स्थित है जिसने ईरान पर इजरायली हमले की निंदा की है. शुक्रवार को इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुडानी के ऑफिस की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि इजरायल का हमला अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है और इससे क्षेत्र में व्यापक युद्ध की शुरुआत हो सकती है.

उन्होंने कहा कि ईरान के साथ जब अमेरिका की परमाणु वार्ता चल ही रही थी, ऐसे में परमाणु हथियारों का डर बताकर ईरान पर हमला करना जानबूझकर संघर्ष को बुलावा देने जैसा है.

इजरायल ने ईरान पर हमले के पीछे तर्क दिया है कि ईरान परमाणु बम बना सकता है जो उसके अस्तित्व के लिए सीधा खतरा है. 

वहीं, इराक के साथ अपनी दोस्ती को देखते हुए ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने इराक से कहा है कि वो इजरायल को हमले के लिए अपने हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करने की अनुमति न दे.

इराक के प्रधानमंत्री सुडानी के साथ फोन पर हुई बातचीत में ईरानी राष्ट्रपति पेजेश्कियान ने कहा, 'हम कहना चाहते हैं कि इराकी सरकार को अपनी सीमाओं और हवाई क्षेत्र की अधिक सतर्कता और सुरक्षा करनी चाहिए ताकि इराकी क्षेत्र का इस्लामी गणराज्य ईरान के खिलाफ दुरुपयोग न हो सके.'  

इराक में ईरान समर्थित प्रॉक्सी ग्रुप्स भी सक्रिय है और इजरायली हमले के खिलाफ ईरान के समर्थन में खड़े हैं. इराक के हिज्बुल्लाह ब्रिगेड ने कहा है कि ईरान के पास पर्याप्त सैन्य क्षमता है जिससे वो इजरायल का मुकाबला कर सकता है. संगठन ने इसके साथ ही चेतावनी दी है कि अगर इजरायल-ईरान की लड़ाई में अमेरिका शामिल होता है तो वो क्षेत्र में अमेरिकी हितों और मिलिट्री बेस को टार्गेट करेगा.

जॉर्डन

इजरायल और जॉर्डन के बीच सामान्य राजनयिक रिश्ते हैं जबकि ईरान के साथ जॉर्डन के रिश्तों में तनातनी रही है. ईरान पर इजरायल के हमलों की जॉर्डन ने निंदा नहीं की थी और उसने तनाव को देखते हुए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया था. इसके साथ ही जॉर्डन ने कहा था कि ईरान और इजरायल दोनों ही देशों को हमले के लिए वो अपना हवाई क्षेत्र इस्तेमाल नहीं करने देगा.

इजरायल के हमले के बाद ईरान ने उस पर सैकड़ों ड्रोन से हमला किया था. उसके ड्रोन्स जॉर्डन के हवाई क्षेत्र से भी गुजरे जिसे कि जॉर्डन ने मार गिराया था. जॉर्डन की सेना ने कहा था कि जो मिसाइल और ड्रोन उसके क्षेत्र से होकर गुजरे, उन्हें मार गिराया गया. इजरायल-ईरान की लड़ाई में जॉर्डन तटस्थ दिख रहा है लेकिन ईरानी ड्रोन को मार गिराने के उसके कदम को इजरायल के समर्थन में माना जा रहा है.

लेबनान

लेबनान ने ईरान पर इजरायली हमले की निंदा की है और उसने कहा है कि इससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ा है. ईरान ने जब इजरायल पर जवाबी हमले किए तब लेबनान में इसे सेलिब्रेट किया गया और लोगों ने पटाखे जलाए.

लेबनान में ईरान समर्थक प्रॉक्सी ग्रुप हिज्बुल्लाह का गढ़ है और हिज्बुल्लाह ने इजरायल के हमले की निंदा की है. हालांकि, समूह ने इजरायल के साथ सीधे युद्ध में शामिल होने को लेकर कुछ नहीं है. 

कुछ समय पहले ही इजरायल ने हिज्बुल्लाह के खिलाफ बड़े पैमाने पर हमले किए थे जिसमें उसके शीर्ष सैन्य कमांडर मारे गए थे. पेजर और वॉकी-टॉकी ब्लास्ट के जरिए इजरायल ने हिज्बुल्लाह के सैकड़ों लड़ाकों को भी मार गिराया था. ऐसे में हिज्बुल्लाह बेहद कमजोर स्थिति में है और अगर वो चाहे भी तो इजरायल के खिलाफ ईरान के साथ युद्ध में सीधे तौर पर शामिल नहीं हो सकता.

तुर्की

तुर्की ने युद्ध के लिए इजरायल की आलोचना की है. दोनों देशों के बीच युद्ध की शुरुआत से ही तुर्की क्षेत्र के नेताओं से बात कर रहा है और उसका कहना है कि क्षेत्र एक और नया युद्ध नहीं झेल सकता है. 

तुर्की के राष्ट्रपति भवन की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि इस संबंध में तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने ईरान के राष्ट्रपति पेजेश्कियान से बातचीत की है. फोन पर हुई बातचीत के दौरान एर्दोगन ने पेजेश्कियान से कहा कि इजरायल पूरे क्षेत्र को युद्ध में धकेलना चाहता है.

रविवार को तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने ओमान के सुल्तान हैतम बिन तारिक बिन तैमूर अल सईद से बात कर ईरान और इजरायल की लड़ाई पर बात की. उन्होंने कहा कि ईरान पर इजरायल के हमले से क्षेत्रीय शांति को गंभीर खतरा पहुंचा है और मध्य-पूर्व एक और नया युद्ध नहीं झेल सकता है.

उन्होंने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की आलोचना करते हुए कहा कि उनका प्रशासन वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के लिए समस्या है. एर्दोगन ने कहा कि परमाणु विवाद के समाधान का एक ही जरिया है- बातचीत.

तुर्की ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से भी बातचीत की है. उन्होंने कहा कि युद्ध से प्रभावित जगहों के लोग पलायन करेंगे और प्रवासियों का मुद्दा भी गहरा जाएगा.

मिस्र (Egypt)

ईरान पर इजरायल के हमले की पड़ोसी देश मिस्र ने निंदा की है. मिस्र का कहना है कि हमला अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन है जिससे क्षेत्र में तनाव खतरनाक रूप से बढ़ गया है. मिस्र ने कहा कि हमले से स्थिति और बिगड़ेगी और संघर्ष और व्यापक होगा जिससे क्षेत्रीय स्थिरता खतरे और खतरे में जाएगी.

गाजा में इजरायल के युद्ध की शुरुआत के बाद से मिस्र के रिश्ते उससे बेहद खराब हुए हैं. मई 2024 में इजरायल ने फिलिस्तीनी हिस्से वाले राफा बॉर्डर पर कब्जा कर लिया था जिससे मिस्र बेहद नाराज हुआ था. इजरायल के साथ खराब रिश्तों के बीच मिस्र ने ईरान के साथ अपने संबंध मजबूत किए हैं. ईरान पर इजरायल के हमले की पूरे मिस्र में आलोचना हो रही है. 

इजरायल के हमलों को लेकर मिस्र में भी डर का माहौल है और उसने अपनी मिलिट्री को हाई अलर्ट पर रखा है. मिस्र ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम की टेस्टिंग भी की है ताकि किसी भी हमले को नाकाम किया जा सके.

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