महाराष्ट्र की सियासत में ठाकरे बंधुओं की नजदीकियां लगातार बढ़ रही हैं. शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे बुधवार को अपने चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे से मिलने उनके मुंबई स्थित घर पहुंचे थे. माना जा रहा है कि उद्धव-राज निकाय चुनाव में गठबंधन कर सकते हैं.
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच बनती सियासी केमिस्ट्री के चलते कांग्रेस कशमकश में फंस गई है. महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं ने सोमवार को उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी. इस दौरान कांग्रेस नेताओं ने उद्धव से राज के साथ बढ़ते रिश्ते और संभावित गठबंधन के मुद्दे पर चर्चा की.
महाराष्ट्र की सियासत में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का साथ मिलकर निकाय चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है. ऐसे में कांग्रेस का उद्धव-राज के साथ सियासी बैलेंस बनाए रखने की चिंता और चुनौती दोनों बढ़ गई है. यही वजह है कि ठाकरे बंधुओं की केमिस्ट्री को लेकर कांग्रेस नेताओं ने पार्टी नेतृत्व के साथ बातचीत करने की बात कही थी.
उद्धव-राज ठाकरे की सियासी केमिस्ट्री
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे अपना सब कुछ गंवा चुके हैं. उद्धव की पार्टी का सफाया हो गया तो राज ठाकरे की पार्टी का खाता तक नहीं खुला. ऐसे में ठाकरे बंधु यानि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे अपने सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक दूसरे के साथ आने के संकेत दे रहे हैं. इस तरह दोनों ही नेताओं की मेल-मुलाकात तेज हो गई है.
उद्धव ठाकरे गणेश उत्सव के अवसर पर अपने पूरे परिवार के साथ राज ठाकरे के घर 'शिवतीर्थ' पहुंचे थे. अब दोबारा से बुधवार को उद्धव फिर राज ठाकरे के आवास पर पहुंचे. उद्धव के साथ उनके करीबी नेता संजय राउत और अनिल परब भी साथ थे. उद्धव और राज ठाकरे की मुलाकात को लेकर संजय राउत ने कहा कि यह मुलाकात राजनीतिक नहीं बल्कि पारिवारिक थी. उद्धव ठाकरे अपनी मौसी कुंदा ठाकरे (जो राज की मां हैं) से मिलने गए थे.
निकाय चुनाव में उद्धव-राज करेंगे गठबंधन
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच कई मुलाकातें हो चुकी हैं. एक सप्ताह में दूसरी बार दोनों भाई मिले हैं. बुधवार की मुलाकात ढाई घंटे से अधिक समय तक चली है. संजय राउत भले ही इसे पारिवारिक मुलाकात बता रहे हों, लेकिन उसके सियासी मायने साफ हैं. मनसे के एक नेता ने जोर देकर कहा कि यह पहली बार था जब दोनों नेताओं ने औपचारिक रूप से गठबंधन की संभावना और उसकी व्यापक रूपरेखा पर चर्चा की है.
महाराष्ट्र में निकाय चुनाव होने हैं, जो ठाकरे बंधुओं के लिए अपनी सियासी साख बचाने का है. यही वजह है कि उद्धव और राज ठाकरे के बीच लगातार नजदीकियां बढ़ रही हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की दिशा में यह एक बड़ा कदम है. इस साल की वार्षिक दशहरा रैली में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ मंच पर नजर आ सकते हैं.
कांग्रेस के सामने चिंता और चुनौती
उद्धव ठाकरे से हाल ही में कांग्रेस नेताओं ने मुलाकात की थी. कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार, बालासाहेब थोराट और अमीन पटेल ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से उनके आवास मातोश्री जाकर मुलाकात की थी. इस दौरान उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस नेताओं से महा विकास अघाड़ी में राज ठाकरे की पार्टी को लेने के मुद्दे पर चर्चा की थी. कांग्रेस नेताओं ने ठाकरे के साथ शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के संभावित गठबंधन, विधान परिषद में विपक्ष के नेता पद पर कांग्रेस की दावेदारी पर चर्चा की थी.
हालांकि, कांग्रेस नेताओं ने स्पष्ट कर दिया था कि राज ठाकरे की पार्टी को 'महा विकास अघाड़ी' में शामिल करने का फैसला कांग्रेस आलाकमान द्वारा लिया जाएगा. कांग्रेस की चिंता है कि राज ठाकरे को साथ लेने से महाराष्ट्र से बाहर के राज्यों में उसका सियासी समीकरण न गड़बड़ा जाए. इसके अलावा महाराष्ट्र में उत्तर भारतीय वोटरों में भी नाराजगी बढ़ सकती है. ऐसे में कांग्रेस उद्धव ठाकरे के साथ अपनी दोस्ती को बरकरार रखते हुए राज ठाकरे के साथ अपना सियासी बैलेंस बनाए.
कशमकश की स्थिति में बीजेपी
ठाकरे परिवार के बीच बढ़ती सियासी नजदीकियों को लेकर बीजेपी भी कशमकश में है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनके पास यह समझने का कोई तरीका नहीं है कि दोनों ठाकरे भाइयों के मन में क्या चल रहा है. मैं किसी से नहीं मिला और मुझे नहीं पता कि उनके बीच क्या चल रहा है.
मुंबई बीजेपी अध्यक्ष और विधायक अमित साटम ने कहा कि इस बारे में हमें कोई इंटरेस्ट नहीं है कि कौन किससे मिल रहा है और उनके पारिवारिक रिश्ते कैसे हैं, बल्कि मेरी चिंता इस बारे में है कि अटल सेतु, कोस्टल रोड, वर्ली और आसपास के इलाकों में बीडीडी चॉल का पुनर्विकास किसने करवाया और मुंबई में सीसीटीवी कैमरों का विशाल नेटवर्क किसने स्थापित किया.
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