कर्मचारी चयन आयोग (SSC) ने भर्ती परीक्षा में पारर्दशिता बनाए रखने के लिए अपना नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में बदलाव किया है. नई प्रणाली सभी उम्मीदवारों के लिए समान और निष्पक्ष मूल्यांकन के लिए डिज़ाइन की गई है. अगर किसी शिफ्ट में पेपर कठिन या आसान था. तो भी सभी उम्मीदवारों का मूल्यांकन बराबरी से होगा, ताकि किसी को नुकसान या फायदा न मिले.
इससे पहले कठिनाई के फर्क को ध्यान में रखकर मूल्यांकन किया जाता था ताकि जिस शिफ्ट में पेपर कठिन रहा था उस शिफ्ट के कैंडिडेट्स को परेशानी ना हो. अब बदलाव करके आयोग ने समप्रतिशत विधि अपनाई है, जिससे नतीजे और ज्यादा सही और निष्पक्ष होंगे.
SSC की नई नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया क्या है
नई प्रक्रिया के तहत, औसत और अंकों में अंतर से हटकर, उम्मीदवारों की संबंधित शिफ्टों में उनकी रैंक या पर्सेंटाइल पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. उदाहरण के लिए, एक शिफ्ट में 80 प्रतिशत परीक्षार्थियों से बेहतर प्रदर्शन करने वाले उम्मीदवार को दूसरी शिफ्ट में 80% परीक्षार्थियों से बेहतर प्रदर्शन करने वाले उम्मीदवार के बराबर माना जाएगा.
यह सुनिश्चित करता है कि उम्मीदवारों का मूल्यांकन उसी पाली में उनके सहपाठियों की तुलना में किया जाए, जिससे कठिनाई स्तरों में अंतर के बावजूद विभिन्न पालियों में निष्पक्ष तुलना संभव हो सके. इससे गलत रैंकिंग नहीं होगी और मुश्किल पेपर देने वाले छात्रों को भी बराबरी का फायदा मिलेगा.
छात्रों के विरोध के बाद लागू हुए सुधार
कंप्यूटर-आधारित भर्ती परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं को लेकर सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों और कोचिंग संस्थानों द्वारा व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद, आयोग ने हाल के महीनों में कई सुधार लागू किए हैं. प्रदर्शनकारियों ने परीक्षाओं के दौरान तकनीकी गड़बड़ियों और संचालन संबंधी समस्याओं को उठाया था, जिसके कारण अधिक पारदर्शिता की मांग उठी थी.
हाल ही में जारी एक परामर्श में, SSC ने चल रही या पिछली परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों पर चर्चा, विश्लेषण या प्रसार के विरुद्ध भी चेतावनी दी है। इसने सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 (PEA अधिनियम, 2024) के सख्त प्रावधानों का हवाला दिया, जो सभी संबंधित अपराधों को संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनीय के रूप में वर्गीकृत करता है।
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