कब है ओणम? जानें क्या है इसकी खासियत और इसका भगवान विष्णु से कनेक्शन

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Onam 2025 Date: ओणम दक्षिण भारत में मनाया जाना वाला बेहद खास त्योहार है. 10 दिनों तक चलने वाला येह त्योहार इस बार 26 अगस्त से शुरू हो चुका है और यह 5 सितंबर को खत्म होगा. 5 सितंबर को ओणम का सबसे विशेष दिन होता है जिसे थिरुवोणम कहा जाता है. इस त्योहार को फसलों का त्योहार भी कहा जाता है.

ओणम है नई फसल, रंगोली और पकवान का पर्व 

ओणम को नई फसल का स्वागत करने का त्योहार भी माना जाता है. यह चिंगम महीने (मलयालम कैलेंडर का पहला महीना, अगस्त–सितंबर) में मनाया जाता है. इस समय खेतों में नई फसल तैयार होती है. इस दौरान घरों में पुक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाई भी जाती है.

ओणम त्योहार के 10 दिनों का महत्व

अथम (पहला दिन)- अथम यानी पहले दिन ओणम की शुरुआत होती है. इस दिन घर के आंगन में पुक्कलम (फूलों की सजावट/रंगोली) बनाई जाती है. लोग नए कपड़े पहनते हैं .

चिथिरा (दूसरा दिन)- पुक्कलम में और फूल जोड़े जाते हैं. घर की सफाई और सजावट की जाती है.

चोडी (तीसरा दिन)-लोग एक-दूसरे को उपहार और कपड़े देते हैं.

विषाकम (चौथा दिन)- ओणम के त्योहार के इस दिन प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत होती है.

अनिज्हम (पांचवा दिन)- प्रसिद्ध वल्लमकली (नौका दौड़) की शुरुआत होती है. लोग खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं.

थ्रिक्केट्टा (छठा दिन)- परिवार और रिश्तेदार इकट्ठा होने लगते हैं. घरों में उत्साह और तैयारियां बढ़ जाती हैं.

मूलम (सातवां दिन)- मंदिरों और सार्वजनिक जगहों पर उत्सव मनाया जाता है.

पूरदम (आठवां दिन)- इस दिन ओणम उत्सव अपने चरम पर पहुंचता है.

उत्राडम (नवां दिन)- महाबली राजा के आने की पूर्व संध्या.

थिरुवोणम (दसवा दिन)-ओणम का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. माना जाता है कि इस दिन राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने आते हैं.

ओणम क्यों खास है?

ये त्योहार नई फसल की कटाई के समय मनाया जाता है. इस तरह ये उत्सव किसानों की मेहनत और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है.

- ओणम को केरल की राज्य उत्सव का दर्जा प्राप्त है. चाहे धर्म कोई भी हो, हर वर्ग और समुदाय के लोग मिलकर इसे मनाते हैं.

- केले के पत्ते पर परोसा जाने वाला 25–30 तरह के व्यंजनों वाला भोजन, जो इस त्योहार की बड़ी खासियत है.

- पुलिकली (बाघ नृत्य), कथकली, तिरुवातिरा, वल्लमकली (नौका दौड़) और विभिन्न पारंपरिक खेल इसे खूबसूरत बनाते हैं..

- ओणम जाति, धर्म और वर्ग के भेदभाव से ऊपर उठकर सबको एक साथ लाने वाला त्योहार है.

ओणम की कथा (Onam Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, महाबली केरल के बहुत ही दयालु और न्यायप्रिय शासक थे. उनके शासनकाल में सब लोग सुखी थे. देवताओं को यह लगा कि उनकी लोकप्रियता बढ़ने से इंद्रासन डगमगा सकता है, इसलिए, भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया. वामन ने तीन पग भूमि मांगी. दो पगों में उन्होंने पूरी पृथ्वी और आकाश नाप लिया, तीसरे पग में महाबली ने अपना सिर अर्पित कर दिया. विष्णु ने उनके बलिदान और भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि वे साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने आ सकते हैं. माना जाता है कि ओणम पर महाबली अपनी प्रजा से मिलने आते हैं.

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