नेपाल की Gen-Z क्रांति के बाद अब काठमांडू, पोखरा, वीरगंज जैसे शहरों में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है. नेपाली सेना ने मंगलवार को त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को कंट्रोल में ले लिया है. यहां प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार शाम को हवाई अड्डे के परिसर में घुसने की कोशिश की थी. नेपाल प्रदर्शनों के मद्देनजर हवाई अड्डे पर उड़ान सेवाएं आंशिक रूप से निलंबित कर दी गईं. पीएम पद से इस्तीफा दे चुके के पी शर्मा ओली नेपाल में ही है लेकिन सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं.
इस बीच दुनिया भर की मीडिया ने नेपाल में ओली की सरकार गिरने, सोशल मीडिया के बहाने सरकार के खिलाफ निकला युवाओं का गुस्सा और इस छोटे से हिमालयन स्टेट में मचे उथल-पुथल की खबर को तरजीह दी है.
ब्रिटेन से प्रकाशित होने वाले द गार्जियन ने इन प्रदर्शनों को एक व्यापक सामाजिक आंदोलन के रूप में चित्रित किया. जो केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध तक सीमित नहीं था, बल्कि नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार से उपजा था.
अखबार लिखता है कि, 'नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और धीमी आर्थिक विकास की वजह से, खासकर युवा पीढ़ी में असंतोष बढ़ रहा है. नेपाल की बड़ी आबादी को काम की तलाश में विदेश यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
वरिष्ठ राजनीतिक हस्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई हाई-प्रोफाइल मामले सुर्खियों में रहे हैं और सोशल मीडिया देश के राजनीतिक अभिजात वर्ग के बच्चों की विलासितापूर्ण खर्च करने की आदतों की तस्वीरों से भरा पड़ा है. इससे आम नेपालियों में आर्थिक तंगी और बेरोजगारी का सामना करने के कारण आक्रोश बढ़ रहा है.
वॉशिंगटन पोस्ट ने नेपाल के प्रदर्शनों को भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ युवाओं के गुस्से से प्रेरित बताया. अखबार के अनुसार पुलिस द्वारा घातक बल के उपयोग और 19 लोगों की मौत हुई. अखबार यह भी लिखता है कि प्रदर्शनकारी मुख्य रूप से युवा थे जो सरकार की नीतियों से असंतुष्ट थे.
चीन के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने नेपाल के इस घटनाक्रम पर लंबी रिपोर्ट प्रकाशित की है.
अखबार लिखता है कि राजधानी काठमांडू में अव्यवस्था का आलम है. मंगलवार को भी सरकार के खिलाफ गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा था, प्रदर्शनकारी अधिकारियों द्वारा लगाए गए अनिश्चितकालीन कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए राजधानी काठमांडू में संसद और अन्य स्थानों के सामने एकत्र हुए.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने लिखा है, "पिछले साल ओली के चौथे कार्यकाल की शुरुआत के बाद से तीन करोड़ की आबादी वाले इस हिमालयी राष्ट्र में राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और धीमी आर्थिक विकास को लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा है."
"सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 15 से 40 वर्ष की आयु के लोग कुल जनसंख्या का लगभग 43 प्रतिशत हैं - जबकि विश्व बैंक के अनुसार, बेरोज़गारी दर लगभग 10 प्रतिशत है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद केवल 1,447 अमेरिकी डॉलर है."
चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने इस अहम घटनाक्रम पर ज्यादा कुछ नहीं कहा है. शिन्हुआ ने ओली के इस्तीफे पर एक छोटी सी रिपोर्ट प्रकाशित की है.
अल जजीरा ने नेपाल की क्रांति पर विस्तार से कवरेज की है. अल जजीरा की अंग्रेजी वेबसाइट ने एक रिपोर्ट में कहा है कि हमने सांस्कृतिक कार्यक्रमों और मौज-मस्ती के साथ एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई थी."
"शुरुआती कुछ घंटों तक सब कुछ योजना के अनुसार ही चला जब तक कि कुछ बाहरी ताकतें और राजनीतिक दल के कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हो गए और सशस्त्र बलों को उकसाया और पथराव नहीं किया."
अल जजीरा के अनुसार आयोजकों ने उन खास दलों या बाहरी एजेंटों का नाम नहीं लिया है जिन्हें वे हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं. हालांकि अल जजीरा के अनुसार कुछ प्रदर्शनकारी संसद परिसर में घुसने के लिए दीवारों पर चढ़ने लगे तभी सुरक्षा बलों ने जवाबी गोलीबारी की.
जिन प्रदर्शनकारियों को गोली लगी, उनमें से कुछ स्कूली बच्चे थे जो अभी भी अपना यूनिफॉर्म पहने हुए थे.
अल जजीरा ने उस प्रदर्शनकारी से बात की है जिसने न्यू बानेश्वर में बने असेंबली बिल्डिंग की दीवारों पर लगे सीसीटीवी पर पत्थर फेंककर तोड़ दिया.
इस शख्स ने कहा, "सरकार ने कर्फ्यू लगा दिया था, जिसे मंगलवार को बढ़ा दिया गया, लेकिन इसका विरोध हुआ. "यह केपी ओली के लिए है" इस शख्स ने प्रधानमंत्री की ओर इशारा किया और चिल्लाते हुए सीसीटीवी की ओर पत्थर फेंका और उसकी मिसाइल ने कैमरा तोड़ दिया.
बांग्लादेश का अखबार 'द डेली स्टार' ने अपने लेख में नेपो किड्स को परिभाषित किया है.
अखबार ने लिखा है कि नेपाल की सरकार ने अपने देश में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध तब लगाया था जब नेपाल में राजनीतिक अभिजात्य वर्ग और उनके बच्चों - जिन्हें "नेपो किड्स" कहा जाता है - को निशाना बनाकर एक वायरल ऑनलाइन अभियान जोर पकड़ रहा था.
'द डेली स्टार' ने लिखा है कि, "हॉलीवुड के मशहूर शब्द "नेपो बेबी" से प्रेरणा लेते हुए नेपाली यूजर्स ने राजनेताओं के बच्चों की विलासितापूर्ण जीवनशैली को उजागर करना शुरू कर दिया और उन पर सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया.
टिकटॉक और रेडिट पर पोस्ट, जिन्हें कुछ ने दस लाख से भी ज़्यादा बार देखा में इनकी विदेश यात्रा, विलासितापूर्ण खरीदारी और कथित अधिकार को उजागर किया गया.इससे युवा नागरिकों में आक्रोश फैल गया.
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नेपाल में असली मुद्दा व्यवस्थागत भ्रष्टाचार और असमानता है.
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