कितने बैंक अकाउंट हैं आपके पास? तीन नहीं हैं... तभी तो नहीं बच रहा है पैसा? ये है गणित

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आपके पास कितने बैंक अकाउंट (Bank Account) होने चाहिए? एक, दो या तीन. अगर कहा जाए कि एक नौकरी-पेशा शख्स के पास तीन बैंक अकाउंट होना चाहिए. क्योंकि वित्तीय प्रबंधन और लक्ष्यों के आधार पर अलग-अलग खातों का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है. बैंक अकाउंट की संख्या आपके वित्तीय लक्ष्य, आय, खर्च और वित्तीय अनुशासन पर निर्भर करता है.   

दरअसल, बचत और खर्च एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. अक्सर ऐसे लोग मिल जाते हैं, जिनकी सैलरी (Salary) या कमाई लाखों में है. लेकिन बचत के नाम पर उनके पास कुछ नहीं, यानी जो भी कमाई, सब खर्च. 

सच तो ये है कि बचत (Saving) के लिए कमाई का दायरा तय नहीं होता है. आप अपने भविष्य को लेकर सजग कितने ये महत्वपूर्ण है. कई दफा कम आमदनी वाले भी मोटी रकम जोड़ लेते हैं, जबकि कुछ लोग अच्छी-खासी सैलरी के बावजूद भी बचत नहीं कर पाते. इसलिए सबसे पहले आपको बचत, खर्च और निवेश के बीच तालमेल बैठाना होगा. 

आय और खर्च के बीच तालमेल जरूरी
अक्सर लोग शिकायतें होती हैं कि कमाई तो ठीक-ठाक है. लेकिन पैसे कहां खर्चे हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता. ये पूरा मामला मिस मैनेजेमेंट का है. ऐसे लोगों के पास खर्च की कोई लिस्ट नहीं होती. आज हम आपको बचत, खर्च और निवेश के बारे में विस्तार से बताते हैं. इन तीनों का सीधा संबंध आपके बैंक खातों से हैं. अगर आपके पास तीन बैंक खाते होंगे, तो फिर आप वित्तीय तौर पर सफल हो सकते हैं. जानिए तीन बैंक अकाउंट कैसे आपको वित्तीय तौर पर आत्मनिर्भर करेगा. 

पहला अकाउंट (1st Account): अगर आप जॉब (Job) करते हैं, तो आपको हर महीने सैलरी (Salary) मिलती होगी, जो अकाउंट में डिपॉजिट होती होती है. अगर आपका कोई बिजनेस (Business) है तो आपके पास करेंट अकाउंट (Current Account) जरूर होगा. सैलरी अकाउंट को इनकम अकाउंट (Income Account) भी नाम दे सकते हैं. निवेश के पहले कदम के तौर पर सैलरी के अलावा आपकी जो भी आय (Income) है, उसे भी हर महीने इसी खाते में डालें. जिससे ये आपको पता चल जाएगा कि आपकी कुल आमदनी कितनी है. 

दूसरा अकाउंट (2nd Account): पहले बैंक खाते (Bank Account) से आपको पता चल जाएगा कि आपकी मंथली आदमनी कितनी है, फिर उसमें से महीनेभर के खर्च को दूसरे बैंक खाते में ट्रांसफर कर दें. यानी दूसरे खाते की पहचान खर्च के रूप में होगी. इसे Spend Account नाम दे सकते हैं. इस अकाउंट में महीनेभर के खर्च की राशि होगी. जिसमें से आप जरूरत के हिसाब से खर्च कर सकेंगे.

तीसरा अकाउंट ((3rd Account): जब आप बचत और खर्च के बीच तालमेल बिठा लेंगे तो फिर आपका अगला कदम निवेश होगा. यानी खर्च के बाद पहले अकाउंट (सेविंग) में जो भी रकम बचेगी, उसे आप कहीं भी निवेश कर सकते हैं. लेकिन उसे निवेश करने के लिए आपको अलग से बैंक खातों की जरूरत होगी. 

बता दें, सैलरी आते ही सबसे पहले आपको तय करना है कि आपको हर महीने कितना निवेश करना है, और उस अमाउंट को पहले अकाउंट से सीधे तीसरे अकाउंट में यानी निवेश खाते (Invest Account) में ट्रांसफर कर दें. जिसके बाद इस खाते से हर महीने निवेश करें. हालांकि, शुरुआत में बहुत ज्यादा रकम से निवेश की शुरुआत न करें, इससे आपके घर का बजट बिगड़ सकता है. लेकिन आय आय बढ़ने के साथ निवेश को बढ़ाते रहें. 

एक साल तक अपनाएं ये फॉर्मूला

कुल मिलाकर आपके पास तीन बैंक अकाउंट होना चाहिए. पहले में आमदनी का ब्योरा हो, दूसरे में महीनेभर के खर्च का लेखा-जोखा और तीसरे में निवेश के लिए फंड. जब आप लगातार कम से कम एक साल तक इस रूटीन को फॉलो करेंगे तो आपकी ये शिकायत दूर हो जाएगी कि आमदनी तो काफी है. लेकिन पैसा कहां खर्च हो जाता है ये पता ही नहीं चलता है. 

हालांकि हर व्यक्ति की वित्तीय स्थिति अलग होती है. अगर आपकी आय सीमित है या आप आसान प्रबंधन चाहते हैं, तो एक या दो खाते भी पर्याप्त हो सकते हैं. कई खाते रखने से पैसे को अलग-अलग उद्देश्यों के लिए व्यवस्थित करना आसान होता है, लेकिन इसके लिए अनुशासन और समय की जरूरत होती है. अगर आप तीन अकाउंट रखते हैं तो उस बैंक को चुनें जहां मिनिमम बैलेंस की आवश्यकता नहीं होती है. 

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