शिक्षा और साक्षरता किसी भी समाज के विकास का सबसे बड़ा कारक होती है. लेकिन समाज के हर नागरिक के पास न्यूनतम शिक्षा हासिल करने तक के साधन नहीं हैं. कुछ देशों में गरीबी और भुखमरी इसकी बड़ी वजह है, तो कुछ जगहों पर जंग की वजह से किताबों तक बच्चों की पहुंच संभव नहीं है. ऐसे में विश्व साक्षरता दिवस पर हम उन पांच देशों के बारे में बताएंगे, जहां संघर्ष के चलते साक्षरता की दर सबसे कम है और वहां जंग ही किताबों की सबसे बड़ी दुश्मन बन गई है.
जंग के बीच तबाह होते स्कूल
संघर्ष क्षेत्रों यानी कंफ्लिक्ट जोन में जंग की वजह से न केवल जान-माल का नुकसान होता है, बल्कि शिक्षा से भी लोगों की पहुंच से दूर हो जाती है. एक शिक्षित समाज शांति और विकास की नींव रख सकता है, लेकिन 'अगर लोग पढ़-लिख गए तो जंग कौन लड़ेगा?' इसी नारे के साथ जंग के झंडाबरदार सबसे पहले लोगों को शिक्षा से दूर करते हैं, ताकि उन्हें संघर्ष में धकेला जा सके. दुनिया के सबसे कम साक्षरता वाले पांच कंफ्लिक्ट जोन- चाड, माली, बुर्किना फासो, साउथ सूडान और अफगानिस्तान जैसे देश इसकी सबसे ताजा मिसाल हैं.
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इन क्षेत्रों में साक्षरता दर 35% से भी कम है, जो वैश्विक औसत (86.3%) से काफी नीचे है. युद्ध, गरीबी, जातीय संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी ने शिक्षा प्रणाली को तबाह कर दिया है. यूनेस्को और वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्टों में इन संघर्ष क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर और साक्षरता दर के बारे में बताया गया है.
चाड
अफ्रीकी देश चाड में साक्षरता दर करीब 27% है, जो कि दुनियाभर में सबसे कम है. यहां 15 साल से ज्यादा उम्र के सिर्फ 27% लोग ही पढ़-लिख पाते हैं, जिसमें महिलाओं की दर सिर्फ 13-15% है. पुरुषों में यह 48% के आसपास है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर और भी कम है. शिक्षा बजट जीडीपी का सिर्फ 2.6% है और ग्रामीण इलाकों में स्कूलों की कमी की वजह से लाखों बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित हैं. चाड में कई मोर्चों पर हिंसा जारी है. चाड बेसिन में बोको हराम और इस्लामिक स्टेट वेस्ट अफ्रीका प्रोविंस जैसे इस्लामी चरमपंथी गुट एक्टिव हैं, जो नागरिकों पर हमले करते हैं.
साल 2025 में चाड के दक्षिणी क्षेत्रों में चरवाहों और किसानों के बीच संसाधनों को लेकर संघर्ष बढ़े हैं. सुडान युद्ध से चार लाख से ज्यादा शरणार्थी चाड पहुंचे, जो शिक्षा संसाधनों पर दबाव बढ़ा रहे हैं. युद्ध की वजह से यहां 13 हजार से ज्यादा स्कूल बंद हो गए, जिससे करीब 80 हजार से बच्चे प्रभावित हुए हैं. रूढ़िवादी सोच की वजह से लड़कियों की साक्षरता पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है और उन्हें घर से निकलने तक की मनाही है.
माली में साक्षरता दर करीब 31 फीसदी है, जिसमें वयस्क साक्षरता दर 33% है. यहां महिलाओं की साक्षरता दर 25% से भी कम है और पुरुषों में 43% है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह बिल्कुल अलग हो जाती है. स्कूलों की कमी की वजह से 20 लाख बच्चे शिक्षा से दूर हैं. माली, साहेल क्षेत्र का सेंटर है, जहां जिहादी गुटों का कब्जा है. 2025 में इस्लामी आतंकी संगठन JNIM ने शहरों पर हमले तेज किए हैं और माली आर्म्ड फोर्सेज (MAF) की ओर से भी जवाबी कार्रवाई की गई है. इससे हाल के दिनों में नागरिकों पर अत्याचार बढ़े हैं.
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माली के उत्तरी क्षेत्र में तुआरेग विद्रोही और तालिबान के बीच संघर्ष बढ़ा है, जिसमें इस साल अब तक 400 मौतें हो चुकी हैं. माली में क्षेत्रीय अलगाव काफी बढ़ गया है और कुल 70 लाख लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.
बुर्किना फासो
पश्चिमी अफ्रिकी देश बुर्किना फासो में साक्षरता की दर करीब 38 फीसदी है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह 25% से भी कम है, महिलाओं की दर 27%, पुरुषों की 50% के करीब है. अपर्याप्त शिक्षा बजट और स्कूलों की कमी के कारण 21% बच्चे स्कूली शिक्षा से दूर हैं. बुर्किना फासो साहेल का सबसे प्रभावित देश है, जहां JNIM ने बड़े हमले किए और 2025 में हिंसा की सात हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं, जिसमें 6 हजार लोगों ने जान गंवाई.
बुर्किना फासो से 20 लाख से ज्यादा लोगों का विस्थापन हुआ है औऱ करीब 60 लाख लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं. देश में जंग की वजह से छह हजार से ज्यादा स्कूल बंद हुए हैं, जिसका असर 8 लाख से ज्यादा छात्रों पर पड़ा है. लड़कियों की साक्षरता सबसे ज्यादा प्रभावित है, क्योंकि हिंसा और गरीबी उन्हें शिक्षा से दूर रखती है.
साउथ सूडान
साउथ सूडान में हालात बेहद खराब हैं. पहले से ही गरीबी और संसाधनों की कमी की मार झेल रहे देश को संघर्ष ने बदतर बना दिया है. यहां साक्षरता की दर 32 फीसदी के करीब है. देश में 25% महिलाएं और 39% पुरुष साक्षर हैं. युद्ध ने शिक्षा प्रणाली को बर्बाद कर दिया और करीब 28 लाख बच्चे स्कूलों से दूर हैं. साउथ सूडान में जातीय संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता जारी है. 2025 में जंग की वजह से सवा लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं.
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देश में फिलहाल 55 लाख के करीब लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं और 20 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं. साल 2025 में चुनाव टलने से अस्थिरता और बढ़ी है. दो हजार से ज्यादा स्कूल बंद हुए हैं, जिससे तीन लाख बच्चे प्रभावित हैं. लड़कियों की साक्षरता सबसे खराब हालत में है, क्योंकि बाल विवाह और हिंसा लगातार बढ़ रही है.
अफगानिस्तान
भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में साक्षरता दर 37 फीसदी के करीब है, जिनमें महिलाओं की 24% और पुरुषों की 55% फीसदी है. तालिबान शासन ने लड़कियों की माध्यमिक शिक्षा पर प्रतिबंध लगाया है जिससे वहां 14 लाख लड़कियां प्रभावित हैं. तालिबान शासन के बाद भी IS-K (इस्लामिक स्टेट खुरासान) के हमले जारी हैं. हाल के दिनों में तालिबान ने महिलाओं पर प्रतिबंध बढ़ाए, जिससे मानवीय संकट गहरा गया है.
देश में दो करोड़ से ज्यादा लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है और लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध से साक्षरता दर में काफी गिरावट आई है. युद्ध ने स्कूलों को बर्बाद कर दिया है.
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