दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने मथुरा जिले के अनेरदा गढ़ी गांव में छापा मारकर एक अवैध हथियार फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया. पानी से लबालब भरे तीन किलोमीटर लंबे रास्ते में कहीं 3 फीट तो कहीं 8 फीट तक गहराई थी. मोबाइल नेटवर्क ठप, अंधेरा छाया हुआ और चारों ओर सन्नाटा, लेकिन इसके बावजूद पुलिस टीम हथियारों के अवैध अड्डे तक पहुंचकर अपने ऑपरेशन को अंजाम दिया.
दिल्ली पुलिस उपायुक्त (उत्तर) राजा बंथिया ने बताया कि पुलिस टीम को अवैध हथियार फैक्ट्री तक पहुंचने में करीब दो घंटे लगे. जलमग्न खेत, रोशनी की कमी और संचार बाधित होने की चुनौती के बावजूद पुलिस ने न केवल फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया, बल्कि वहां मौजूद आरोपी शिवचरण (60) को भी दबोच लिया. वापसी के वक्त पानी से भरे खेतों का फायदा उठाकर शिवचरण ने फरार होने की कोशिश की थी.
उसने पुलिस को चकमा देने के लिए रास्ता बदलने लगा, लेकिन पुलिस ने सतर्कता दिखाते हुए उसे धर दबोचा. ग्रामीणों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि फैक्ट्री के पास बाहरी लोगों को रोकने के लिए आरोपी ने दो कुत्ते पाल रखे थे. ये कुत्ते फैक्ट्री के चारों ओर पहरेदार की तरह तैनात रहते थे. शिवचरण ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि वो पहले अपने साथी हनवीर के साथ काम करता था.
हनवीर को हाल ही में अलीगढ़ में हुई छापेमारी में गिरफ्तार किया गया था. उसने बाद में एक और कारखाना शुरू किया, जबकि शिवचरण अकेले ही मथुरा वाले कारखाने को संभाल रहा था. दोनों का काम बंटा हुआ था. हथियारों का निर्माण और आपूर्ति हनवीर के जरिए होती थी और मुनाफा बराबर-बराबर बांटा जाता था. पुलिस की छापेमारी में फैक्ट्री परिसर से हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद हुआ है.
इसमें 14 देसी पिस्तौल (9 सिंगल बैरल और 5 डबल बैरल), एक मस्कट गन, 350 से ज्यादा पिस्तौल बनाने का कच्चा माल, 50 बैरल, 28 बैरल पाइप, लकड़ी के हैंडल और कई अन्य पुर्जे मिले. हथियार बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली आधुनिक मशीनें भी जब्त की गईं, जिनमें एक ड्रिल मशीन, कटर, ग्राइंडर और आरी शामिल हैं. यह पूरी कार्रवाई अलीगढ़ में हुई बरामदगी के महज 10 दिनों के भीतर हुई है.
पुलिस को शक है कि यह कोई छोटा कारखाना नहीं, बल्कि एक संगठित हथियार सिंडिकेट का हिस्सा है. सिंडिकेट के बाकी सदस्यों का पता लगाने के लिए पुलिस अब आगे की जांच कर रही है. दिल्ली पुलिस का यह थ्रिलर ऑपरेशन न केवल हथियारों के काले कारोबार पर करारा प्रहार है, बल्कि इसने यह भी साबित किया कि अवैध हथियार बनाने वाले कितनी चालाकी से दुर्गम जगहों में अपने अड्डे छुपा रहे हैं.
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