रूस से तेल खरीदना बंद करें, NATO को ट्रंप का पत्र... चीन पर भी 50 से 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने को कहा

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15 अगस्त 2025 ये वो तारीख़ थी, जिसपर दुनिया की निगाहें टिकीं थीं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में यूक्रेन जंग को लेकर वार्ता हुई. उम्मीद जताई जा रही थी कि तीन साल से चले आ रहे युद्ध का अंत होगा, पर ऐसा हुआ नहीं. ट्रंप अभी भी इस युद्ध की समाप्ति के लिए पुरज़ोर कोशिश में जुटे हैं. 

डोनाल्ड ट्रंप ने नाटो के सदस्य देशों के नाम एक पत्र लिखा. उन्होंने नाटो देशों से रूस से तेल खरीदना बंद करने का आग्रह किया. साथ ही उन्होंने प्रस्ताव रखा कि जब तक यूक्रेन-रूस के बीच युद्ध की समाप्ति नहीं होती है तब तक चीन पर 50 से 100 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाए. युद्ध के खत्म होने के बाद इन प्रतिबंधों को हटा दिया जाएगा. चीन का रूस पर मजबूत नियंत्रण है, और ये शक्तिशाली टैरिफ उस नियंत्रण को तोड़ देंगे.

ट्रंप ने कहा कि मैं रूस पर बड़े पैमाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हूं. ज़रूरत है कि नाटो देश रूस से तेल खरीदना बंद करें. कुछ नाटो के सदस्य देश अभी भी रूस से तेल ख़रीद रहे हैं, जिसकी वजह से बातचीत और दबाव की ताक़त कम हो रही है. 

उन्होंने कहा, अगर नाटो इस तरह का कदम नहीं उठाता है तो अमेरिका का समय, पैसा और एनर्जी बरबाद जाएगा. इसलिए ज़रूरत है कि रूस की मदद करने वाले देशों पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाएं. 

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ट्रंप ने रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर पहले ही अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ़ लगा रखा है, जिससे भारत पर लगने वाला कुल टैरिफ 50 फीसदी पहुंच जाता है. 

अमेरिकी राष्ट्रपति पहले भी कई बार धमकी दे चुके हैं अगर चीन और भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखाता है तो उन पर और कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. 

इसी सप्ताह ब्रिटेन ने रूस से जुड़े नए प्रतिबंधों को लागू किया है, जिसका उद्देश्य साफ़ है कि रूस को आर्थिक रूप से कमजोर किया जाए. ब्रिटेन ने रूस से जुड़े 70 तेल परिवहन जहाजों पर प्रतिबंध लगाया है और साथ ही 30 कंपनियों और व्यक्तियों पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं. ये लोग या कंपनियां रूस को शक्तिशाली हथियार बनाने के लिए आवश्यक चीजें मुहैया करवाते थे. जैसे - केमिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और विस्फोटक सप्लाई. इनमें तुर्किये और चीन की भी कंपनियां शामिल हैं.

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