Teachers Day 2025: हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. आमतौर पर इस दिन बच्चे टीचर को हैप्पी टीचर डे कहकर शुभकामनाएं देते हैं, लेकिन बदलते कुछ सालों में बच्चों ने कई वर्चुअल टीचर भी बना लिए हैं. आज के डिजिटल युग में बच्चे भी डिजिटल प्लेटफार्म और AI का इस्तेमाल पढ़ने के लिए कर रहे हैं.
बच्चे करते हैं इंटरनेट पर सर्च
साल 2025 खत्म होने तक भारत में 900 मिलियन इंटरनेट यूजर हो जाएंगे. यह इस बात को साबित करता है कि भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है. आज के समय बच्चे अगर किसी टॉपिक को समझना चाहते हैं तो सबसे आसानी से मिलने वाली चीज उनके लिए डिजिटल प्लेटफार्म बन गए हैं. यूट्यूब, अनअकेडमी, फिजिक्स वाला जैसे डिजिटल प्लेटफार्म पर उपल्बध कंटेंट बच्चों को किसी भी समय उपलब्ध हो जाता है. आज के समय में घर बैठे ये प्लेटफार्म बच्चों को काफी कुछ सिखाने में मदद कर रहे हैं.
सरकार भी देती है डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा
सरकार भी डिजिटल शिक्षा को बढ़ाने की दिशा में काम करती रहती है. सरकार दीक्षा जैसे प्लेटफार्म जो की भारतीय सरकार द्वारा शुरू किया गया एक नेशनल एजुकेशन प्लेटफार्म है, उनकी मदद से डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देती रहती है, दीक्षा 2017 में लॉन्च हुआ था, दीक्षा के अनुसार इसमें अभी के समय, 1.32 लाख रोजाना एक्टिव यूजर हैं और 1.95 करोड़ यूजर रजिस्टर हैं. आप इसकी आधिकारिक साइट diksha.gov.in पर जाकर अपडेटेड डाटा चैक कर सकते हैं.
AI भी बन चुका है टीचर
स्टूडेंट आजकल हर काम के लिए AI की मदद लेते हैं. अगर उन्हें कोई जानकारी लेनी होती है तो ChatGPT, Google Gemini जैसे AI टूल्स का इस्तेमाल करते हैं. एक तरीके से स्टूडेंट्स ने AI को अपना टीचर बना लिया है. आज के समय में कई स्कूलों में भी AI के बारे में पढ़ाया जा रहा है. ये सारी चीजें बता रही हैं कि आने वाले समय में AI की भूमिका एजूकेशन क्षेत्र में और भी ज्यादा बढ़ने वाली है.
क्या सच में बन सकता है AI बच्चों का टीचर?
AI या डिजिटल प्लेटफार्म हमें काफी जानकारी देते हैं लेकिन जो चीज एक टीचर असल में सीखा सकता है, वो प्लेटफार्म नहीं सीखा सकते हैं. एक टीचर स्टूडेंट को शिक्षा के साथ अनुशासन भी सिखाता है. टीचर सही और गलत का फर्क और बच्चों को जीवन के मूल्य भी सिखाता है, जो कि शायद AI और कोई डिजिटल प्लेटफार्म उन्हें नहीं बता सकता.
AI से पढ़ने वाले बच्चों को फिर टीचर के गाइडेंस की जरूरत पड़ सकती है. बिना गाइडेंस के बच्चों की भावनात्मक और सामाजिक समझ मेें कमी रहने का खतरा हो सकता है. माना जाता है कि असली शिक्षा तभी संभव हो सकती है जब तकनीक और इंसान दोनों मिलकर साथ में काम करें.
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