तख्तापलट के दो दिन बाद भी नेपाल में नई सरकार को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. नए-नए नाम और चेहरों को लेकर भ्रम लगातार बना हुआ है. इस बीच आर्मी हेडक्वार्टर के बाहर Gen-Z समर्थकों के बीच आपस में ही मारपीट हुई. आर्मी हेडक्वार्टर के बाहर युवाओं के बीच बहस हुई और फिर युवा आपस में ही भिड़ गए. आर्मी हेडक्वार्टर में अंतरिम सरकार बनाने को लेकर बातचीत चल रही है. इस बीच Gen-Z प्रदर्शनकारी दो गुटों में बंट गए हैं. आज उनके बीच मतभेद तब चरम पर पहुंच गया जब वो आपस में ही भिड़ गए और बीच सड़क पर उनके बीच मारपीट हुई है.
बता दें कि आज काठमांडू में नेपाली सेना के मुख्यालय के बाहर Gen-Z आंदोलनकारियों का एक गुट इकट्ठा हुआ और उसने अंदर जल रही बातचीत को सार्वजनिक करने की मांग की. युवाओं ने चेतावनी दी कि वो आंदोलन को बेचने यानी उसका सौदा करने नहीं देंगे. दरअसल, उनका गुस्सा उस वक्त भड़क गया जब उन्हें खबर मिली की सुशीला कार्की के अलावा दक्षिणपंथी नेता और मेडिकल कारोबारी दुर्गा प्रसाई को बातचीत के लिए आर्मी हेडक्वार्टर लाया गया है. दुर्गा प्रसाई की 2017 की एक तस्वीर विवादों में आई थी, जिसमें वो केपी शर्मा ओली और प्रचंड दोनों के साथ लंच करते दिख रहे हैं. दुर्गा प्रसाई ने ही मार्च में राजशाही के समर्थन में आंदोलन को खड़ा किया था और वो हवा का रुख देख कर पलटी मारने में माहिर माने जाते हैं.
कुलमन घीसिंग के नाम पर चर्चा
दूसरी तरफ, युवाओं ने ये कह कर सुशीला कार्की का नाम खारिज कर दिया कि वो न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखना चाहते हैं और सुशीला कार्की की उम्र भी नेतृत्व के आड़े आ रही थी. इस कारण, उन्होंने इंजीनियर कुलमन घीसिंग का नाम अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए आगे बढा़या है. कुलमन घीसिंग वो शख्स हैं जिन्होंने नेपाल से लोडशेडिंग को खत्म कर दिया. 2016 में वो नेपाल विद्युत प्राधिकरण के मैनेजिंग डायरेक्टर बने. नेपाल में लंबे समय तक बिजली कटौती एक बड़ी समस्या थी. लेकिन दो साल के भीतर कुलमन घीसिंग ने न केवल बिजली कटौती से निजात दिला दी बल्कि नेपाल बिजली का निर्यात करने लगा, जिससे आर्थिक स्थिति अच्छी हुई. यही नहीं, बिजली चोरी के मामलों में उन्होंने कारोबारियों, नेताओं और अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की.
बिजली व्यवस्था में सुधार से जहां युवाओं की जिंदगी बेहतर हुई, वहीं भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी कड़ी कार्रवाई ने उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बना दिया. लेकिन केपी ओली की सरकार ने 8 साल बाद उन्हें हटा दिया और इस साल मार्च 2025 में उन्हें हटाए जाने के खिलाफ युवा सड़कों पर उतर आए थे और केपी ओली का पुतला जलाया था. तब के पी ओली ने उन्हें पुलिस की ताकत से कुचल दिया था, मगर अब युवा उन्हीं कुलमन घीसिंग को अंतरिम सरकार का मुखिया बनाना चाहते हैं.
क्यों खारिज हुआ सुशीला कार्की का नाम?
वहीं जहां तक सुशीला कार्की की बात है तो युवाओं ने कहा कि पूर्व चीफ जस्टिस सुशाला कार्की का नाम कल समर्थन में रखा गया, लेकिन संविधान, कानून, पद का मान और न्यायपालिका की गरिमा को देखते हुए उन्हें आगे लाना उचित नहीं माना गया. वहीं संविधान भी न्यायाधीश और पूर्व न्यायाधीश को इस पद के लिए नियुक्त करने का प्रावधान नहीं करता है. युवाओं की पसंद में सबसे आगे काठमांडू के मेयर बालेन शाह थे, लेकिन उन्होंने अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. लिहाजा अब इंजीनियर कुलमन घीसिंग को अंतरिम सरकार के नेतृत्व के लिए चुने जाने पर चर्चा जारी है.
नेपाल में अंतरिम सरकार के गठन को लेकर चल रही बातचीत के बीच Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने साफ कहा, 'हम सेना प्रमुख को सत्ता सौंपने या विदेशी हस्तक्षेप के पक्ष में नहीं हैं. हमें एक परिपक्व व्यक्ति चाहिए जो इस भ्रम की घड़ी में देश को संभाल सके.' सेना प्रमुख ने Gen-Z नेताओं को राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और विवादास्पद कारोबारी दुर्गा प्रसाई से बातचीत करने की सलाह दी. लेकिन सोशल प्लेटफॉर्म Discord पर युवाओं ने इसका विरोध किया और कहा कि प्रसाई का उनके आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है. प्रसाई ने भी सेना प्रमुख से मुलाकात की और कहा, 'मुझे नेतृत्व में दिलचस्पी नहीं है. मेरा मकसद राजनीतिक समाधान है. चाहे बालेन हों या सुशीला मुझे कोई आपत्ति नहीं.'
77 जिलों से ली जाएगी युवाओं की राय
Gen-Z प्रतिनिधियों ने फैसला किया कि वो 77 जिलों से सभी युवाओं की राय लेकर एक संयुक्त दस्तावेज तैयार करेंगे और राष्ट्रपति और सेना प्रमुख को सौंपेंगे. Gen-Z आंदोलन का कोई एक नेता नहीं है, बल्कि कई समूहों के नेतृत्व में चल रहा है. इसीलिए आंतरिक मतभेद भी उभर रहे हैं. Gen-Z के बीच दरार की बात जहां तक हो तो दो धड़े साफ तौर पर दिख रहे हैं. एक धड़ा सेना की सक्रिय भूमिका और राजशाही की वापसी का समर्थन कर रहा है. दूसरा धड़ा लोकतांत्रिक ढांचे में युवाओं के नेतृत्व की मांग कर रहा है.
कुछ युवाओं ने भ्रष्टाचार विरोधी स्वतंत्र निकाय की स्थापना, 90 दिनों में चुनाव, चुनावी चंदे पर रोक, सख्त खर्च सीमा, विकेंद्रीकरण और उच्च पदों के लिए सख्त योग्यता मानक जैसे प्रस्ताव दिए. काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने सोशल मीडिया पर कहा, 'देश के सामने ऐतिहासिक अवसर है. कृपया धैर्य रखें और घबराएं नहीं. अंतरिम सरकार का कार्य केवल चुनाव कराना और नया जनादेश दिलाना है.' साथ ही शाह ने राष्ट्रपति पौडेल से संसद भंग कर अंतरिम सरकार बनाने का अनुरोध किया.
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