Chardham Yatra 2025: चारधाम यात्रा अब समापन की ओर पहुंच चुकी है. जहां चारों धामों के कपाट बंद होने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. जिसमें आज गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो चुके हैं. दरअसल, गंगोत्री के कपाट बंद होने का समय आज 11 बजकर 36 मिनट का था, जो कि शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. कपाट बंद करने से पूर्व की विशेष पूजा-अर्चनाओं का क्रम जारी है.
धार्मिक परंपरानुसार, अन्नकूट पर्व पर कपाट बंद होने पर गंगोत्री धाम से गंगा जी की उत्सव मूर्ति को डोली में बिठाकर मुखवा गांव ले जाया जाएगा. जहां मां गंगा की प्रतिमा गंगा मंदिर में शीतकाल में विराजमान रहेंगी. श्रद्धालु पूरे शीतकाल में मुखवा के गंगा मंदिर में दर्शन-पूजन कर सकेंगे. वहीं, जानकारी के लिए आपको बता दें कि, केदारनाथ धाम और यमुनोत्री धाम के कपाट 23 अक्टूबर को भाई दूज के दिन बंद होंगे.
क्या है गंगोत्री धाम का महत्व
गंगोत्री मंदिर, उत्तराखंड की पवित्र चार धाम यात्रा के पूजनीय धामों में से एक है. देवी गंगा को समर्पित यह पवित्र मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है . हर साल, चार धाम यात्रा पर कईं श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं. यह धाम हर साल छह महीने तक खुला रहता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस तीर्थस्थल के खुलने और बंद होने की तिथियाँ हर साल घोषित की जाती हैं.
आमतौर पर, गंगोत्री मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया के अवसर पर खुलते हैं और दिवाली के कुछ दिन बाद बंद हो जाते हैं. सर्दियों के दौरान, देवी गंगा की मूर्ति को मुखबा गांव स्थित उनके शीतकालीन निवास स्थान पर वापस लाया जाता है, जहां मंदिर के पुनः खुलने तक देवी की पूजा की जाती है.
कपाट बंद होने से पहले बढ़ती है श्रद्धालुओं की भीड़
पवित्र और महत्वपूर्ण यात्राओं में से एक गंगोत्री धाम की यात्रा में हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस धाम के दर्शन मात्र से ही जीवन के पाप मिट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. कपाट बंद होने से पहले का समय और भी महत्वपूर्ण माना जाता है, इसलिए इस अवधि में भक्तों की भीड़ काफी ज्यादा बढ़ जाती है. इस साल करीब 7 लाख 57 हजार से ज्यादा श्रद्धालु ने गंगोत्री धाम करने पहुंचे हैं.
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