कभी सड़क पर बिखरी चीनी, तो कभी पलटे ट्रक से गिरे आलू-प्याज… भीड़ जुटने और लूट मचने की खबरें अक्सर सामने आती रही हैं. लेकिन इस बार मामला और दिलचस्प है. यूपी के गोंडा जिले में डीजल से भरा एक टैंकर पलट गया और देखते ही देखते पूरा गांव मानो "पेट्रोल पंप" बन गया. ग्रामीण डिब्बा, बाल्टी और ड्रम लेकर दौड़ पड़े और मुफ्त में बहे डीजल को समेटने लगे. इस दौरान किसी ने वीडियो बना लिया जो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
नेपाल जा रहा था टैंकर
जानकारी के मुताबिक, नेपाल का एक टैंकर गोंडा डीजल डिपो से लगभग साढ़े बारह हजार लीटर डीजल लेकर नेपाल की ओर रवाना हुआ था. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था. जब यह टैंकर गोंडा-बहराइच मार्ग पर कौड़िया थाना क्षेत्र के घुचवापुर गांव के पास पहुंचा, तभी अनियंत्रित होकर सड़क किनारे पानी भरे गड्ढे में पलट गया. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि टैंकर अचानक मुड़ा, जैसे किसी को बचाने की कोशिश की गई हो. नतीजा यह हुआ कि टैंकर जोरदार आवाज़ के साथ पलटकर गड्ढे में जा धंसा. गनीमत रही कि हादसे में ड्राइवर और क्लीनर को कोई चोट नहीं आई. दोनों सुरक्षित बाहर निकल आए.
साढ़े बारह हजार लीटर डीजल गड्ढे में बहा
टैंकर पलटते ही उसमें भरा डीजल बहकर पानी से भरे गड्ढे में गिरने लगा. कुछ ही देर में चारों तरफ डीजल की तेज गंध फैल गई. यही गंध ग्रामीणों को खींच लाई. आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और "फ्री का तेल" देखने के बाद उनकी आंखों में चमक आ गई. एक-एक कर लोग घरों से डिब्बा, बाल्टी और यहां तक कि पुराने ड्रम तक लेकर दौड़े. सड़क किनारे का नजारा देखते ही बनता था.
मदद छोड़ो, पहले तेल भरो…
वायरल वीडियो में साफ सुना जा सकता है कि वहां मौजूद कुछ लोग कह रहे थे कि ये नहीं कि किसी की मदद करे, सब बस तेल भरने में लगे हैं" दृश्य वाकई चौंकाने वाला था. जहां एक ओर हादसा हुआ, वहीं दूसरी ओर मुफ्त में बहे डीजल को लेकर जश्न जैसा माहौल था. वीडियो में दिखाई दे रहा है कि लोग बाल्टियों से पानी-डीजल अलग करने की कोशिश कर रहे थे. कई ग्रामीण इस काम में इतने मग्न थे कि पुलिस के आने तक किसी ने सोचा तक नहीं कि यह कितना खतरनाक हो सकता है.
पुलिस पहुंची, क्रेन मंगवाकर निकाला टैंकर
घटना की सूचना मिलते ही आर्यनगर पुलिस चौकी इंचार्ज अरुण द्विवेदी टीम के साथ मौके पर पहुंचे. उन्होंने तुरंत क्रेन मंगवाकर टैंकर को बाहर निकलवाने की व्यवस्था की. पुलिस ने लोगों को वहां से हटाने की कोशिश भी की, लेकिन तब तक दर्जनों लीटर डीजल ग्रामीण अपने-अपने बर्तनों में समेट चुके थे. अरुण द्विवेदी ने बताया कि ड्राइवर और क्लीनर पूरी तरह सुरक्षित हैं और कोई जनहानि नहीं हुई. फिलहाल टैंकर को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है.
सोशल मीडिया पर चर्चा
जैसे ही घटना का वीडियो वायरल हुआ, सोशल मीडिया पर लोगों ने तरह-तरह की टिप्पणियां करनी शुरू कर दीं. किसी ने लिखा कि मुफ्त का माल, कौन छोड़ेगा? तो किसी ने इसे गरीबी और मजबूरी से जोड़कर देखा. वहीं, कई लोगों ने चेताया कि इस तरह सीधे डीजल के संपर्क में आना सेहत और सुरक्षा, दोनों के लिहाज से खतरनाक है. वहीं, एक यूजर ने तो मजाक उड़ाते हुए लिखा—गोंडा का हर घर अब बना मोबाइल पेट्रोल पंप.
खतरे से भरी जुगत
विशेषज्ञ बताते हैं कि पानी और डीजल को अलग करना आसान नहीं होता. ग्रामीणों द्वारा इकट्ठा किए गए डीजल का उपयोग सीधे गाड़ियों में करने से इंजन खराब हो सकता है, साथ ही आग लगने का खतरा भी बढ़ सकता है. बावजूद इसके, मौके पर मौजूद लोगों के लिए उस समय सबसे अहम बस इतना था कि "मुफ्त का तेल" मिल रहा है.
प्रशासन की चिंता
इस घटना ने प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती भी खड़ी कर दी है. सवाल उठ रहा है कि आखिर इतनी बड़ी मात्रा में डीजल सड़कों पर कैसे बर्बाद हो गया और लोगों ने सुरक्षा नियमों की धज्जियां कैसे उड़ाईं. पुलिस और प्रशासन का कहना है कि भविष्य में ऐसे हादसों से निपटने के लिए सुरक्षा उपायों को और पुख्ता किया जाएगा.
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