जंगलों को काटना न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि इंसानों की जिंदगी को भी सीधा खतरा पैदा कर रहा है. एक नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 20 सालों (2001-2020) में उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में जंगलों की कटाई की वजह से लगभग 5 लाख से ज्यादा लोग गर्मी से जुड़ी बीमारियों के कारण मारे गए हैं.
यह अध्ययन नेचर क्लाइमेट चेंज पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, जिसमें ब्राजील, घाना और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने मिलकर काम किया. जंगलों की कटाई से स्थानीय तापमान बढ़ता है, जो वैश्विक जलवायु परिवर्तन के अलावा अतिरिक्त खतरा बन जाता है.
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ब्राजील के माटो ग्रोसो इलाके का उदाहरण देते हुए शोधकर्ताओं ने कहा कि वहां सोया की खेती के लिए बड़े पैमाने पर जंगल साफ किए जा रहे हैं. किसान अमेजन में और भूमि काटने की मांग कर रहे हैं.
जंगलों की कटाई का खतरा: धरती के फेफड़े क्यों जरूरी हैं?
जंगल धरती के फेफड़े कहलाते हैं, क्योंकि वे कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं. ऑक्सीजन देते हैं. मौसम का संतुलन बनाए रखते हैं. लेकिन जब बड़े पैमाने पर जंगल काटे जाते हैं, तो यह संतुलन बिगड़ जाता है. जंगलों की कटाई से छाया और नमी कम हो जाती है.
बारिश घटती है. आग लगने का खतरा बढ़ जाता है. इससे स्थानीय तापमान में तेजी से वृद्धि होती है, जो इंसानों के लिए घातक साबित होती है. यह गर्मी वैश्विक जलवायु परिवर्तन के अलावा अतिरिक्त है, यानी जंगलों के बिना इलाके 3 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा गर्म हो जाते हैं.
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अध्ययन के आंकड़े: चौंकाने वाले नतीजे
यह शोध 2001 से 2020 तक की स्थिति पर आधारित है. वैज्ञानिकों ने जंगलों के कटे इलाकों में तापमान और मौतों के आंकड़े जुटाए, फिर सुरक्षित जंगलों वाली जगहों से तुलना की. मुख्य निष्कर्ष...
- प्रभावित लोग: लगभग 34.5 करोड़ लोग उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में जंगलों की कटाई से बढ़ी गर्मी से प्रभावित हुए.
- अतिरिक्त गर्मी: 26 लाख लोगों को स्थानीय स्तर पर 3 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा गर्मी झेलनी पड़ी.
- मौतें: हर साल औसतन 28330 मौतें अतिरिक्त गर्मी से हुईं. कुल 20 सालों में करीब 5 लाख मौतें.
यह आंकड़े दिखाते हैं कि जंगलों की कटाई पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि सीधी स्वास्थ्य आपदा है.
किन इलाकों पर सबसे ज्यादा असर?
मौतें सभी जगह समान नहीं हुईं. रिपोर्ट के अनुसार...
- दक्षिण-पूर्व एशिया: सबसे ज्यादा प्रभावित, जहां 50% से अधिक मौतें हुईं. कारण: घनी आबादी और गर्मी-संवेदनशील क्षेत्र.
- अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय इलाके: एक-तिहाई मौतें. कांगो बेसिन जैसे जंगलों की कटाई से तापमान बढ़ा.
- मध्य और दक्षिण अमेरिका: अमेजन जैसे क्षेत्रों में बाकी मौतें. ब्राजील का माटो ग्रोसो सबसे बुरा प्रभावित, जहां सोया खेती के लिए जंगल साफ हो रहे हैं.
शोध कैसे किया गया?
शोधकर्ताओं ने सैटेलाइट डेटा और मौसम रिकॉर्ड्स का इस्तेमाल किया. उन्होंने कटे जंगलों वाले इलाकों में तापमान बढ़ोतरी को बिना कटाई वाले इलाकों से तुलना की. गैर-दुर्घटना मौतों (जैसे हार्ट अटैक, स्ट्रोक) के आंकड़े भी लिए.
परिणाम साफ: जहां जंगल कटे, वहां तापमान ज्यादा और मौतें भी अधिक. ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के प्रोफेसर डोमिनिक स्प्रैकलन ने कहा कि जंगलों की कटाई मार रही है. यह वैश्विक जलवायु बहस से परे स्थानीय लोगों की जिंदगी का मुद्दा है.
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ब्राजील का उदाहरण
शोधकर्ताओं ने ब्राजील के माटो ग्रोसो का उदाहरण दिया, जहां सोया की खेती के लिए बड़े पैमाने पर जंगल काटे जा रहे हैं. किसान अब अमेजन में और भूमि साफ करने की मांग कर रहे हैं. प्रोफेसर स्प्रैकलन ने कहा कि अगर जंगलों को बचाया जाए, तो गर्मी कम होगी. खेती की पैदावार बढ़ेगी और समुदाय सुरक्षित रहेंगे. यह दिखाता है कि जंगलों की रक्षा आर्थिक रूप से भी फायदेमंद है.
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