जगन्नाथ पुरी में पिंडदान का महत्व, क्यों इसे पितरों के लिए 'मुक्ति' का द्वार कहते हैं?

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Pitru Paksha 2025: सनातन परंपरा में पितृ पक्ष को सबसे पवित्र काल माना गया है. इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे अनुष्ठान पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए किए जाते हैं. मान्यता है कि इन दिनों में किया गया हर कर्म सीधा पितरों तक पहुंचता है और उनके साथ-साथ परिवार को भी पुण्य प्रदान करता है. यही कारण है कि पूरे भारत से लेकर विदेशों तक बसे हिंदू इस श्राद्ध पक्ष का इंतजार करते हैं.

पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू हो गया है, जो  21 सितंबर, रविवार तक चलेगा. इन 15 दिनों में, देश भर के लाखों भक्त अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के लिए पवित्र स्थानों पर जाते हैं, जिनमें से एक प्रमुख स्थान ओडिशा का जगन्नाथ पुरी है.

जगन्नाथ पुरी चार धामों में से एक है और इसे पिंडदान के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है. यह स्थान न केवल अपने भव्य मंदिर और वार्षिक रथयात्रा के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसे पितरों की आत्मा को मोक्ष दिलाने वाली भूमि के रूप में भी जाना जाता है. यही कारण है कि पितृ पक्ष के दौरान यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.

क्यों पुरी को पिंडदान माना जाता है अच्छा?

पुरी का धार्मिक महत्व केवल जगन्नाथ मंदिर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका संबंध पवित्र भार्गवी नदी से भी है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस नदी को बेहद पवित्र माना जाता है. भार्गवी नदी, जो कि महानदी की एक सहायक नदी है, पुरी के पास बहती है. नदी और समुद्र के संगम का स्थान धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर पिंडदान करने से पितरों को शांति और मोक्ष मिलता है, जिससे वे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाते हैं.

यही वजह है कि पितृ पक्ष के दौरान दूर-दूर से लोग यहां अपने पितरों का श्राद्ध करने आते हैं. पुरी में पिंडदान करने का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में कम से कम एक बार इन चार धामों की यात्रा करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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क्या होता है पिंडदान और क्यों है यह इतना खास?

पिंडदान कोई साधारण अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह आत्मा को जीवन और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति दिलाने का एक तरीका है. इसे 'मुक्ति' भी कहा जाता है. इस अनुष्ठान में चावल, जौ का आटा, सूखा दूध, तिल और शहद से बने गोल पिंड अर्पित किए जाते हैं. इनमें से एक पिंड सीधे दिवंगत आत्मा के लिए होता है, जबकि बाकी पिंड पूर्वजों को समर्पित होते हैं. यह अनुष्ठान ब्राह्मण पंडितों द्वारा पवित्र स्थानों पर किया जाता है. हिंदू धर्म में इसे सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों में से एक माना गया है. पिंडदान के माध्यम से जीवित व्यक्ति अपने पूर्वजों के प्रति अपना सम्मान और आभार प्रकट करता है, जिससे उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है. यह सिर्फ एक कर्मकांड नहीं, बल्कि श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है.

विदेशों में रहने वालों के लिए भी सुविधा

आज कई ऐसे भारतीय हैं जो विदेश में रहते हैं और समय या परिस्थिति के कारण अपने प्रियजनों के लिए पिंडदान नहीं कर पाते. ऐसे लोगों के लिए पुरी में ऑनलाइन और प्रोफेशनल पिंडदान सेवाएं उपलब्ध हैं. अनुभवी ब्राह्मण पंडित हिंदू शास्त्रों के अनुसार यह अनुष्ठान करते हैं. इससे दूर बैठे लोग भी अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं. 

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सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि एक पर्यटन स्थल भी है पुरी

पुरी को केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि यह एक शानदार पर्यटन स्थल भी है. यहां के शांत और सुंदर समुद्र तट, प्राचीन स्मारक और स्थानीय भोजन पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं. जहां एक तरफ आप धार्मिक महत्व वाले स्थानों पर जा सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ आप यहां के शानदार नजारों और शांत वातावरण का भी आनंद ले सकते हैं. पुरी की यात्रा आपको एक ही समय में आध्यात्मिक शांति और मानसिक सुकून दोनों प्रदान करती है. यह वह जगह है जहां धर्म, इतिहास और प्रकृति का अनूठा संगम देखने को मिलता है.

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