साढ़े 6 करोड़ साल पहले एक एस्टेरॉइड के चलते पृथ्वी से डायनासॉर का युग खत्म होने के बाद इंसानों का युग शुरू हुआ. प्रीहिस्टॉरिक एरा में मॉडर्न इंसानों की कुल चार प्रजातियों का जिक्र मिलता है, लेकिन आज हम होमो सेपियन्स ही इंसानों की एकमात्र प्रजाति बचे हैं.
क्या आप जानते हैं 40 लाख साल पहले होमो सेपियन्स के अलावा धरती पर इंसानों की एक और प्रजाति निएंडरथेल्स भी रहते थे. इनका चेहरा, आदतें और समझ होमो सेपियनेस से काफी हद तक मिलती थीं और ये कहीं ज्यादा ताकतवर थे. फिर ऐसा क्यों हुआ कि होमो सेपियन्स विकसित होते गए और निएंडरथेल्स जिंदा नही बचे, चलिए जानते हैं.
कौन थे निएंडरथेल?
निएंडरथेल्स करीब 4 लाख से 40 हजार साल पहले तक यूरोप और एशिया में रहते थे. इनका पहला फॉसिल साल 1829 में जर्मनी के बेल्जियम में फिलिप चार्ल्स श्मेर्लिंग ने खोजा था. हालांकि तब इन्हें कोई ऑपचारिक नाम नही दिया गया. जब साल 1856 में ऐसे ही और फॉसिल्स जर्मनी की ही निएंडर वैली के पास मिले, तब उसी जगह के नाम पर इस प्रजाति का नाम निएंडरथेल रखा गया. तब से इनके फॉसिल पुर्तगाल, यू.के, साइबेरिया और इजरायल में पाए जा चुके है. रिसर्च कहती हैं कि 6 से 8 लाख साल पहले तक होमो सेपियन और निएंडरथेल के पूर्वज एक ही थे.
होमो सेपियन से कैसे अलग थे निएंडरथेल
होमो सेपियन्स के मुकाबले निएंडरथेल की लंबाई कम थी. लेकिन ज्यादा मसल मास और गठीले शरीर के चलते ये ज्यादा ताकतवर थे. हमारे जितना ही साइज का दिमाग होने के बावजूद इनका स्कल पीछे से बड़ा था, जो बेहतर विजुअल प्रोसेसिंग को दर्शाता है. इनकी बड़ी आखें शिकार में मदद करती थी. इसके अलावा इनका माथा चौड़ा था और नाक बड़ी, जिससे ठंडे क्लाइमेट में भी उन्हें सांस लेने में तकलीफ नही होती थी.
निएंडरथेल्स असल में काफी अक्लमंद थे. वे पत्थरों से औजार बनाना और अपने से कईं गुना बड़े जानवरों का शिकार करना जानते थे. यूरोप के गिब्राल्तार रॉक पर बनी गुफाओं में मिले इनके कंकालों से पता चलता है कि ये भी होमो सेपियन्स की तरह मृतकों को दफ्नाते, बीमारों का ध्यान रखते और समूह में रहते थे.
होमो सेपियन्स में मिले हैं निएंडरथेल के अंश
निएंडरथेल का इतिहास 4 लाख साल पुराना है, लेकिन माना जाता है कि 3 लाख साल पहले होमो सेपियन भी प्रकट हो चुके थे. यानी कुछ समय के लिए पृथ्वी पर इंसानों की दो प्रजातियां घूम रही थी.
2010 में वैज्ञानिकों की एक रिसर्च में होमो सेपियन्स और निएंडरथेल्स में इंटरब्रीडिंग होने की बात सामने आई है, जिसके कारण कईं लोगों के डीएनए में आज भी निएंडरथेल के अंश हैं.
यूरोप और पूर्वी एशियाई मूल के लोगों में 1 से 2 प्रतिशत निएंडरथेल जीन पाया गया. होमो सेपियन में कईं ऐसे जीन्स हैं जो उन्होंने निएंडरथेल से हासिल किए है. वायरल इंफेक्शन होने पर इम्यून सिस्टम को सिग्नल भेजने वाला STAT-2, सनबर्न से बचाने वाला HYAL-2 और ब्लड क्लॉटिंग के लिए जिम्मेदार एक जीन हमें निएंडरथेल से मिले हैं.
क्यों विलुप्त हो गए निएंडरथेल
40 हजार साल पहले ये प्रजाति विलुप्त हो गई. कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि होमो सेपियन्स से बढ़ती प्रतियोगिता और इंटरब्रीडिंग के चलते ये खत्म हुए, तो वहीं एक थ्योरी इसके लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराती है. लेकिन हाल ही में हुई एक रीसर्च के मुताबिक एक ज्वालामुखी फटने के बाद हुई तबाही में निएंडरथेल खत्म हुए थे.
जर्मनी की एक ज्वालामुखीय (वॉल्केनिक) झील में निएंडरथेल के समय के सेडिमेंट (गाद) मौजूद हैं. माइन्ज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इसकी स्टड़ी में पाया कि झील के आस-पास उस दौरान एक दशक के अंदर ही तेजी से जलवायु परिवर्तन होने से निएंडरथेल को वहां से जाना पड़ा. इसके अलावा ग्रीनलैंड की 39 हजार साल पुरानी बर्फ की जांच में सल्फर गैस के अंश मिले, जिस समय निएंडरथेल विलुप्त हो गए थे.
इटली की कैम्पी फ्लेग्री सुपरवॉल्केनो भी इसी दौरान फटी थी, जिससे निकली राख और मलबे से 200 फीट ऊंचे पहाड़ बन गए. शोधकर्ताओं को संकेत मिले हैं कि ज्यादातर निएंडरथेल्स कैम्पी फ्लेग्री विस्फोट के कारण ही खत्म हुए. हालांकि कुछ उससे बचने में कामयाब हुए और रॉक ऑफ जिब्राल्तार की गुफाओं में रहने चले गए, जहां ये प्रजाति अगले 15 हजार सालों तक जिंदा रही और फिर धीरे-धीरे विलुप्त होती गई.
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