...जब बालेन शाह ने UP-बिहार और बंगाल को बताया था 'ग्रेटर नेपाल' का हिस्सा, विवाद के बीच पत्नी संग आए थे भारत

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दो साल पहले जून 2023 में काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह, जिन्हें बालेन शाह कहा जाता है, ने अपने ऑफिस में नेपाल का नया मैप चिपका दिया. मैप के सामने आते ही विवाद खड़ा हो गया और भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई. वजह थी- मैप में भारत के कई राज्यों के कुछ हिस्सों को 'ग्रेटर नेपाल' का हिस्सा बताना. दरअसल, बालेन शाह ने ग्रेटर नेपाल का यह मैप भारत के एक मैप से खुन्नस खाकर अपने ऑफिस में लगाया था. वो अप्रत्यक्ष तरीके से ही सही, भारत के प्रति अपना विरोध जताना चाहते थे.

बालेन शाह ने 'ग्रेटर नेपाल' का मैप भारत की नई संसद भवन में लगे 'अखंड भारत' के नक्शे के जवाब में लगाया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई 2023 को नए संसद भवन का उद्घाटन किया और इसके साथ ही नेपाल समेत भारत के पड़ोसी देशों में इसमें लगी एक भित्तिचित्र को लेकर विवाद शुरू हो गया.

संसद भवन में लगी अखंड भारत की भित्तिचित्र में गौतम बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी (नेपाल) को अखंड भारत के हिस्से के रूप में दिखाया गया. इसे लेकर नेपाल में विवाद शुरू हो गया और वहां लोगों ने कहना शुरू किया कि इससे ऐसा प्रतीत होता है कि भारत नेपाल के एक मुख्य सांस्कृतिक क्षेत्र पर अपना दावा कर रहा है.

हालांकि, भारत की तरफ से पहले ही भित्तिचित्र को लेकर साफ कर दिया गया कि यह सिर्फ एक सांस्कृतिक नक्शा है जो अशोक साम्राज्य के विस्तार को दिखाता है. खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि नक्शे का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है.

लेकिन नेपाल में नक्शे को लेकर लोगों ने नाराजगी जताई और वो तबका एक बार फिर सक्रिय हो गया जो मानता है कि नेपाल की सीमा ब्रिटिश काल में कम कर दी गई. बालेन शाह ने लोगों की इन भावनाओं को मूर्त रूप दिया और विरोध के तौर पर अपने ऑफिस में ग्रेटर नेपाल का नक्शा लगा लिया.

ग्रेटर नेपाल के नक्शे में भारत के कौन से राज्य थे शामिल

मेयर बालेंद्र शाह ने अपने ऑफिस में ग्रेटर नेपाल का जो मैप लगाया, उसमें हिमाचल प्रदेश के पश्चिमी कांगडा से लेकर, बिहार, उत्तर प्रदेश उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में पूर्वी तीस्ता तक शामिल था. इन सभी क्षेत्रों को 'ग्रेटर नेपाल' का हिस्सा बताया गया.

दरअसल, ग्रेटर नेपाल का नक्शा सुगौली की संधि से पहले के नेपाल के क्षेत्रीय दावों के आधार पर तैयार किया गया है. एंग्लो-नेपाल युद्ध के बाद 1816 में ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच यह संधि हुई थी जिसने नेपाल की क्षेत्रीय सीमाएं तय की थी. इस दौरान नेपाल को अपना बहुत सारा हिस्सा अंग्रेजों को सौंपना पड़ा था. संधि के तहत वर्तमान नेपाल के 60 फीसद हिस्से के बराबर इलाके को भारत में मिला लिया गया.

हालांकि, यह संधि विवादित मानी जाती है क्योंकि आज भी 50 से अधिक जगहों पर दावे को लेकर भारत-नेपाल के बीच विवाद चला आ रहा है.

बालेन शाह ने भारत-नेपाल के इसी विवाद का फायदा उठाते हुए अखंड नेपाल का मैप अपने ऑफिस में लगाया था हालांकि, नेपाल की तत्कालीन पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' सरकार ने इस मामले को ज्यादा तूल नहीं दिया था.

ग्रेटर नेपाल मैप के बाद बॉलीवुड फिल्मों का बॉयकॉट

मैप विवाद अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि बालेंद्र शाह ने जून 2023 में ही दोबारा भारत के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया था. और इस बार निशाने पर थीं बॉलीवुड फिल्में. विवाद शुरू हुआ प्रभास, कृति सैनन और सैफ अली खान स्टारर फिल्म 'आदिपुरुष' की रिलीज से.

इस फिल्म में एक डायलॉग है कि 'सीता भारत की बेटी हैं.' इस डायलॉग पर बालेन भड़क गए और उन्होंने इसे नेपाल की सांस्कृतिक पहचान पर हमला बताया. बहुत से लोगों का मानना है कि सीता, जिन्हें जानकी भी कहा जाता है, का जन्म नेपाल के दक्षिण-पूर्व स्थित जनकपुर में हुआ था.

फिल्म के डायलॉग को लेकर बालेन शाह ने साफ कह दिया कि जबतक फिल्म से डायलॉग नहीं हटाया जाता, काठमांडू में आदिपुरुष ही नहीं बल्कि कोई भी भारतीय फिल्म नहीं दिखाई जाएगी. काठमांडू के बाद नेपाल के पोखरा में भी हिंदी फिल्मों की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी गई.

बालेन शाह ने चेताते हुए कहा था, 'आदिपुरुष का एक डायलॉग हटाए बिना उसकी स्क्रीनिंग से भारी नुकसान होगा. सोमवार 19 जून से काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी में सभी हिंदी फिल्मों की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी जाएगी, क्योंकि फिल्म 'आदिपुरुष' के डायलॉग में आपत्तिजनक शब्दों को अभी तक नहीं हटाया गया है.'

बालेन शाह ने सोशल मीडिया के जरिए यह भी कहा था कि भारत अपने सांस्कृतिक प्रभाव के जरिए नेपाल में घुसपैठ की कोशिश कर रहा है.

आखिर चर्चा में क्यों हैं बालेन शाह?

बालेन शाह इस वक्त चर्चा में हैं तो भारत से जुड़े उनके सभी विवाद भी चर्चा में आ गए हैं. शाह के चर्चा में आने की वजह नेपाल का जेन-जी आंदोलन है जिसे उन्होंने काफी समर्थन दिया है. नेपाल में सोमवार और मंगलवार को युवाओं ने सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार और सरकारी नीतियों के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. हिंसक प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सरकार का तख्तापलट हो गया. 

नए प्रधानमंत्री के रूप में बालेन शाह का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है क्योंकि इनकी छवि युवा और जमीनी नेता की रही है जिनका कोई पॉलिटिकल बैकग्राउंड भी नहीं रहा है. हालांकि, शाह ने देश की कमान संभालने में रुचि नहीं दिखाई है और अंतरिम सरकार की कमान नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की संभाल सकती हैं.

बालेन शाह की छवि एक ऐसे नेता की रही है जो देश की असल समस्याओं पर बात करते हैं और काम करने में यकीन रखते हैं. नेपाल की सांस्कृतिक पहचान को लेकर मुखर बालेन शाह अगर भविष्य में नेपाल की सत्ता के शिखर पर पहुंचते हैं तो नेपाल की राजनीति और विदेश नीति में बदलाव देखने को मिलेगा जिसका असर भारत पर भी होगा.

दिलचस्प बात ये है कि बालेन शाह ने अपनी इंजिनियरिंग कर्नाटक से की है. और एक बात कि अपने ऑफिस में ग्रेटर नेपाल का मैप लगाने के ठीक बाद बालेन शाह अपनी पत्नी के इलाज के लिए बेंगलुरु रवाना हो गए थे. 

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