मध्य प्रदेश जल निगम लिमिटेड (एमपीजेएनएल) से जुड़े 183 करोड़ रुपए के एक बड़े घोटाले का सीबीआई ने खुलासा किया है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने इंदौर स्थित कंपनी तीर्थ गोपीकॉन के प्रबंध निदेशक महेश कुंभानी को गिरफ्तार कर लिया है. आरोप है कि इस कंपनी ने फर्जी बैंक गारंटियों के बल पर करोड़ों रुपये का धोखाधड़ी से फायदा उठाया था.
सीबीआई के एक अधिकारी के मुताबिक, महेश कुंभानी और गौरव धाकड़ नाम के एक निजी व्यक्ति ने मिलकर मध्य प्रदेश के छतरपुर, सागर और डिंडोरी जिलों में तीन सिंचाई परियोजनाएं हासिल करने के लिए धोखाधड़ी की साजिश रची. साल 2023 में कंपनी ने करीब 974 करोड़ रुपए के इन प्रोजेक्ट्स को फर्जी दस्तावेजों के सहारे हथिया लिया था.
इस मामले की जांच पहले ही मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई को सौंपी गई थी. सीबीआई की जांच में सामने आया कि कंपनी ने इन अनुबंधों के समर्थन में 183.21 करोड़ रुपए की आठ फर्जी बैंक गारंटियां जमा की थीं. इन गारंटियों को असली मानते हुए एमपीजेएनएल ने कंपनी को 85 करोड़ रुपए अग्रिम भुगतान भी कर दिया.
CBI arrests the Managing Director of an Indore-based Private company in a ₹183 Crore Fake Bank Guarantee Scam pic.twitter.com/VlsDRhufPk
— Central Bureau of Investigation (India) (@CBIHeadquarters) September 9, 2025सीबीआई की जांच के दौरान यह भी सामने आया कि इस पूरे खेल के पीछे कोलकाता स्थित एक संगठित सिंडिकेट काम कर रहा था. यह गिरोह व्यवस्थित तरीके से फर्जी बैंक गारंटियां तैयार कर रहा था. उन्हें सरकारी ठेके हासिल करने के लिए इस्तेमाल कर रहा था. यह भी खुलासा हुआ कि एमपीजेएनएल को पीएनबी के नकली डोमेन से भेजे गए ईमेल मिले थे.
इन ईमेल में फर्जी बैंक गारंटियों की प्रामाणिकता की झूठी पुष्टि की गई थी. इन्हीं पुष्टियों के आधार पर एमपीजेएनएल ने कंपनी को 974 करोड़ रुपए के तीन बड़े ठेके सौंप दिए. इस घोटाले में सीबीआई ने पहले भी कई गिरफ्तारियां की थीं. जून में जांच एजेंसी ने पीएनबी के वरिष्ठ प्रबंधक गोविंद चंद्र हंसदा और कोलकाता के मोहम्मद फिरोज खान को गिरफ्तार किया था.
केंद्रीय जांच एजेंसी का कहना है कि इन गिरफ्तारियों से पूरे सिंडिकेट की जड़ें सामने आ रही हैं. सरकारी ठेकों में भ्रष्टाचार का बड़ा नेटवर्क उजागर हो रहा है. सीबीआई का कहना है कि यह मामला न सिर्फ करोड़ों की धोखाधड़ी का है, बल्कि इसमें सरकारी संस्थानों की विश्वसनीयता पर भी सीधा हमला किया गया है. सिंडिकेट के नेटवर्क की गहन जांच हो रही है.
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