नेपाल में अब आगे क्या होगा? PM ओली के इस्तीफे से बढ़ा सस्पेंस, चीन की चुप्पी पर भी सवाल

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नेपाल इन दिनों अभूतपूर्व राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहा है. सत्ता की नींव हिल चुकी है और देश की गलियों से लेकर संसद, सुप्रीम कोर्ट और प्रधानमंत्री आवास तक आग भड़क चुकी है. ये सिर्फ़ एक विरोध-प्रदर्शन नहीं है, बल्कि पूरी सरकार को उखाड़ फेंकने वाली जन-क्रांति है. इसकी सबसे बड़ी ताक़त बनी है नई पीढ़ी—Gen Z, जिसने सोशल मीडिया पर शुरू हुई लड़ाई को सड़कों पर क्रांति में बदल दिया.

नेपाल सरकार ने हाल ही में फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाया. उद्देश्य बताया गया कि इससे “अफवाहें और भड़काऊ कंटेंट” रोका जाएगा. लेकिन, नई पीढ़ी ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला माना. शुरुआत में यह विरोध सिर्फ़ डिजिटल था, लेकिन जल्द ही इसमें सरकार के खिलाफ गुस्सा और भ्रष्टाचार के आरोप जुड़ते गए.

जिस नेपाल को न मुगल जीत पाए और न अंग्रेज गुलाम बना पाए. जिसकी पहचान उसके गोरखा सैनिकों की बहादुरी है. जिसने हर आक्रमणकारी को हार के साथ लौटाया. उसी नेपाल को आज उसके अपने नेताओं ने भीतर से खोखला कर दिया है. परिवारवाद और भ्रष्टाचार ने ऐसा दीमक लगाया कि जनता का सब्र टूट गया और अब पूरी दुनिया नेपाल की सड़कों पर भड़की आग को देख रही है.

चीन क्यों है चुप?

सबसे अहम बात ये है कि चीन, जो नेपाल का सबसे बड़ा रणनीतिक साझेदार माना जाता है, वो अब तक चुप है. ओली को चीन का सबसे भरोसेमंद सहयोगी माना जाता था. पिछले साल जब चौथी बार वो प्रधानमंत्री बने तो परंपरा तोड़ते हुए पहले भारत नहीं, बल्कि बीजिंग पहुंचे थे. लेकिन वही चीन, ओली के इस्तीफ़े और जनता के विद्रोह पर खामोश है.

आंदोलन के दूसरे दिन क्या-क्या हुआ?

आज प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसकर आग लगा दी. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का आवास भी प्रदर्शनकारियों के गुस्से से नहीं बच पाया. घर को तहस-नहस कर आग के हवाले कर दिया गया. ओली के पुश्तैनी गांव दमक में “ओली टावर” जला दिया गया. पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनल के घर में आग लगाई गई, उनकी पत्नी गंभीर रूप से झुलसीं और बाद में उनकी मौत हो गई. 

राष्ट्रपति भवन भी इस विद्रोह का निशाना बना. राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल का घर धू-धू कर जल गया. ओली के कई मंत्रियों को भी भीड़ ने घेरकर पीटा. वित्त मंत्री बिष्णु प्रसाद पौडेल को घर से घसीटकर गली में पीटा गया. काठमांडू स्थित सिंह दरबार—जो नेपाल की सत्ता का केंद्र है—वहां भी प्रदर्शनकारियों ने कब्ज़ा कर लिया. 

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प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और कई मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. आज हुई हिंसा में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हुई.

हिंसा और खून-खराबा

पहले दिन ही 20 प्रदर्शनकारी पुलिस की गोलियों का शिकार बने और सैकड़ों घायल हुए. जैसे-जैसे पुलिस और सेना की सख़्ती बढ़ी, प्रदर्शन और उग्र होते गए. हालात इस हद तक बिगड़े कि आर्मी चीफ ने खुद ओली को इस्तीफ़ा देने की सलाह दी, यह कहते हुए कि सेना नौजवानों पर गोली नहीं चला सकती.

ओली का पतन

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इस्तीफ़ा देकर गायब हो गए. सूत्रों के मुताबिक, उन्हें हेलिकॉप्टर से सुरक्षित जगह ले जाया गया, और संभव है कि वे देश छोड़कर दुबई चले जाएं. ओली के इस्तीफ़े के साथ ही नेपाल की राजनीति में उनका अध्याय लगभग खत्म हो चुका है.

आंदोलनकारियों की मांगें क्या हैं?

Gen Z ने अपनी पांच प्रमुख मांगें रखी हैं. पहला तो संसद तुरंत भंग की जाए. दूसरा - सभी सांसद इस्तीफ़ा दें. तीसरा - गोली चलाने का आदेश देने वाले सभी अधिकारियों को निलंबित किया जाए. चौथा - अंतरिम सरकार बनाई जाए, जिसकी कमान Gen Z सुझाए नेता को मिले. पांचवां - जल्द चुनाव कराए जाएं. 

ओली पर भ्रष्टाचार के आरोप

केपी शर्मा ओली पर कई गंभीर आरोप लगे:

  • जमीन घोटाले में उनका नाम आया.
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की अनदेखी की.
  • अवमानना का केस चला.


नए नेतृत्व की तलाश

नेपाल में नए नेतृत्व की तलाश एक अहम मुद्दा बन गया है, खासकर ओली के इस्तीफ़े के बाद जो राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ा देता है. इस दौर में काठमांडू के मेयर बालेन शाह का नाम सबसे लोकप्रिय हो गया है. बालेन शाह का सफर अनोखा है; वे पहले एक रैपर थे जो भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने गानों के ज़रिए युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हुए.

2022 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में काठमांडू के मेयर का चुनाव जीता और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस नीति अपनाई. उनकी यह ईमानदारी और विजन युवाओं के दिलों को छू गया. इसी वजह से उन्हें टाइम मैगज़ीन ने 2023 की “100 इन्फ्लुएंसर लिस्ट” में शामिल किया. उनकी लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें नेपाल के भविष्य के लिए एक आशा की किरण बना दिया है.

ओली के इस्तीफ़े के बाद बालेन ने जनता से अपील की, “कृपया शांत रहें. संसाधनों का नुकसान हम सभी का सामूहिक नुकसान है. अब आपकी पीढ़ी देश का नेतृत्व करेगी.” 

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भविष्य की संभावनाएं

नेपाल की राजनीति अब कई संभावित रास्तों पर जा सकती है. एक विकल्प आंदोलनकारियों की अंतरिम सरकार की सत्ता संभालना हो सकता है. दूसरा, हालात सामान्य होने तक सेना शासन कायम रह सकता है. कुछ के मन में 2008 में खत्म हुई राजशाही की वापसी की भी उम्मीद है. इसके अलावा एक निष्पक्ष और भरोसेमंद शख़्सियत, जैसे पूर्व जज सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार की कमान सौंपा जाना भी विकल्पों में शामिल है.

इस जटिल राजनीतिक परिदृश्य में, बालेन शाह जैसे नए चेहरे देश के लिए उज्जवल भविष्य की दिशा में उम्मीद जगाते हैं. नेपाल को अब ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो पारदर्शिता, ईमानदारी और जनतंत्र की मजबूत नींव रख सके.

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