Tulsi Vivah 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह कराया जाता है. इस तिथि को देवोत्थान एकादशी, देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस साल 02 नवंबर को तुलसी विवाह किया जाएगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं. इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है, जिनमें भगवान विष्णु विश्राम अवस्था में रहते हैं. जब वे इस दिन पुनः जागृत होते हैं, तो समस्त सृष्टि में शुभ कार्यों का प्रारंभ होता है. इसी दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, जो धार्मिक रूप से अत्यंत शुभ माना गया है. तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी का विशेष प्रकार से श्रृंगार किया जाता है. जानते हैं कि तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी का श्रृंगार कैसे करें ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके.
तुलसी विवाह की तैयारी और पूजन विधि
सबसे पहले घर या आंगन में जहां तुलसी का पौधा स्थापित है, उस स्थान की सफाई करें, उसके बाद गंगाजल या पवित्र जल का छिड़काव करें. तुलसी माता को नए वस्त्र पहनाएं, पास में एक सुंदर आसन पर शालिग्राम भगवान को स्थापित करें, उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं, चंदन, फूल और तुलसी दल अर्पित करें. इस दौरान मंगल गीत, विवाह मंत्र, और आरती गाई जाती है. पूजा के बाद प्रसाद स्वरूप पंचामृत, मिठाई या खीर का भोग लगाया जाता है. इस दिन देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. संध्या समय तुलसी जी की आरती की जाती है.
तुलसी विवाह का महत्व
तुलसी विवाह में माता तुलसी (जिसे वृंदा देवी भी कहा जाता है) और श्री शालिग्राम भगवान (जो भगवान विष्णु का स्वरूप हैं) का विवाह होता है. मान्यता है कि इस विवाह से घर में सुख, समृद्धि, और सौभाग्य का वास होता है. जो लोग अपने घर में यह विवाह कराते हैं, उन्हें भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. मान्याता है कि इस दिन व्रत रखने से अविवाहित कन्याओं को अच्छा वर मिलता है. वहीं विवाहित दंपतियों के जीवन में इस व्रत को रखने से खुशहाली आती है.
तुलसी माता का श्रृंगार
मां तुलसी का श्रृंगार करना तुलसी विवाह का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. इस दिन विशेष रूप से माता तुलसी को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. सबसे पहले तुलसी के गमले या स्थान को अच्छी तरह साफ करें. पवित्र जल से शुद्ध करें. इसके बाद तुलसी माता को लाल या पीले रंग की साड़ी पहनाएं, क्योंकि ये रंग शुभता और मंगल के प्रतीक माने जाते हैं.
मां तुलसी को चुनरी, चूड़ी, नथनी, मांग टीका, हार, कंगन, बिंदी, फूल, कमरबंद और अन्य हल्के आभूषणों से सजाएं. उनके चारों ओर सुंदर रंगोली बना कर दीपक जलाएं.
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