ब्रिटिश सेना में भर्ती होने वाले 173 नए सैनिकों को उनके गंदे दांत और उनमें सड़न की वजह से सेना से निकाला जा चुका है. ब्रिटिश आर्मी का कहना है कि जो अपने दांतों को नहीं संभाल पाते, वो आर्मी के जरूरी अभियानों की जिम्मेदारी कैसे संभालेंगे
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटिश सेना ने नए सैनिक बनने की चाह रखने वाले कुछ लोगों को उनके खराब दांतों की वजह से नौकरी से निकाल दिया है. पिछले चार सालों में, 173 नए सैनिकों को मसूड़ों की बीमारी या सड़ते दांतों की वजह से नौकरी से निकाल दिया गया.
स्वास्थ्य वजहों से 47000 सैनिकों का सिलेक्शन हुआ रद्द
रक्षा मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि वे उन 47,000 सैनिकों में शामिल थे जिनका सिलेक्शन चिकित्सा आधार पर अस्वीकृत किया गया था. जून में प्रकाशित आंकड़े यह भी बताते हैं कि लगभग 26,000 सैनिकों को दांतों की सड़न और मसूड़ों की बीमारी के इलाज की जरूरत थी.
एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि विभिन्न ऑपरेशनों और अभियानों में तैनात हर 1,000 सैनिकों में से 150 को किसी न किसी समय दंत चिकित्सा की आवश्यकता होती है. अफगानिस्तान में, हेलीकॉप्टर दूर-दराज ठिकानों पर उड़ान भरते थे, ताकि सैनिकों को तत्काल दंत चिकित्सा के लिए कैंप बैस्टियन पहुंचाया जा सके.
युद्ध से ज्यादा दांतों की परेशानी की वजह से अयोग्य हुए सैनिक
ब्रिटिश डेंटल एसोसिएशन के अनुसार, अफगानिस्तान और इराक में युद्ध की तुलना में ज़्यादा सैनिक दंत समस्याओं के कारण अक्षम हुए. शोध से पता चलता है कि सेना में भर्ती होने वाले सैनिकों को बाकी समाज की तुलना में दोगुनी दंत समस्याएं होती हैं और उनमें से ज़्यादातर गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं.
2020 से 2024 तक के ये आंकड़े बताते हैं कि चिकित्सा आधार पर अस्वीकृत किए गए लगभग आधे रंगरूटों को मानसिक समस्याएं थीं. संभावित सैनिकों को हृदय संबंधी समस्याओं, प्रजनन संबंधी समस्याओं और फीवर के कारण भी अस्वीकृत किया गया है.
मुहांसे की वजह से भी हुआ कई सैनिकों का रिजेक्शन
लगभग 1,800 सैनिकों को मुंहासों जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं के कारण भर्ती करने से मना कर दिया गया. सेना में 71,000 सैनिक हैं - जो सदी की शुरुआत में 1,00,000 थे - और रक्षा सचिव जॉन हीली ने स्वीकार किया कि इस कमी को दूर करने में कुछ समय लगेगा.
भर्ती फर्म कैपिटा के रिचर्ड होलरॉयड ने सांसदों को बताया कि चिकित्सा आवश्यकताएं इतनी सख्त हैं कि इंग्लैंड की रग्बी टीम को प्रवेश देने से मना कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि कैपिटा ने 2023/24 के लिए 9,813 भर्तियों का लक्ष्य रखा था, लेकिन पिछले साल अप्रैल से अब तक केवल 5,000 भर्तियां ही हो पाई हैं.
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