दिवाली में ग्रीन पटाखे बेअसर... पांच साल में सबसे ज्यादा प्रदूषण, क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

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दिवाली का त्योहार रोशनी का प्रतीक है, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में यह हवा को जहरीला बना देता है. इस साल 2025 में दिवाली के बाद PM2.5 का स्तर 488 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया, जो पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा है. पटाखों, गाड़ियों की बढ़ती संख्या और मौसम की खराब स्थिति ने प्रदूषण को चरम पर पहुंचा दिया.

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों से साफ है कि यह समस्या हर साल बढ़ रही है. आइए जानते हैं आंकड़े, कारण और विशेषज्ञों की राय.

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दिवाली से पहले, दौरान और बाद में प्रदूषण का खेल

दिवाली के समय हवा में महीन कणों (PM2.5) की मात्रा तेजी से बढ़ जाती है. ये कण फेफड़ों में घुसकर सांस की बीमारियां पैदा करते हैं. CPCB के नेटवर्क से दिल्ली के सभी मॉनिटरिंग स्टेशनों के औसत घंटावार आंकड़े लिए गए.

diwali pollution

हर साल तीन 24 घंटे के दौर देखे गए: दिवाली से पहले 24 घंटे, दिवाली वाली रात के 24 घंटे और उसके बाद 24 घंटे. तापमान (°C) के साथ PM2.5 (माइक्रोग्राम/घन मीटर) की तुलना से पता चलता है कि कैसे ठंडी रातें और कम हवा प्रदूषण को फंसा लेती हैं.

सभी सालों में दिवाली रात या उसके तुरंत बाद PM2.5 चरम पर पहुंचा. यहां सालवार औसत और रेंज (न्यूनतम-अधिकतम) की झलक... 

  • 2025: सबसे खराब. दिवाली से पहले औसत 156.6, दिवाली पर 237, बाद में 488. अधिकतम 675.1 (दिवाली के बाद). ठंडी रातों ने प्रदूषण को नीचे दबा रखा.
  • 2024: दिवाली से पहले 92.9, दिवाली पर 200 के आसपास, बाद में 350. मध्यरात्रि पीक 447.
  • 2023: सबसे कम पूर्व-दिवाली औसत 92.9. लेकिन दिवाली बाद 300 पार. ठंडा मौसम कम था, फिर भी समस्या.
  • 2022: औसत 250-300. कम पीक, लेकिन स्थिर प्रदूषण.
  • 2021: दिवाली बाद 400. शुरुआती कोविड नियमों के बावजूद ऊंचा.

2025 में दिवाली (20 अक्टूबर) की शाम को PM2.5 दोपहर के 94 से सात गुना बढ़कर 237 हो गया. रात में 497 तक. तापमान दिवाली से पहले 27°C था, बाद में 20°C गिर गया. इससे 'टेम्परेचर इनवर्शन' हुआ – ऊपर गर्म हवा ने नीचे ठंडी हवा में प्रदूषण को कैद कर लिया. हवा की गति 1 मीटर/सेकंड से कम रही, जो प्रदूषण फैलने नहीं देती.

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क्यों बढ़ा प्रदूषण? मौसम और स्थानीय कारक जिम्मेदार

दिल्ली पहले से ही धूल, गाड़ियों और फैक्टरियों से परेशान है. दिवाली पर पटाखों से धुआं जुड़ जाता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि खेतों की आग (स्टबल बर्निंग) का असर कम (सिर्फ 0.8%) है, ज्यादातर समस्या शहर के अंदर की. बंगाल की खाड़ी का डिप्रेशन हवा को स्थिर रखता है. नमी 60-90% रहने से कण हवा में लटक जाते हैं.

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विशेषज्ञों की राय: चेतावनी और सलाह

विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 का प्रदूषण चिंताजनक है. उन्होंने CPCB डेटा और मौसम विश्लेषण के आधार पर बात की...

दिल्ली यूनिवर्सिटी के राजधानी कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. एसके ढाका ने बताया कि PM2.5 का ऊंचा स्तर ज्यादातर शहर के अलग-अलग हिस्सों में पटाखों से आया. हवा की गति बहुत कम (1 मी/सेकंड से नीचे) थी, दिशा उत्तर-उत्तर-पश्चिम. इससे प्रदूषण एक जगह से दूसरे में नहीं फैला. नमी ग्रामीण इलाकों में 80% और शहर के बीच में 70% रही. ग्रीन पटाखों ने भी PM तेजी से बढ़ाया. प्रदूषण स्थानीय है, बाहर से नहीं आया. ग्रीन पटाखों की क्वालिटी जांचनी होगी. 

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क्लाइमेट ट्रेंड्स की फाउंडर और डायरेक्टर आरती खोसला कहती हैं कि दुख की बात है कि पटाखों के नुकसान को सालों से देखने के बाद भी हम हकीकत से मुंह मोड़ लेते हैं. व्यक्तिगत रूप से हम भूल जाते हैं कि यह प्रदूषण बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बीमारों को कितना नुकसान पहुंचाता है. मैं सभी से अपील करती हूं कि अपनों और पर्यावरण के प्रति थोड़ा संवेदनशील बनें.

क्लाइमेट ट्रेंड्स की रिसर्च लीड पलक बल्याण ने बताया कि इस साल की दिवाली पहले से भी खराब साबित हुई. डेटा दिखाता है कि त्योहार से पहले PM 156.6 था, जो बाद में 488 हो गया – तीन गुना से ज्यादा. 19-20 अक्टूबर की रातों में पटाखों से स्पष्ट उछाल. तस्वीरें और ग्राउंड डेटा बताते हैं कि 'ग्रीन' पटाखे सामान्य से कोई फर्क नहीं डालते. एनसीआर के खराब AQI के लिए पटाखे अनुमति देना अब टिकाऊ नहीं.

क्या करें? सबक और समाधान

आंकड़े बताते हैं कि पराली कम जलने से (77% गिरावट) के बावजूद प्रदूषण ऊंचा रहा. मतलब, शहर के अंदर वाहन, धूल और पटाखों पर कंट्रोल जरूरी. GRAP के तहत निर्माण बंद, वाहनों पर पाबंदी लगी है. विशेषज्ञ कहते हैं कि साल भर प्रयास करें, न कि सिर्फ दिवाली पर. क्लाउड सीडिंग और हवा साफ करने के उपाय बढ़ाएं.

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