अक्सर आपने टीवी सीरियल्स या फिल्मों में 'दीपक के बुझने' को अशुभ होने के तौर पर देखा होगा. जब किसी मुख्य पात्र पर कोई विपत्ति आने वाली होती है तब अचानक ही दीपक की लौ कांपने-डगमगाने लगती है या मृत्यु आदि हो जाने का संकेत दीपक के बुझ जाने से दिया जाता है.
दीपक और हमारे जीवन की समानता
सवाल उठता है कि दीपक का बुझना अशुभ क्यों माना गया है? असल में दीपक हमारी ही चेतना का स्वरूप है. जिस तरह से हमारा जीवन और शरीर पंचतत्वों पर आधारित है, दीपक भी पांच तत्वों के संगठन का प्रतीक है. इस तरह दीपक और हमारे जीवन में एक तरह की समानता आ जाती है. अगर मिट्टी का दीपक है तब तो वह पूरी तरह हमारे जीवन के ही समान है.
पंचतत्वों का प्रतीक है दीपक
मिट्टी के दीपक को पंच तत्व का प्रतीक माना जाता है. इसे मिट्टी को पानी में गलाकार बनाया जाता है, जो भूमि और जल तत्व का प्रतीक होता है. जब ये बन जाता है तो इसके धूप और हवा में रखकर सूखाया जाता है. जो आकाश और वायु का प्रतीक है. फिर इसके आग में तापाकर बनाया जाता है, जो अग्नि का प्रतीक है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा के समय मिट्टी का दीपक जलाने से साधक को साहस और पराक्रम की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही घर में सुख, समृद्धि आती है.
पृथ्वी तत्व: दीपक बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मिट्टी.
जल तत्व: मिट्टी को गूँधने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पानी.
आकाश तत्व: दीपक को सूखने के लिए खुली जगह में रखना.
वायु तत्व: दीपक को धूप और हवा में सुखाना.
अग्नि तत्व: दीपक को आग में तपाकर पकाना.
एक जलता हुआ दीपक हमारे जीवन का प्रतीक बन जाता है. दीपक की गहराई उसका आकार हमारे शरीर का प्रतीक है. दीपक का आधार धरती और दीपक का खुला मुख आकाश का प्रतीक है. दीपक की बाती हमारी आयु का प्रतीक है, दीपक का घी या तेल हमारे जीवन का और इस बाती में लगी लौ ही हमारी चेतना और प्राण है. यह लौ वातावरण में मौजूद प्राणवायु जिसे ऑक्सीजन कहते हैं, उसके कारण ही जल पाती है, और हमारी भी श्वसन प्रक्रिया ऑक्सीजन की मौजूदगी में ही हो सकती है. इसलिए दीपक चाहे मिट्टी का हो या किसी धातु का, वह जलाते हुए हमारे अपने जीवन की छाया बन जाता है. इसीलिए दीपक के साथ जो हमारे जीवन की समानता जुड़ी है, वही भावना इस बात को प्रबल करती है कि दीपक के बुझने से अपशकुन होता है.
पूजा के दौरान दीपक बुझने की मान्यताएं
ऐसा माना जाता है कि पूजा के दौरान दीपक का बुझना इस बात का संकेत है कि देवता आपसे प्रसन्न नहीं हैं. दीपक का बुझना इस बात का संकेत हो सकता है कि आपने पूजा पूरी तरह से और पूरी श्रद्धा के साथ नहीं की है. ज्योतिष के अनुसार, यह संकेत हो सकता है कि आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति में बाधा आ रही है और यह भी माना जाता है कि दीपक का बुझना नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव का भी प्रतीक हो सकता है.
सकारात्मक ऊर्जा फैलाता है दीपक
दीपक की लौ में प्रसन्नता, उमंग, प्रेम व भक्ति के साथ साक्षात ब्रह्म ही निवास करते हैं. ज्योतिषीय दृष्टि से दीपक व मिट्टी मङ्गल व भू तत्व का प्रतीक माना जाता है. घी समृद्धि व शुक्र का प्रतीक है. तिल का तेल शनि का प्रतीक है. यह परंपरा वैदिक काल से अनवरत चलते हुए आज भी लोक परम्परा में प्रचलित है. जब हम पूजा घर मे दीप जलाते हैं तो उसके अग्र भाग में समस्त देवताओं का वास होता है. दीपक आत्मा का परमात्मा से मिलना का मार्ग खोलता है. ईश्वर का ध्यान करके जब दीप जलाया जाता है. तब उसे दीप की रौशनी से पूरे संसार में सकारात्मकता फैलती है.
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