सोशल मीडिया ने आज के दौर में संवाद, मनोरंजन और व्यवसाय के लिए अहम भूमिका निभाई है. साथ ही साथ नेपाल की तरह कई देशों ने सुरक्षा, राजनीति और सांस्कृतिक कारणों से इन प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध भी लगाए गए हैं. लेकिन जिस तरह का तीखा रिएक्शन नेपाल से आ रहा है, वैसा कहीं से भी नहीं मिला. आइए जानते हैं कि किन देशों ने कौन से प्लेटफॉर्म्स को क्यों बैन किया है और अमेरिका में TikTok के भविष्य पर क्या बहस चल रही है.
इन देशों में लग चुका है सोशल मीडिया प्रतिबंध
चीन का ग्रेट फायरवॉल
चीन में 'ग्रेट फायरवॉल' के तहत कई पश्चिमी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Facebook, Instagram, Twitter, YouTube और WhatsApp बैन हैं. ये कदम राजनीतिक असंतोष और सूचना नियंत्रण को लेकर उठाए गए हैं. चीन में इसके स्थान पर WeChat, Sina Weibo और Douyin (TikTok का चीनी संस्करण) जैसे प्लेटफॉर्म्स हैं.
भारत में टिकटॉक और पबजी पर बैन
भारत ने जून 2020 में 59 चीनी ऐप्स जिनमें TikTok और WeChat प्रमुख थे, राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर बैन किए थे. सरकार का कहना था कि ये ऐप्स यूजर्स का डेटा चोरी कर सकते हैं. पबजी पर भी बैन हिंदुस्तानियों ने देखा.
ईरान में फेसबुक यूट्यूब तक बैन
ईरान में Facebook, Twitter, YouTube और Telegram जैसे प्लेटफॉर्म्स 2009 से बैन हैं. सरकार का कहना है कि ये प्लेटफॉर्म्स राजनीतिक असंतोष फैलाने और विदेशी प्रभाव बढ़ाने का काम करते हैं.
तुर्की में व्हाट्सऐप पर भी बैन लगा
तुर्की में 2025 में X (पूर्व में Twitter), YouTube, Instagram, Facebook, TikTok और WhatsApp जैसी प्रमुख सोशल मीडिया साइट्स पर प्रतिबंध लगाए गए थे. यह कदम मुख्य विपक्षी पार्टी के विरोध प्रदर्शन के आह्वान के बाद उठाया गया.
उत्तर कोरिया सभी वेस्टर्न प्लेटफॉर्म बंद
उत्तर कोरिया में अधिकांश पश्चिमी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स बैन हैं और इंटरनेट का उपयोग केवल उच्च सरकारी अधिकारियों तक सीमित है.
नेपाल में आया सबसे तीखा रिएक्शन
दुनिया के कई देशों ने सोशल मीडिया बैन लागू किया, लेकिन नेपाल में इसका सबसे विस्फोटक असर देखा गया. जैसे ही सरकार ने बड़े प्लेटफॉर्म्स पर रोक लगाई, हजारों युवा अचानक सड़कों पर उतर आए. राजधानी काठमांडू समेत कई इलाकों में प्रदर्शन तेज हो गए और टकराव तक की नौबत आ गई. यह दिखाता है कि जहां चीन, ईरान या उत्तर कोरिया जैसे देशों में लोग मजबूरी में बैन को स्वीकार कर लेते हैं, वहीं नेपाल में युवा पीढ़ी ने इसे सीधे अपनी आजादी पर हमला माना और खुलकर विरोध जताया.
अमेरिका में छिड़ी TikTok पर बहस
अमेरिका में TikTok को लेकर विवाद जारी है. 2025 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने एक कानून को मंजूरी दी थी, जिसके तहत ByteDance (TikTok की चीनी मूल कंपनी) को ऐप को अमेरिकी कंपनियों को बेचने या अमेरिका में बैन करने का आदेश दिया गया था. इसके बाद, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने TikTok के बैन को तीन बार टाला है. हाल ही में, 19 जून 2025 को उन्होंने एक्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी कर TikTok को 90 दिन का और समय दिया है. ट्रंप का कहना है कि TikTok युवा वोटरों के बीच लोकप्रिय है और इसके बिना चुनावी अभियान प्रभावित हो सकते हैं.
क्यों सरकार बनाम यूथ बन सकता है मुद्दा
सोशल मीडिया बैन न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीतिक नियंत्रण से जुड़े मुद्दे हैं, बल्कि ये नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना के अधिकार पर भी असर डालते हैं. दुनिया के कई देशों ने इन प्रतिबंधों को चुपचाप झेला, लेकिन नेपाल इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण बनकर उभरा, जहां युवाओं ने सड़कों पर उतरकर सरकार को सीधी चुनौती दी. अमेरिका में TikTok पर चल रही बहस ये दर्शाती है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के वैश्विक प्रभाव को लेकर देशों के दृष्टिकोण में गहरे अंतर हैं. अब नेपाल से जिस तरह का विरोध सामने आया है, लगता है कि अब सरकारों को सोचना होगा कि वो सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर बैन लगाकर कहीं युवाओं से सीधे विरोध तो नहीं ले रहे.
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