पहले समझौता और अब सौगात... PM मोदी का शांति फॉर्मूला मणिपुर में लाएगा नया सवेरा

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पूर्वोत्तर के मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा शुरू होने के दो साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पहली बार राज्य के दौरे पर पहुंच रहे हैं. मोदी सरकार ने पहले चार सितंबर को कुकी उग्रवादी समूहों के साथ संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर करके बड़ी सफलता हासिल की और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मणिपुर पहुंचकर विकास की सौगात से नवाजेंगे.

पीएम मोदी मणिपुर में 8,500 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का अनावरण करेंगे. कुकी समाज के बहुल इलाके चुराचांदपुर में पीएम मोदी 7,300 करोड़ रुपये की विकास परियोजना की आधारशिला रखेंगे.

वहीं, मैतेई बहुल इंफाल में 1,200 करोड़ रुपये के परियोजना का उद्घाटन पीएम मोदी करेंगे. इस तरह पीएम मोदी कुकी और मैतेई दोनों ही समाज के इलाके में विकास की आधारशिला रखकर मणिपुर में शांति का नया सवेरा लाने का प्लान बनाया है.

मणिपुर में कुकी और मैतेई हिंसा

मणिपुर में मई 2023 से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था, जिसमें 260 से ज़्यादा लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हुए. ऐसे में हिंसा शुरू होने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे की मांग उठती रही है. इसे लेकर वो लगातार विपक्ष के निशाने पर रहे.

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हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंसा की शुरुआत में राज्य का दौरा जरूर किया था, लेकिन प्रधानमंत्री नहीं गए. हिंसा को नियंत्रित न कर पाने के चलते मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को इस्तीफा देना पड़ा और मणिपुर में फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है.

विपक्ष कहता रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी दुनिया की यात्रा की है, लेकिन पिछले दो साल में संघर्षग्रस्त राज्य का दौरा करने का उन्हें समय नहीं मिला. केंद्र सरकार की ओर से कई प्रशासनिक और सुरक्षा उपायों के बावजूद, घाटी में रहने वाले मैतेई और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी समुदायों के बीच गहरे अविश्वास और संदेह के कारण मणिपुर में स्थायी शांति अब तक संभव नहीं हो पाई है. हालांकि, पीएम मोदी द्वारा हाल में उठाए गए कदमों को कुछ विश्लेषक आशावादी नजरिए से देख रहे हैं.

विकास की सौगात देंगे पीएम मोदी

अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो साल के बाद पहली बार शनिवार को मणिपुर के दौरे पर रहेंगे. पीएम पहले मिजोरम को असम से जोड़ने वाली रेलवे लाइन का उद्घाटन करेंगे और उसके बाद मणिपुर पहुंचेंगे. इस दौरान वह न सिर्फ लोगों से मिलेंगे बल्कि हजारों करोड़ की विकास योजनाओं का तोहफा भी देंगे. यह दौरा न सिर्फ विकास योजनाओं की शुरुआत का प्रतीक होगा, बल्कि शांति और भरोसे की बहाली का भी संकेत माना जा रहा है.

प्रधानमंत्री मोदी अपने दौरे में 8,500 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का तोहफा देंगे. इनमें से 7,300 करोड़ रुपये की योजनाओं की नींव चुराचांदपुर के पीस ग्राउंड से रखी जाएगी, जो कि कुकी बहुल इलाका है. वहीं, इंफाल में मैतेई समुदाय के बीच 1,200 करोड़ रुपये के बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया जाएगा.

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हिंसा के चलते मैतेई और कुकी समुदायों के बीच गहरी खाई पैदा हो गई है, लेकिन पीएम मोदी की यात्रा को दोनों समाज के बीच शांति का दांव माना जा रहा है. अब दोनों समुदायों के प्रतिनिधि भी यह मान रहे हैं कि प्रधानमंत्री की मौजूदगी से बातचीत और भरोसे का माहौल बनेगा, स्थानीय लोगों की जुबान पर अब यही चर्चा है कि यह दौरा केवल विकास की सौगात भर नहीं, बल्कि शांति का नया अध्याय साबित होगा.

राज्यसभा सांसद लेइशेम्बा सनाजाओबा ने इसे भाग्यशाली अवसर बताया और कहा, "इतिहास में पहली बार कोई प्रधानमंत्री ऐसे कठिन समय में राज्य का दर्द सुनने आ रहे हैं." इससे समझा जा सकता है कि पीएम मोदी का मणिपुर दौरा कितना अहम और शांति का नया रास्ता खोलने वाला माना जा रहा है.

कुकी-मैतेई के बीच शांति समझौता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर दौरे से पहले केंद्र सरकार ने कुकी उग्रवादी गुटों के साथ चार सितंबर को दिल्ली में हुए समझौते को राज्य में शांति की बहाली की दिशा में अहम कदम बताया है. इसके साथ ही लोगों की आवाजाही और आवश्यक सामानों की आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग-2 को फिर से खोलने से जुड़ा अहम एग्रीमेंट किया गया. यह समझौता कुकी- जो सिविल सोसायटी से जुड़ा संगठन है, इसके साथ किया गया है. लेकिन उसके ठीक बाद दोनों समुदायों के बीच शांति वार्ता में शामिल एक आदिवासी नेता की कुकी उग्रवादियों द्वारा हत्या ने सरकार के इस दावे पर सवाल खड़ा कर दिया है.

दिल्ली में हुए त्रिपक्षीय समझौते की सबसे अहम बात हिंसा शुरू होने के बाद से ही बंद नेशनल हाईवे-2 को खोलने पर बनी सहमति है. इसे मणिपुर की जीवन रेखा माना जाता है. यह नागालैंड के व्यापारिक शहर दीमापुर को राजधानी इंफाल से जोड़ता है. राज्य को जरूरी वस्तुओं की सप्लाई में इसकी अहम भूमिका रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीते मार्च में ही इसे मुक्त आवाजाही के लिए खोलने का एलान किया था. लेकिन कुकी संगठनों ने इस पर लगी पाबंदी हटाने से इनकार कर दिया था.

समझौते में कुकी उग्रवादियों के खिलाफ एक साल तक सैन्य अभियान रोकने पर भी सहमति बनी है. पहले भी यह समझौता था, लेकिन हिंसा में उग्रवादी संगठनों की भूमिका को ध्यान में रखते हुए इसे निलंबित कर दिया गया था. ताजा समझौता एक साल के लिए है. इसमें कुछ नई शर्तें भी जोड़ दी गई हैं. इस दौरान इसकी कड़ी निगरानी की जाएगी और उल्लंघन की स्थिति में इसकी समीक्षा की जाएगी.

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मणिपुर में आएगा शांति का नया सवेरा

सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन्स जिसे युद्धविराम समझौता भी कहते हैं, इस पर केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार और कुकी-जो विद्रोही समूहों के दो संगठनों ने हस्ताक्षर किए हैं. यह एग्रीमेंट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मणिपुर यात्रा से पहले हुआ है. ऐसे में माना जा रहा है कि पीएम मोदी शनिवार को मणिपुर को विकास की सौगात देने के साथ-साथ कुकी और मैतेई समुदाय के बीच शांति की आधारशिला भी रखेंगे.

बीजेपी ने बीरेन सिंह को सीएम पद से हटाने का कदम उठाया है. बीरेन सिंह एक मैतेई हैं और कुकी पक्ष उन्हें शांति प्रक्रिया में बाधा के रूप में देखता था. बीरेन सिंह के हटने के बाद कुकी और मैतेई समाज के बीच शांति समझौते पर सहमति बनी. इस समझौते की एक प्रमुख बात मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने की प्रतिबद्धता है.

यह एक ऐसा निर्णय है जो कुकी लोगों की अलग प्रशासन की मांग से एक बड़े बदलाव का संकेत देता है. मैतेई सिविल सोसायटी ग्रुप अलग प्रशासन के विचार का कड़ा विरोध करते रहे हैं. समझौते पर हस्ताक्षर होने के कुछ ही समय बाद, सिविल सोसायटी ग्रुप्स कुकी-जो काउंसिल (KZC) ने भारत के संविधान के तहत एक अलग प्रशासन के लिए राजनीतिक बातचीत की आशा व्यक्त करके मामले को और जटिल बना दिया.

मोदी सरकार ने कहा था कि केजेडसी लोगों और सामानों की निर्बाध आवाजाही के लिए एनएच-2 (इम्फाल-दीमापुर राजमार्ग) पर नाकाबंदी हटाने पर सहमत है. वह इस रूट पर शांति बनाए रखने के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है. ऐसे में अब राजनीतिक और सामाजिक हलकों में सवाल उठ रहा है कि प्रधानमंत्री के दौरे से मणिपुर को क्या हासिल होगा. प्रदेश कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री को बहुत पहले ऐसा करना चाहिए था. अब यह मामला इतना उलझ गया है कि इसका समाधान बहुत मुश्किल है.

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