पिता का नाम मोबाइल, मां का नाम बैटरी, बिहार में डॉग बाबू, सोनालिका ट्रैक्टर के बाद अब फोन के नाम से आवेदन

17 hours ago 1

बिहार में सरकारी प्रमाण पत्र प्रणाली की विश्वसनीयता पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. पटना में "डॉग बाबू" के नाम से निवास प्रमाण पत्र जारी होने की घटना के बाद अब राज्य के अलग-अलग जिलों से ऐसे और भी हैरान कर देने वाले आवेदन सामने आ रहे हैं.

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मोतिहारी में "सोनालिका ट्रैक्टर" के नाम से आवेदन आया जिसमें एक्ट्रेस मोनालिसा की तस्वीर लगी थी.- (Photo: ITG)

बिहार में सरकारी प्रमाण पत्र प्रणाली की विश्वसनीयता पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. पटना में "डॉग बाबू" के नाम से निवास प्रमाण पत्र जारी होने की घटना के बाद अब राज्य के अलग-अलग जिलों से ऐसे और भी हैरान कर देने वाले आवेदन सामने आ रहे हैं, जो पूरे डिजिटल गवर्नेंस सिस्टम की पोल खोलते नजर आ रहे हैं.

पिता का नाम मोबाइल और मां का नाम बैटरी
ताजा मामला मधेपुरा जिले से सामने आया है, जहां एक आवेदन पत्र वायरल हो रहा है. इस आवेदन में आवेदक का नाम "फोन", पिता का नाम "मोबाइल", और मां का नाम "बैटरी" लिखा गया है. यही नहीं, समस्तीपुर से वायरल हुए एक अन्य आवेदन में नाम "पैशन प्रो", पिता का नाम "अपाचे बाइक एजेंसी", और मां का नाम "पेट्रोल" दर्ज है.

आवेदक का नाम "डोगेश बाबू"
इसी क्रम में नवादा से एक और अजीब आवेदन सामने आया है जिसमें आवेदक का नाम "डोगेश बाबू", पिता का नाम "डोगेश के पापा" और मां का नाम "डोगेश की मम्मी" लिखा गया है.

मोतिहारी में "सोनालिका ट्रैक्टर" के नाम से आवेदन
इससे पहले मोतिहारी में "सोनालिका ट्रैक्टर" के नाम से निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया गया था. हालांकि वह प्रमाण पत्र जारी नहीं हुआ, लेकिन आवेदन का स्क्रीनशॉट वायरल होते ही प्रशासन सकते में आ गया. आवेदन में एक्ट्रेस मोनालिसा की तस्वीर लगी थी.

ऑनलाइन प्रमाण पत्र सिस्टम की निगरानी पर गंभीर सवाल
इन मामलों ने राज्य सरकार के ऑनलाइन प्रमाण पत्र सिस्टम की निगरानी और सत्यापन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. अब यह भी चर्चा में है कि क्या ये महज लापरवाही हैं या फिर सरकार की छवि खराब करने के लिए कोई संगठित साजिश रची जा रही है?

सभी जिले अलर्ट पर
फिलहाल सभी जिलों के डीएम को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे मामलों की बारीकी से जांच की जाए और दोषी पाए जाने पर आईटी एक्ट और अन्य धाराओं में कठोर कार्रवाई की जाए. वहीं, आम जनता में भी इस बात को लेकर नाराजगी है कि आधारभूत सत्यापन के बिना सरकारी तंत्र इतनी बड़ी चूक कैसे कर रहा है.

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