Kalki Jayanti 2025: हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कल्कि जयंती मनाई जाती है. यह पर्व भगवान विष्णु के 10वें अवतार भगवान कल्कि को समर्पित है. भगवान विष्णु को संसार का पालनहार माना गया है. शास्त्रों के अनुसार, जब भी धरती पर पाप बढ़ता है और धर्म की हानि होती है, तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतार लेते हैं. शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु के दस अवतार हैं, जिनमें से नौ का जन्म हो चुका है. और उनका दसवां या अंतिम अवतार कलियुग के अंत में होगा, जिसे कल्कि अवतार कहा गया है. भगवान कल्कि के जन्म को लेकर शास्त्रों में कुछ खास बातें भी कही गई हैं.
कहां होगा भगवान कल्कि का जन्म?
शास्त्रों के अनुसार, भगवान कल्कि का जन्म उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इनका जन्म सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन एक ब्राह्मण परिवार में होगा. उनके पिता भगवान विष्णु के परम भक्त होंगे और वह वेद-पुराणों के ज्ञाता होंगे. पुराणों के अनुसार, भगवान कल्कि एक सफेद घोड़े पर सवार होंगे और उनके हाथ में तलवार होगी. भगवान कल्कि का पापियों का नाश कर धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे.
कब होगा भगवान विष्णु के दसवें अवतार का जन्म?
मान्यता है कि कलियुग की अवधि 4,32,000 वर्ष की मानी जाती है. कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हो चुका है, जिसका अभी प्रथम चरण चल रहा और अब तक करीब 5126 साल बीत चुके हैं. यानी अभी भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होने में 4 लाख 26 हजार 875 साल बाकी हैं.
क्यों होगा भगवान कल्कि का अवतार?
शास्त्रों के अनुसार, समय के बीतने के साथ-साथ, कलियुग में पाप और अधर्म बढ़ जाएंगे. लोग बड़े-बुजुर्गों और माता-पिता का आदर-सत्कार नहीं करेंगे. शिष्य गुरु का सम्मान नहीं करेंगे और धर्म के रास्ते से लोग भटक जाएंगे. ऐसे में जब धरती से धर्म पूरी तरह से खत्म होने लगेगा. तब भगवान विष्णु कल्कि के रूप में अवतरित होंगे. वो पापियों और राक्षसों का नाश करेंगे और सतयुग की शुरुआत करेंगे. जहां फिर से सच्चाई, धर्म और प्रेम का वातावरण होगा.
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