पितृपक्ष में कर लेंगे नया काम तो क्या बिगड़ जाएगा... जानिए इस मनाही की असली वजह

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अक्सर सुना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान नया कार्य नहीं शुरू करना चाहिए. इस दौरान मांगलिक कार्य भी नहीं होते, साथ ही अगर कोई इन्वेस्ट वगैरह भी करना है तो पितृपक्ष का समय इसके लिए ठीक नहीं होता है. आखिर ऐसा क्यों है? पितृपक्ष के साथ ऐसी मनाही क्यों लगाई गई है और इसकी असली वजह क्या है? 

क्या कहता है विज्ञान और ज्योतिष?
इन सवालों को ज्योतिष के नजरिए से देखें तो यह कारण कुछ-कुछ सटीक नजर आते हैं. इस तरह ही मनाही का कारण चंद्रमा है. ज्योतिष के नजरिए को छोड़ भी दें तो पहले वैज्ञानिक आधार पर इसे समझने की कोशिश करते हैं. चंद्रमा के कारण पूर्णिमा को या उन तिथियों को समुद्र में ज्वार आता है और लहरें ऊंची-ऊंची उठने लगती हैं. यह चंद्रमा की आकर्षण शक्ति के कारण होता है जो कि जल को आकर्षित करता है.

चंद्रमा जल तत्व को करता है आकर्षित
मनुष्य के शरीर में भी 70 प्रतिशत जल है. ज्योतिष के आधार पर मानें तो चंद्रमा भी जल तत्व से बना है और प्रकृति के पंच भूतों में से जल तत्व का ही प्रतीक है. ज्योतिष के इसी नजरिए से देखें तो पितृ पक्ष के समय चंद्रमा की कलाएं धरती पर अधिक असर डाल रही होती हैं. चंद्रमा इन दिनों पृथ्वी के कुछ अधिक ही पास होता है, और यह मन-मस्तिष्क पर असर डालता है. कई बार भ्रम की स्थिति पैदा करता है और निर्णय लेने की क्षमता पर असर डालता है. इसलिए ऐसे कार्यों की मनाही ज्योतिष के आधार पर की जाती है जिनमें गंभीर फैसले लेने पड़ते हैं. चंद्रमा से धरती की निकटता का समय ही पितृपक्ष के दौरान का होता है, इसलिए ऐसी भ्रांति बन गई है कि पितृपक्ष के कारण, नए कार्य शुरू करने की मनाही है. जबकि इस दौरान चंद्रमा की आकर्षण शक्ति प्रबल होने के कारण ही ऐसे फैसले लेने को वर्जित किया गया है.

मन को भ्रम में डालता है चंद्रमा
शास्त्रों में कहा गया है कि 'चंद्रमा मनसो जातः' यानी चंद्रमा का जन्म पुराण पुरुष के मन से हुआ है. इसलिए चंद्रमा मन पर गहरा असर डालता है. मेडिकल साइंस भी कहता है कि जो मानसिक रोगों से पीड़ित रोगी होते हैं, चंद्रमा की आकर्षण शक्ति उनके ऊपर अधिक असर डालती है. पूर्णिमा के दिन उनकी स्थिति अधिक विचलित दिखाई देती है. चंद्रमा भ्रम की स्थिति भी पैदा करता है, लिहाजा चंद्रमा के कारण ही पितृपक्ष के दौरान नए फैसले, और नए कार्यों की शुरुआत पर रोक रहती है. 

इस रोक नकारात्मक भाव से नहीं देखना चाहिए, इसे ऐसे समझना चाहिए कि अगर मन में कोई विचार आ रहा है तो आप उसकी पूरी प्लानिंग कर लें, उसके नफा-नुकसान को परख लें, पितृपक्ष के दिन आपको इस तरह के अच्छे मौके भी देते हैं. इस तरह से पितृपक्ष का अच्छा उपयोग भी किया जा सकता है, क्योंकि वैसे भी यह समय अध्ययन, चिंतन और मनन के लिए ठीक होता है.

चंद्र कलाओं का पितृपक्ष से संबंध 
चंद्रमा की कलाओं का पितृपक्ष से विशेष संबंध है, और चंद्र दोष पितरों की आत्मा की शांति और पितृपक्ष में किए गए तर्पण/श्राद्ध जैसे कर्मकांडों से संबंधित है. जब चंद्रमा खराब स्थिति में होता है, तो 'चंद्र दोष' बनता है, जिसके प्रभाव से व्यक्ति मानसिक और शारीरिक परेशानियों में जूझ सकता है. इसलिए पितृपक्ष के दौरान नए कार्यों से बचना चाहिए.

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