पुष्कर मेले में घटे ऊंट, बढ़े घोड़े... सदियों पुराना मेला अब ले रहा नया रूप

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विश्व प्रसिद्ध पुष्कर पशु मेले में इस बार ऊंटों की संख्या में कमी देखी जा रही है जबकि अश्वों की संख्या चार हजार के पार पहुंच चुकी है. ऊंटों पर रोक और बदलते रुझानों के कारण यह स्थिति बनी है. पशुपालक और व्यापारी बड़ी संख्या में पहुंचे हैं और मेला क्षेत्र टेंट सिटी में बदल गया है.

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 Dinesh Parasar/ITG)

पुष्कर मेले में ऊंटों की संख्या घटी (Photo: Dinesh Parasar/ITG)

पुष्कर का विश्व प्रसिद्ध पशु मेला इस बार एक अलग रंग दिखा रहा है. सदियों पुराने इस मेले में ऊंटों की संख्या घटती जा रही है, जबकि घोड़ों की संख्या लगातार बढ़ रही है. बुधवार से शुरू हुए मेले में अब तक चार हजार से अधिक अश्व पहुंच चुके हैं, वहीं ऊंटों की संख्या करीब 1400 है.

सरकार द्वारा राजस्थान से बाहर ऊंट ले जाने पर लगाई गई रोक के बाद से ऊंट व्यापार में गिरावट आई है. पहले जो मेला ऊंटों और बैलों के लिए जाना जाता था, अब वह अश्व व्यापार का केंद्र बनता जा रहा है.

ऊंटों के व्यापार में आई गिरावट

पशुपालक अपने जानवरों के साथ मोतीसर रोड स्थित नए मेला मैदान में खुले आसमान के नीचे डेरा डाले हुए हैं. मेला अधिकारी डॉ. सुनील घीया ने बताया कि पशुओं के उपचार के लिए स्थायी पशु चिकित्सालय के अलावा अस्थायी क्लिनिक और मोबाइल टीमें भी तैनात की गई हैं.

मेले में राजस्थान के अलावा पंजाब, हरियाणा और पड़ोसी राज्यों से व्यापारी आए हैं जो अच्छी नस्ल के घोड़े और घोड़ियां लेकर पहुंचे हैं. कई संतों, नेताओं और बाहुबलियों ने भी शानदार टेंट लगाए हैं जिससे मेला क्षेत्र टेंट सिटी में बदल गया है.

घोड़ों की संख्या में हुआ इजाफा

ऊंट पालक अपने झुंडों के साथ अस्थायी तंबुओं में रह रहे हैं. कई परिवार खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे हैं, जबकि कुछ अपने बनाए छोटे तंबुओं में ठहरे हैं. महिलाएं चूल्हों पर खाना बना रही हैं और पुरुष लकड़ी और छाणों से भोजन तैयार कर रहे हैं.

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