बद्रीनाथ से पुरी तक... इन 7 जगहों पर पिंडदान से पितरों को मिलती है मुक्ति

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श्राद्ध सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारे पूर्वजों के प्रति सम्मान, याद और आभार जताने का एक तरीका है. यह वह पवित्र समय है जब हम अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए उन्हें याद करते हैं. इस दौरान तर्पण, पिंडदान और दान जैसी क्रियाएं की जाती हैं. सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में किया गया श्राद्ध सीधे हमारे पूर्वजों तक पहुंचता है और उन्हें शांति प्रदान करता है.

इस पवित्र कर्म के लिए भारत में कौन-कौन से तीर्थ सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं? ऐसे स्थान जहां पितृसंतान के लिए किया गया श्राद्ध उनके सुख, संतोष और मुक्ति का माध्यम बनता है. 

1. गया, बिहार

गया को लेकर मान्यता है कि यहां श्राद्ध करने से सात पीढ़ियों तक के पितरों की मुक्ति होती है. बिहार के गया में फल्गु नदी के किनारे विष्णुपद मंदिर पर पिंडदान और तर्पण की परंपरा है. कहा जाता है कि भगवान विष्णु के चरणचिह्न यहां मौजूद हैं. जबकि पौराणिक मान्यता के मुताबिक यहीं सीता जी ने अपने पितरों के लिए पिंडदान किया था. इसी वजह से इसे मुक्तिधाम भी कहा जाता है. यही वजह है कि हर साल पितृपक्ष में यहां लाखों लोग आते हैं. 

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2. वाराणसी, उत्तर प्रदेश

काशी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है. लोग मानते हैं कि यहां किए गए कर्म सीधे मुक्ति का द्वार खोलते हैं. यहां मणिकर्णिका घाट के साथ-साथ पिशाचमोचन कुंड पर भी श्राद्ध और पिंडदान का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि गया जाने से पहले काशी में त्रिपिंडी श्राद्ध जरूर करना चाहिए. मान्यता है कि यहां किया गया श्राद्ध आत्मा को शिवलोक तक पहुंचाता है. 

3. इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश

प्रयागराज यानी इलाहाबाद का नाम आते ही सबसे पहले गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम याद आता है. यहीं पर कुंभ और अर्धकुंभ का आयोजन होता है. इसके अलावा संगम घाट पितृ श्राद्ध के लिए भी सबसे अच्छा माना जाता है. यही वजह है कि शुभ तिथियों पर लोग यहां आकर गंगा स्नान और पिंडदान करते हैं. 

4. हरिद्वार, उत्तराखंड

गंगा के तट पर बसे हरिद्वार को सदियों से मोक्षदायिनी नगरी कहा गया है. यहां कुशावर्त घाट और नारायण शिला पर पितरों के श्राद्ध की परंपरा है. खासकर हर की पौड़ी पर किया गया तपर्ण अत्यंत फलदायी माना जाता हैं. यहां एक ऐसी मान्यता है कि यदि किसी आत्मा को प्रेतयोनि का कष्ट है, तो नारायण शिला पर किए गए श्राद्ध से उसे मिलती है. इसी वजह से श्राद्ध पक्ष में हरिद्वार में भीड़ उमड़ती है.

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5. बद्रीनाथ, उत्तराखंड 

उत्तराखंड का बद्रीनाथ धाम न सिर्फ़ चार धामों में से एक है बल्कि श्राद्ध के लिए भी अत्यंत पवित्र स्थान है. बद्रीनाथ मंदिर के पास ब्रह्मकपाल घाट स्थित है. माना जाता है कि यहां भगवान शिव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिली थी. इसलिए श्रद्धालु अपने पितरों का अंतिम श्राद्ध यहीं करना शुभ मानते हैं. इतना ही नहीं कहा जाता है कि यहां किया गया श्राद्ध गया से भी कई गुना फलदायी होता है.

6. द्वारका, गुजरात

गुजरात की द्वारका नगरी, भगवान श्रीकृष्ण का निवास स्थान मानी जाती है. द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन के साथ-साथ यहां पितृपक्ष के दौरान लोग श्राद्ध और पिंडदान भी करते हैं. समुद्र किनारे बसे इस स्थल को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद शक्तिशाली माना गया है.

7. पुरी, ओडिशा 

ओडिशा का पुरी धाम, चार धामों में से एक है. यहां भगवान जगन्नाथ का भव्य मंदिर है. इतना ही नहीं पितृपक्ष में यहां पिंडदान और श्राद्ध करने की परंपरा भी है. ऐसी मान्यता है कि यहां किया गया श्राद्ध आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाता है. यही वजह है कि हर साल आश्विन मास के दौरान हजारों श्रद्धालु पुरी आते हैं.

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