अब और टैरिफ न बढ़ाने का भरोसा, दोस्ती की दुहाई और... क्या भारत को बातचीत का सिग्नल दे रहा ट्रंप प्रशासन?

3 hours ago 1

अंतरराष्ट्रीय संबंधों में संकेतों और प्रतीकों का बड़ा महत्व होता है. टैरिफ के मुद्दे पर जब भारत और अमेरिका के बीच टेंशन चरम पर है तो इस बीच पिछले दो-तीन दिनों से अमेरिका सरकार के प्रतिनिधियों का बयान गौर करने लायक है. इन बयानों से संकेत मिलता है कि अमेरिका भारत के साथ टैरिफ टकराव पर फिर से बात करने को इच्छुक है. 

पिछले दो तीन दिन से अमेरिकी प्रशासन के बयानों पर गौर करें.  

21वीं सदी का निर्णायक रिश्ता
 
1 सितंबर को जब SCO समिट के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मुलाकात कर रहे थे तो लगभग ठीक उसी समय भारत में अमेरिकी दूतावास की तरफ से एक ट्वीट आया. इस ट्वीट में कहा गया कि संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही है, और ये 21वीं सदी का एक निर्णायक रिश्ता है.

भारत जीरो टैरिफ करने को तैयार

इसी दिन यानी कि एक सितबंर को ही राष्ट्रपति ट्रंप का एक बयान आया. इसमें ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने अब अमेरिकी आयात पर टैरिफ को "ना के बराबर" करने की पेशकश की है. हालाकि ट्रंप ने इसे "देर से उठाया गया कदम" बताया. लेकिन इस बयान से ये संदेश जरूर मिलता है कि ट्रंप भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को बेहतर करने की संभावना देख रहे हैं.

ट्रंप ने ये बात ट्रूथ सोशल में एक पोस्ट कर कही थी. इस पोस्ट में ट्रंप की भाषा काफी संतुलित थी. इस पोस्ट के आखिर में ट्रंप ने कहा कि ये कुछ तथ्य हैं जिन पर लोगों को विचार करना चाहिए.

भारत को हमारे साथ बात करनी चाहिए 

तेल की बिक्री पर ब्राह्मणों द्वारा मुनाफा कमाने की थ्योरी देने वाले ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने भी भारत को बातचीत करने का संकेत दिया था. नवारो ने कहा था कि भारत को हमारे साथ बातचीत करनी चाहिए. उन्होंने जापान, कोरिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया और यूरोपीय संघ की तरह ऐसा नहीं किया है. उन्हें बस यही लगता है कि वे हमारे साथ अपनी मनमानी जारी रख सकते हैं.

दो महान देश इस समस्या का समाधान निकाल लेंगे

2 सितंबर को अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बैसेंट का एक बयान आया. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि आखिरकार भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है, उनके मूल्य रूस की तुलना में हमारे और चीन के ज़्यादा करीब हैं. स्कॉट बैसेंट ने एक पॉजिटिव एप्रोच के साथ कहा कि "मुझे लगता है कि अंततः दो महान देश इस समस्या का समाधान निकाल लेंगे. हालांकि स्कॉट बैसेंट ने यह भी कि रूसी तेल खरीदने और फिर उसे दोबारा बेचकर भरत यूक्रेन में रूसी युद्ध को फाइनेंस करने में बड़ी भूमिका नहीं निभा रहा है."

भारत पर अब और टैरिफ नहीं लगेगा

इस बीच ट्रंप ने 3 सितंबर को एक बार फिर भरोसा दिया है कि भारत पर अब और टैरिफ नहीं लगेगा. ट्रंप ने एक पॉडकॉस्ट में कहा कि भारत ने मुझे ऑफर दिया था. अब भारत पर और टैरिफ नहीं लगेगा. अब और टैरिफ नहीं. ट्रंप ने कहा कि अगर वे भारत पर टैरिफ नहीं लगाते तो वे ऑफर भी नहीं देते. 

ट्रंप के बयानों में एक दोहरा रुख दिखता है. वे भारत पर उच्च टैरिफ और रूसी तेल खरीदने का आरोप लगाते हैं, लेकिन साथ ही बातचीत और समझौते की संभावना को भी खुला रखते हैं. यह उनकी "दबाव बनाकर सौदा करने" की रणनीति का हिस्सा हो सकता है. ट्रंप ने इस रणनीति को जापान और ब्रिटेन के साथ आजमाया है.

इधर भारत ने कभी भी अमेरिका को लेकर भड़काऊ बयान नहीं दिया है. भारत ने दृढ़ता दिखाते हुए कहा है कि वह अपने हितों जैसे- कृषि, डेयरी, और ऊर्जा सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा. लेकिन भारत बातचीत के लिए तैयार है. 

नवंबर तक ट्रेड डील संभव

इस बीच भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक और सकारात्मक बयान दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि चीजें जल्द ही पटरी पर आ जाएंगी और हम पतझड़ मौसम या नवंबर तक या उसके आसपास द्विपक्षीय व्यापार समझौता कर लेंगे, जैसा कि फरवरी में हमारे दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई थी.

पीयूष गोयल ने स्वीकार किया कि वार्ता में व्यापार मामलों की तुलना में कुछ भू-राजनीतिक मुद्दे हावी रहे, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पक्ष अभी भी बातचीत में लगे हुए हैं. 

भारत का टैरिफ टेंशन

बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ के मुद्दे पर सहमति बनाने के लिए मार्च से अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है. लेकिन दोनों ही देश व्यापार समझौतों पर एकमत पर नहीं पहुंच सके हैं. 27 अगस्त से अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है.इस वजह से अमेरिका जाने वाला भारत का आयात 50 परसेंट महंगा हो गया है.  

SCO से पीएम मोदी और जिनपिंग का संदेश 

गौरतलब है कि ट्रंप पर अमेरिका की नीतियों में आक्रामक बदलाव लाने के बाद भारत भी सधे और दृढ़ कदम उठा रहा है.  

SCO से अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं को आउटडेटेड फ्रेमवर्क्स में कैद रखना भावी पीढ़ियों के प्रति अन्याय है. प्रधानमंत्री ने नए वर्ल्ड ऑर्डर की ओर इशारा करते हुए कहा कि नई पीढ़ी के बहुरंगी सपनों को हम पुराने जमाने की ब्लैक-एंड-व्हाइट स्क्रीन पर नहीं दिखा सकते, इसके लिए स्क्रीन बदलनी होगी.

वहीं इस सम्मेलन में शी जिनपिंग ने अमेरिका का नाम लिए बिना 'चौधराहट''शीत युद्ध कीमानसिकता' और 'धमकी वाली नीतियों' का विरोध करने का संदेश दिया. चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि हमें विश्व के एक समान और व्यवस्थित बहुध्रुवीय स्वरूप, और सभी के लिए लाभकारी और समावेशी आर्थिक नीत की वकालत करनी चाहिए.जिनपिंग ने कहा कि वैश्विक शासन प्रणाली को अधिक न्यायसंगत और समतापूर्ण बनाने की जरूरत है.

वहीं रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने SCO से यूरोप और एशिया में सुरक्षा की एक "नई प्रणाली" बनाने का आह्वान किया. पुतिन ने इसे पश्चिमी नेतृत्व वाले गठबंधनों का विकल्प बताया.

---- समाप्त ----

Read Entire Article