महाराष्ट्र में धुले में कुत्ते के हमले में एक बंदर की मौत से पूरा गांव शोक में डूब गया. यहां गांव वालों ने उसका अंतिम संस्कार किया और भोज भी कराया. साथ ही गांव के पुरुषों ने सिर मुंडवाए.
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बंदर की मौत पर गांव में मातम (Photo: ITG)
महाराष्ट्र में धुले की शिरपुर तालुका से मात्र आठ किलोमीटर दूर स्थित बलदे गांव में 23 अगस्त को एक हृदयविदारक घटना घटी. दरअसल, गांव में आवारा कुत्तों के हमले में गंभीर रूप से घायल एक बंदर की मौत हो गई. इस घटना ने बलदे गांव के लोगों के दिलों पर गहरा घाव छोड़ दिया.
हमले के बाद घायल अवस्था में बंदर गांव के जंगल में भटक गया और बिना इलाज के ही मर गया. गांव के ही राजेंद्र भगवान पाटिल ने उसे मृत पाया. जैसे ही उन्होंने गांव वालों को यह बात बताई, पूरा बलदे गांव भावुक हो गया. इसके बाद, ग्रामीणों ने मानवीय गरिमा के साथ बंदर का अंतिम संस्कार किया. अंतिम संस्कार के दौरान पूरा गांव शोक में डूबा रहा. इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने पांच दिन का शोक घोषित करके अपनी कृतज्ञता व्यक्त की.
इसके बाद, 27 अगस्त को गांव के हनुमान मंदिर प्रांगण में दशक्रिया अनुष्ठान किया गया. अनुष्ठान की शुरुआत हनुमान चालीसा के पाठ से हुई. लगभग 2,500 से 3,000 की संख्या में गांव के सभी नागरिकों ने इसमें भाग लिया. इसके अलावा गांव के पुरुषों ने सिर मुंडवाकर अपना शोक व्यक्त किया. वहीं महिलाओं ने भी सूतक काल का पालन करके अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.
धार्मिक अनुष्ठानों के समापन के बाद, गांव के विट्ठल-रुक्मई मंदिर में सामूहिक भोज का आयोजन किया गया. इस पूरे आयोजन में पूर्व विधायक संभाजीराव पाटिल का विशेष मार्गदर्शन रहा. पूरे गांव द्वारा बंदर के प्रति इस प्रकार शोक और श्रद्धा व्यक्त करने की घटना न केवल बलदे गांव के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए भावुक कर देने वाली रही. मानव समाज में पशुओं के प्रति दया, करुणा और अपार प्रेम का यह हृदयस्पर्शी एहसास सभी को इस घटना के माध्यम से हुआ है.
Input: विशाल ठाकुर
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