उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच ऐतिहासिक दुश्मनी रही है. हालांकि, अब दक्षिण कोरिया संबंधों में सुधार चाहता है लेकिन उत्तर कोरियाई तानाशाह दक्षिण कोरिया से बातचीत शुरू नहीं करना चाहते. इस बीच चीन में दोनों देशों के बीच कुछ ऐसा हुआ है जिसकी खूब चर्चा हो रही है.
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किम जोंग उन दक्षिण कोरिया से बातचीत नहीं रखना चाहते हैं (Photo: Reuters)
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की दुश्मनी जगजाहिर है जहां दोनों देशों ने एक-दूसरे पर कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं. लेकिन चीन में कुछ ऐसा हुआ है जिसे बेहद ही दुर्लभ माना जा रहा है. चीन ने बुधवार को द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान पर विजय (विक्ट्री डे परेड) की 80वीं वर्षगांठ मनाई जिसमें 20 से अधिक देशों के नेताओं ने हिस्सा लिया. इस परेड में उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और दक्षिण कोरिया की नेशनल असेंबली के स्पीकर वू वोन-शिक भी शामिल हुए. इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया जो कि चर्चा का विषय बना हुआ है.
दक्षिण कोरियाई नेशनल असेंबली के स्पीकर ऑफिस की तरफ से दोनों के हाथ मिलाने की खबर दी गई है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वू के ऑफिस की तरफ से एक बयान जारी कर बताया गया कि दोनों ने विक्ट्री डे परेड की शुरुआत से पहले हाथ मिलाया. वू इस कार्यक्रम में दक्षिण कोरिया का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
दक्षिण कोरिया से बातचीत शुरू नहीं करना चाहते किम
दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली जे म्युंग की तरह ही वू ने भी उत्तर कोरिया के साथ तनावपूर्ण संबंधों में सुधार लाने का आह्वान किया है. हालांकि, उत्तर कोरिया अब तक दक्षिण कोरिया के संबंध सुधार के प्रस्तावों को ठुकराता रहा है. उसका कहना है कि वो दक्षिण कोरिया के साथ बातचीत करने की इच्छा नहीं रखता है.
बयान में कहा गया कि वू ने बीजिंग में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात की और रूसी नेता ने उनसे पूछा कि क्या वो किम को कोई संदेश देना चाहते हैं? अगर हां, तो वो उसे उन तक पहुंचा देंगे.
वू ने जवाब में कहा कि मुश्किल परिस्थितियों के बावजूद कोरियाई प्रायद्वीप में शांति स्थापित करना अब 'बहुत जरूरी' है. इसके बाद किम ने वू से हाथ मिलाया.
बीजिंग रवाना होने से पहले वू ने कहा था कि यह साफ नहीं है कि वो किम से मिल पाएंगे या नहीं, लेकिन अगर वो मिलते हैं तो वो उनसे कोरियाई प्रायद्वीप में शांति स्थापित करने के बारे में चर्चा करना चाहेंगे. वू के साथ बीजिंग दौरे पर ऐसे कई कोरियाई सांसद गए थे जिन्होंने उत्तर कोरिया के साथ बातचीत शुरू करने की दिशा में अहम कोशिश की है.
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