पाकिस्तान में सालों से आतंकी हमले करते आ रहा जिहादी आतंकवादी समूह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) अब बांग्लादेश में भी अपने पैर पसारता दिख रहा है. टीटीपी ने बांग्लादेश में भर्तियां शुरू कर दी हैं. भारत के साथ 4,000 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा साझा करने वाले बांग्लादेश में टीटीपी की गतिविधियां भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है. यह बात इसलिए भी और गंभीर है क्योंकि बांग्लादेशी सुरक्षा और खुफिया संगठन इस खतरे से अब तक बेखबर बैठी थीं.
बांग्लादेश से कम से कम दो पाकिस्तानी तालिबान के रिक्रूटर्स के पाकिस्तान होते हुए अफगानिस्तान पहुंचने के सबूत मिले हैं. उनमें से एक अप्रैल में वजीरिस्तान में पाकिस्तानी सेना के साथ मुठभेड़ में मारा गया था.
टीटीपी की बात करें तो यह संगठन मुख्य रूप से पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा क्षेत्र में सक्रिय है.
टीटीपी की गतिविधियों में बढ़ोतरी की रिपोर्टें ऐसे समय में आ रही हैं, जब बांग्लादेश में अगस्त 2024 में शेख हसीना शासन के पतन के बाद देश के जिहादी समूहों को बढ़ावा मिल रहा है.
ढाका स्थित 'द डेली स्टार' के अनुसार, जुलाई में बांग्लादेश की आतंकवाद निरोधक इकाई (एटीयू) ने टीटीपी से कथित संबंध के लिए दो व्यक्तियों शमीन महफूज और मोहम्मद फॉयसल को गिरफ्तार किया था. अखबार ने कहा कि बांग्लादेशी अधिकारी खुफिया जानकारी के आधार पर कार्रवाई करके खतरे को रोकने की कोशिश करने रहे हैं.
बांग्लादेश पुलिस ने 2017 में एटीयू की स्थापना की थी जो कि एडवांस इंटेलिजेंस स्ट्रैटजी का इस्तेमाल कर इस तरह के खतरों को टार्गेट करता है.
दोनों व्यक्तियों की गिरफ्तारियां बांग्लादेश के डिजिटल आउटलेट 'द डिसेंट' की मई में प्रकाशित एक रिपोर्ट के बाद हुई हैं, जिसमें खुलासा किया गया था कि कम से कम आठ बांग्लादेशी नागरिक फिलहाल अफगानिस्तान में टीटीपी के मेंबर के रूप में सक्रिय हैं.
उनमें से एक को कथित तौर पर अप्रैल में पाकिस्तानी सेना ने मार डाला था. लेकिन हैरानी की बात ये है कि उसकी मौत की खबर से बांग्लादेश का सुरक्षा संगठन अनजान रहा और बांग्लादेश की मीडिया में भी खबर जुलाई में ही सामने आई.
TTP से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी पर क्या बोले मानवाधिकार संगठन
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर खुद को मानवाधिकार कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक बताने वाले आसिफुर रहमान चौधरी ने मंगलवार को लिखा, 'मैं बांग्लादेश में पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकवादी समूह टीटीपी के सक्रिय सदस्यों की संख्या के बारे में सोच रहा हूं. फिर भी, यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के डीआईजी और पुलिस कमिश्नर जैसे अधिकारियों ने बार-बार कहा है कि देश में कोई आतंकवादी नहीं है...'
बांग्लादेश के मानवाधिकार कार्यकर्ता सौमिक साहेब ने देश के सुरक्षा प्रतिष्ठान और सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा, 'बांग्लादेश के अधिकारियों ने गैबांधा से एक व्यक्ति को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया है. हाल के समय में यह एक दुर्लभ अच्छा काम है...'
माना जा रहा है कि दो गिरफ्तारियों और बांग्लादेशी नागरिकों के पाकिस्तान तालिबान में सक्रिय रूप से शामिल होने की खबरों के बाद और गिरफ्तारियां हो सकती हैं.
बांग्लादेश आतंकवादी हिंसा से अछूता नहीं है. 2016 में ढाका में इस्लामिक स्टेट से जुड़े हमले में 22 नागरिक मारे गए थे और आतंकवादी नेटवर्कों पर देशव्यापी कार्रवाई शुरू हो गई थी.
पूर्व आतंकवादी समूह के नेता फिर गिरफ्तार
14 जुलाई को एटीयू ने नारायणगंज में शमीन महफूज को टीटीपी के साथ कथित संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया. जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के पूर्व नेता और 2019 में जमातुल अंसार फिल हिंदल शरकिया की स्थापना करने वाले शमीन का इतिहास आतंकवादी समूहों से जुड़ा रहा है.
इससे पहले 2014 में जेएमबी में भर्ती के लिए शमीन को गिरफ्तार किया गया था. 2023 में भी आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय अपराध निरोधक (सीटीटीसी) यूनिट ने उसे विस्फोटकों के साथ हिरासत में लिया था. उस पर आतंकवाद निरोधक अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के तहत 10 मामले दर्ज हैं.
शमीन को अक्टूबर 2024 में जमानत पर रिहा किया गया था. उसने कथित तौर पर बंदरबन स्थित अलगाववादी समूह कुकी-चिन नेशनल फ्रंट (केएनएफ) के नाथन बॉम के साथ मिलकर 2020 में चटगांव हिल ट्रैक्ट्स में आतंकवादी ट्रेनिंग सेंटर बनाए थे.
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, शमीन और नाथन बॉम ढाका विश्वविद्यालय में घनिष्ठ मित्र थे. ढाका विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई करने वाला शमीन बांग्लादेश मुक्त विश्वविद्यालय में शिक्षक भी रह चुका है. उसे उग्रवादी हलकों में "सर" के नाम से जाना जाता है. हालिया गिरफ्तारी के बाद शमीन पूछताछ के लिए पांच दिनों की रिमांड पर है.
2 बांग्लादेशी टीटीपी रिक्रूटर्स अफगानिस्तान पहुंचे
इस बीच 2 जुलाई को 33 साल के मोहम्मद फॉयसल को सावर शहर में उसकी दुकान, भाई ब्रदर्स टेलीकॉम से गिरफ्तार किया गया. फॉयसल के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी कि वो टीटीपी से जुड़ा है.
फॉयसल ने कथित तौर पर अक्टूबर 2024 में बांग्लादेशी नागरिक अहमद जुबैर के साथ पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान की यात्रा की थी. जुबैर अप्रैल 2025 में वजीरिस्तान में पाकिस्तानी सेना के एक ऑपरेशन में मारा गया था.
फॉयसल के कथित इकबालिया बयान के अनुसार, उसे और जुबैर को इमरान हैदर नामक एक एयरोनॉटिकल इंजीनियर ने भर्ती किया था, जिससे उसकी मुलाकात अफगानिस्तान में हुई थी. हैदर बांग्लादेशी युवकों को ऑनलाइन आतंकवादी विचारधारा के लिए प्रेरित करता था और उन्हें जिहाद के लिए तैयार करता था.
इन गतिविधियों के लिए 5 जुलाई को आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत फॉयसल और पांच अन्य - इमरान हैदर, रेजाउल करीम अबरार, आसिफ अदनान, जकारिया मसूद और मोहम्मद सनाफ हसन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. आगे की जांच तक फॉयसल को जेल में ही रखा जाएगा.
मलेशिया में गिरफ्तार हुए 36 बांग्लादेशी
जून में मलेशिया ने कथित रूप से एक चरमपंथी नेटवर्क से संबंध को लेकर 36 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया था. मलेशियाई अखबार 'न्यू स्ट्रेट्स टाइम्स' के अनुसार, ये गिरफ्तारियां उग्रवाद पर अंकुश लगाने की कोशिशों के तहत की गईं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, सभी बांग्लादेशी मलेशिया में कारखानों, कंस्ट्रक्शन और सर्विस जैसे क्षेत्रों में काम करने गए थे. पुलिस की खुफिया जानकारी के अनुसार, चरमपंथी नेटवर्क ने बांग्लादेशी कामगारों की भर्ती की और चरमपंथी विचारधाराओं को फैलाने के लिए सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया.
कथित तौर पर, नेटवर्क ने सीरिया और बांग्लादेश में इस्लामिक स्टेट को भेजने के लिए अंतरराष्ट्रीय फंड, ट्रांसफर सेवाओं और ई-वॉलेट का इस्तेमाल करके भी धन जुटाया. पांच लोगों पर आतंकवादी संगठन का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया है, जबकि 15 को बांग्लादेश भेज दिया जाएगा. आगे की जांच तक 16 लोग हिरासत में हैं.
बांग्लादेश पहले से ही राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहा है जहां हिंसा की खबरें लगातार आ रही है. ऐसे में देश में टीटीपी से जुड़े आतंकवादियों की मौजूदगी बांग्लादेश के लिए चिंता की बात है. बांग्लादेश में टीटीपी का ऑपरेट करना भारत के लिए भी सिरदर्दी है.
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