बिहार में विधानसभा चुनाव करीब हैं और चुनावी मौसम में कांग्रेस की ओर से लोकसभा में विपक्ष के नेता और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोर्चा संभाल लिया है. राहुल गांधी इन दिनों वोटर अधिकार यात्रा पर निकले हैं. सासाराम से 17 अगस्त को शुरू हुई यह यात्रा 1 सितंबर तक चलनी है.
1300 किलोमीटर की इस यात्रा के जरिये कांग्रेस और महागठबंधन का प्लान 23 जिलों की 50 विधानसभा सीटों तक पहुंचने का है. इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी हैं और अब उन्हें अपनी बहन प्रियंका गांधी का भी साथ मिलने जा रहा है.
प्रियंका गांधी दो दिन के दौरे पर बिहार पहुंच रही हैं. प्रियंका गांधी 26 और 27 अगस्त को वोट अधिकार यात्रा में शामिल होंगी. भाई-बहन की जोड़ी 26 अगस्त को सुपौल और मधुबनी में वोटर अधिकार यात्रा में शामिल होगी. दूसरे दिन यानी 27 अगस्त को प्रियंका गांधी के जानकी मंदिर में पूजा-अर्चना करने का कार्यक्रम है.
एनडीए के गढ़ में प्रियंका गांधी की हुंकार
प्रियंका गांधी के दरभंगा और मुजफ्फरपुर में रोड-शो का भी कार्यक्रम है. एक्टिव पॉलिटिक्स में आने के बाद प्रियंका गांधी का बिहार में यह पहला सियासी कार्यक्रम है. प्रियंका गांधी जिन इलाकों में वोटर अधिकार यात्रा में शामिल हो रही हैं, रोड-शो करने जा रही हैं, वह भारतीय जनता पार्टी और सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का गढ़ माने जाते हैं.
हालांकि, कभी ये इलाके कांग्रेस का भी मजबूत किला रहे हैं और माना जा रहा है कि ग्रैंड ओल्ड पार्टी अपनी पुरानी जमीन वापस पाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.
बिहार के सियासी रण में भाई-बहन की जोड़ी
राहुल गांधी की चुनाव कार्यक्रम के ऐलान से पहले यात्रा के जरिये जनता के बीच पहुंचने, और अब प्रियंका गांधी के इस यात्रा में शामिल होने की टाइमिंग, दोनों को कांग्रेस की इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. प्रियंका गांधी जिस दिन वोटर अधिकार यात्रा में शामिल हो रही हैं, उस दिन हरितालिका तीज का व्रत है. यह व्रत बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु की कामना के साथ निर्जला करती हैं.
हरितालिका तीज का व्रत बिहार में नीतीश कुमार का कोर वोट बैंक मानी जाने वाली महिलाओं के लिए कांग्रेस की ओर से एक संदेश की तरह देखा जा रहा है. वहीं, दूसरे दिन प्रियंका गांधी का जानकी मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना का कार्यक्रम बीजेपी की हिंदुत्व पॉलिटिक्स को काउंटर करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा.
प्रियंका गांधी के बिहार दौरे के मायने
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क ने कहा कि बीजेपी की रणनीति भावनात्मक मुद्दों को भुनाने की रही है और प्रियंका के दौरे की टाइमिंग कांग्रेस के भी इसी पिच पर उतरने की तैयारी का संकेत है. प्रियंका गांधी हरितालिका तीज के मौके पर बिहार में होंगी, वह व्रत रखेंगी या नहीं रखेंगी ये अलग विषय है. प्रियंका का जानकी मंदिर जाना लोगों को जोड़ेगा और कांग्रेस की कोशिश अब बीजेपी पर उसी के हथियार से वार करने की होगी.
उन्होंने आगे कहा कि मंदिर, पूजा पाठ, धर्म, आराधना... ये तमाम चीजें बीजेपी की चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं. पश्चिम बंगाल में भी 2021 के चुनाव में बीजेपी ने मंदिरों से शुरुआत की और अंत में स्थिति यह हो गई कि ममता बनर्जी ने अपने तमाम उम्मीदवारों से सुबह उठकर सबसे पहले मंदिर जाने और साफ-सफाई करने के लिए कह दिया था.
मुस्लिम परस्ती से बाहर निकलने का प्लान
मुस्लिम परस्ती के आरोप काउंटर करने के लिए बंगाल में ममता बनर्जी ने मंच से चंडी पाठ किया था. अब प्रियंका गांधी का मंदिर जाना बिहार चुनाव में कांग्रेस के लिए एक सियासी प्रयोग हो सकता है. प्रियंका गांधी पहले भी यूपी सहित जिन भी राज्यों में गई हैं, वहां की प्रमुख मंदिर में जाकर दर्शन और पूजा पाठ करती रही हैं.
तेजस्वी यादव (Photo: PTI)" class="image-style-medium-crop-simple" height="424" src="https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/styles/medium_crop_simple/public/images/story/202508/rahul_gandhi_p_4.jpg" typeof="foaf:Image" width="650" />
ओमप्रकाश अश्क ने कहा कि कांग्रेस और आरजेडी पर भी मुस्लिम परस्ती के आरोप लगते रहे हैं. प्रियंका का दौरा, उसकी टाइमिंग और कार्यक्रम यह संकेत है कि कांग्रेस अब मुस्लिम परस्ती के आरोप से होने वाले डेंट को कम करने की रणनीति पर भी काम शुरू कर चुकी है.
प्रियंका गांधी का यह दांव कारगर रहा तो नुकसान बीजेपी और जेडीयू, दोनों को ही होगा. हालांकि, भाई का दलित और बहन का महिला और मंदिर कार्ड कितना असरदार रहता है, यह चुनाव नतीजे ही बताएंगे.
आधी आबादी को साधने का प्रियंका दांव
चुनाव कार्यक्रम के ऐलान से पहले ही विपक्ष जिस तरीके से जनता के बीच है, कहा ये भी जा रहा है कि पिछले चुनाव के नतीजों से महागठबंधन ने सबक लिया है. यह भी एक वजह है कि हर उस बिंदु पर अभी से ही सक्रियता दिखाई जा रही है, जहां 2020 में विपक्ष चूक गया था. 2020 का पूरा कैंपेन तेजस्वी यादव के इर्द-गिर्द था. खुद रबड़ी देवी भी प्रचार के दौरान उतनी सक्रिय नहीं दिखी थीं.
महागठबंधन को असरदार महिला चेहरे की कमी खली थी. इस बार इसकी भरपाई के लिए कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को पहले ही मैदान में उतार दिया है. प्रियंका गांधी बिहार में भी महिलाओं के बीच लोकप्रिय चेहरा हैं.
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लोकसभा चुनाव में भी विपक्षी खेमे में अगर किसी नेता के कार्यक्रम के लिए सबसे अधिक डिमांड थी, तो वह नेता प्रियंका गांधी थीं. यह बात अलग है कि प्रियंका ने तब खुद को राहुल गांधी की वायना़ड सीट और उत्तर प्रदेश में पार्टी के कैंपेन तक ही सीमित रखा और बिहार में उनकी कोई रैली नहीं हुई थी. पिछले तीन विधानसभा चुनावों का वोटिंग पैटर्न देखें, तो महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले अधिक मतदान किया है.
पुरुषों से ज्यादा महिलाओं का टर्नआउट
बिहार चुनाव 2010 में पहली बार किसी राज्य में महिलाओं का टर्नआउट पुरुषों से अधिक रहा था. तब 53 फीसदी पुरुषों के मुकाबले 54.5 फीसदी महिलाओं ने वोट किया था. नीतीश की पार्टी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी इसी चुनाव में आया था और जेडीयू ने तब अकेले 115 सीटें जीती थीं.
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टर्नआउट के मामले में महिलाओं की बढ़त का सिलसिला 2015 और 2020 के बिहार चुनाव में भी जारी रहा. 2015 में पुरुषों के 51 .1 के मुकाबले महिलाओं का टर्नआउट 60.4 फीसदी रहा था. वहीं, 2020 में भी पुरुषों के मुकाबले पांच फीसदी अधिक महिलाओं ने मतदान किया था.
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