प्रशांत किशोर की नजर शुरू से ही लालू यादव के M-Y फैक्टर यानी मुस्लिम-यादव समीकरण की राजनीति पर रही है - और तेजस्वी यादव को भी लगातार निशाना बनाए जाने के पीछे भी खास वजह यही है.
बिहार विधानसभा के चुनाव जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, प्रशांत किशोर अपने एजेंडे पर फोकस होते जा रहे हैं. अब वो खुद के चुनाव लड़ने की बात भी कर रहे हैं, और जेडीयू की सीटें कितनी आएंगी, ये भी दावे के साथ बता रहे हैं. प्रशांत किशोर का कहना है कि जैसे 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 100 सीटें नहीं मिलने की भविष्यवाणी सच साबित हुई, 2025 में जेडीयू के लिए ये नंबर 25 रहेगा. 25 के भीतर ही नीतीश कुमार की पार्टी सिमट कर रह जाएगी.
और उसी आत्मविश्वास के साथ जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर अब आरजेडी नेता लालू यादव की विरासत संभाल रहे तेजस्वी यादव के जनाधार सिमट जाने का दावा कर रहे हैं - प्रशांत किशोर के मुताबिक, बिहार में आरजेडी का मुस्लिम-यादव समीकरण बिल्कुल भी काम नहीं करने वाला है, और उसके पीछे उनकी अपनी दलील है.
प्रशांत किशोर M-Y फैक्टर को खारिज क्यों कर रहे हैं
मुस्लिम वोट बैंक पर तो प्रशांत किशोर की नजर पहले ही टिकती महसूस की गई थी, जब जन सुराज पार्टी का टिकट 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को दिए जाने की बात कही गई थी.
मुस्लिम वोट बैंक पर प्रशांत किशोर का फोकस ऐसे भी समझा जा सकता है, क्योंकि मुस्लिम आबादी के बीच पहुंचकर वो अपनी बात समझाने लगे हैं - और इसके लिए बिहार बदलाव इजलास आयोजित किया जा रहा है.
ऐसी सभाओं में प्रशांत किशोर कहते हैं, आपको बार-बार बताया गया कि आप अल्पसंख्यक हैं… नेताओं ने आपको मानसिक रूप से कमजोर कर दिया हैस जबकि आबादी के अनुपात में आपके 40 विधायक होने चाहिए, लेकिन बिहार में सिर्फ 19 विधायक ही हैं.
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 19 मुस्लिम विधायक जीते थे. सबसे ज्यादा लालू यादव की पार्टी आरजेडी के 8, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के 5, कांग्रेस के 4, कम्युनिस्ट पार्टी का 1 और मायावती की बीएसपी का 1.
बिहार में एमवाई समीकरण को लेकर पूछे जाने पर प्रशांत किशोर बोल पड़ते हैं, कहां एम वाई समीकरण है... एम-वाई समीकरण होता तो 40 मुसलमान विधायक होते.
अपनी बात समझाते हुए कहते हैं, समीकरण एम-वाई नहीं है, समीकरण वाई-एम है... जहां वाई समाज के लोग खड़े होते हैं वहां मुसलमान उनको वोट देता है, डर के मारे... जहां मुसलमान खड़ा होता है वहां वाई समाज के लोग या कोई और वोट नहीं देता है… आधा लोग हिंदू बन कर वोट देता है, भाजपा को.
M-Y समीकरण को काउंटर करने की रणनीति
प्रशांत किशोर समझाने वाले लहजे में कहते हैं, एम-वाई का छोड़िए विचारधारा आधारित समीकरण बनाइए... आजादी की लड़ाई जिस समीकरण ने लड़ी थी... गांधी को मानने वाले लोग... बाबा साहब को मानने वाले लोग... कम्युनिस्ट और समाजवादी विचारधारा के लोग... ये चार विचारधारा को मानने वाले लोग जब मुसलमानों के साथ मिलकर लड़ाई लड़े, तब देश को आजादी मिली... अब अगर आपको लड़ाई लड़नी है व्यवस्था बनानी है... अपनी जद्दोजहद से छुटकारा पाना है, तो विचारधारा आधारित व्यवस्था बनाइए.
मुस्लिम वोटर को समझाते हुए प्रशांत किशोर कहते हैं, अगर आपको भाजपा की विचारधारा आधारित व्यवस्था से लड़ना है तो महात्मा गांधी, बाबा साहेब आंबेडकर, कम्युनिस्ट, समाजवादी और मुसलमानों के विचारधारा आधारित सामाजिक सांस्कृतिक गठबंधन से ही वो लड़ाई लड़ी जा सकती है.
किशनगंज के मदरसा अंजुमन इस्लामिया मैदान में आयोजित ‘बिहार बदलाव इजलास’ में प्रशांत किशोर ने कहा, आरजेडी और महागठबंधन के लोगों को मुसलमानों की अगर चिंता है, तो बताएं कि पिछले 30 साल से क्यों नहीं मुस्लिम बच्चों के लिए पढ़ाई और रोजगार की व्यवस्था की? सिर्फ बीजेपी का डर दिखाकर मुसलमानों का वोट लिया.
मुस्लिम वोटर से प्रशांत किशोर का कहना है, मुस्लिम समाज के लोग आज तक लालटेन का तेल बनकर जलते रहे हैं, लेकिन अब लालटेन की रोशनी बुझने वाली है.
मुस्लिम समुदाय को भरोसा दिलाते हुए प्रशांत किशोर समझाते हैं, आपके वोट की बड़ी कीमत है… भीड़ का हिस्सा मत बनिए… हम लोग हैं, आपके लिए लड़ेंगे.
और फिर वो बात कहते हैं, जो उनको लगता है सबसे ज्यादा असर हो सकता है, ‘आप अल्लाह को छोड़कर किसी से मत डरिए. आपने इतना सबकुछ देख लिया, बीजेपी, मोदी-योगी का शासन, यूसीसी-एनआरसी देख लिया. अब क्या डरना है?’
---- समाप्त ----