आम चुनाव से कितना अलग होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव, समझें वोटिंग से काउंटिंग तक की प्रक्रिया

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देश के नए उपराष्ट्रपति का फैसला मंगलवार देर शाम तक हो जाएगा. उपराष्ट्रपति पद के लिए मुकाबला एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और 'इंडिया' ब्लॉक के बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच है. संसद भवन में सुबह दस बजे से शाम पाँच बजे तक मतदान होगा और उसके एक घंटे बाद 6 बजे से मतगणना शुरू हो जाएगी.

उपराष्ट्रपति का चुनाव देश के आम चुनाव से काफी अलग होता है. ऐसे में उपराष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग प्रक्रिया से लेकर काउंटिंग तक अलग होती है. उपराष्ट्रपति चुनाव कैसे होता है, कौन लोग वोट डालते हैं और कैसे वोटों की गिनती होती है?

जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे से खाली हुए उपराष्ट्रपति पद के लिए उपचुनाव हो रहे हैं. एनडीए की ओर से सीपी राधाकृष्णन और 'इंडिया' ब्लॉक की तरफ से बी. सुदर्शन रेड्डी मैदान में हैं. मंगलवार को यह तय हो जाएगा कि इन दोनों नेताओं में से कौन देश का नया उपराष्ट्रपति होगा.

उपराष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग प्रक्रिया

उपराष्ट्रपति के लिए संसद के दोनों सदनों के सदस्य वोट देते हैं. राज्यसभा और लोकसभा के सांसद मतदान में हिस्सा लेते हैं. इस तरह उपराष्ट्रपति चुनाव में संसद के सदस्य वोटिंग करते हैं. यह आनुपातिक प्रतिनिधित्व तरीके से होता है और मतदान गुप्त तरीके से 'सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम' के ज़रिए होता है.

सांसद सदस्यों को खुद हाजिर होकर गुप्त वोट करना होता है. मतदान करते समय किसी अन्य सदस्य की सहायता नहीं ले सकते. अगर कोई सांसद निवारक हिरासत (Preventive Detention) में हो, तभी डाक से अपना वोट डाल सकते हैं. मौजूदा चुनाव में शेख अब्दुल रशीद (बारामूला) और अमृतपाल सिंह (खडूर साहिब) पोस्टल बैलेट के लिए पात्र हैं, क्योंकि ये दोनों जेल में हैं.

उपराष्ट्रपति चुनाव बैलेट पेपर के ज़रिए होता है. मतपत्र सफेद रंग के होते हैं, जिसमें दो कॉलम रहते हैं. एक कॉलम में हिंदी और अंग्रेजी में उम्मीदवारों के नाम और दूसरे कॉलम में वोट देने के लिए जगह खाली रहती है. खाली जगह पर वोटरों को अपनी प्राथमिकता 1 या 2 के रूप में संख्या दर्ज करनी होती है. ये हिंदी या अंग्रेजी में हो सकते हैं. पसंद केवल अंकों में ही लिख सकते हैं, शब्दों में नहीं.

उदाहरण के लिए 1 या 2. शब्द में नहीं यानी 'एक' या 'दो' नहीं लिख सकते. अंतरराष्ट्रीय अंक प्रणाली, रोमन या किसी भी भारतीय भाषा में अंक लिखे जा सकते हैं. यह आवश्यक नहीं है कि एक से अधिक पसंद लिखनी हो. इस बार सुबह 10 बजे से शाम पाँच बजे तक संसद के सदस्य संसद भवन जाकर वोट डाल सकते हैं.

उपराष्ट्रपति चुनाव की काउंटिंग प्रक्रिया

उपराष्ट्रपति के वोटिंग के करीब एक घंटे बाद काउंटिंग प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. मतगणना के लिए सबसे पहले सभी बैलेट पेपर की छँटनी की जाएगी. इसमें वैध और अवैध बैलेट पेपर को अलग-अलग किया जाएगा. इसके बाद वैध वोटों की संख्या के हिसाब से कोटा तय होगा. वैध वोटों की संख्या को दो से विभाजित कर उसमें फिर एक जोड़ने पर कोटा आएगा.

उदाहरण के लिए अगर कुल वैध वोट 750 हैं तो कोटा 376 होगा. इस तरह से पहली पसंद के वोट जिस उम्मीदवार को कोटे से अधिक मिलेंगे, वह विजयी घोषित कर दिया जाएगा. अगर पहले राउंड की गिनती में किसी को बहुमत नहीं मिलता तो सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है. उसके वोटों को अगली प्राथमिकता के अनुसार दूसरे उम्मीदवारों को ट्रांसफर किया जाता है. यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है, जब तक किसी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिल जाता.

उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट तब अवैध माने जाते हैं, जब: उम्मीदवार के आगे वरीयता (1) नहीं लिखा हो, एक से ज्यादा उम्मीदवारों के आगे वरीयता 1 लिखी हो, वरीयता संदिग्ध तरीके से लिखी हो, यह पता न चले कि किस कैंडिडेट के लिए है, एक ही कैंडिडेट के आगे अंक 1 या कुछ अन्य नंबर लिख दिए हों, या फिर ऐसा कोई चिह्न बनाया हो जिससे यह पता चलता हो कि किसने वोट डाला है.

डाक मतपत्र पर अगर सदस्य के हस्ताक्षर और उसके साथ सर्टिफिकेट न लगा हो, या सर्टिफिकेट पर जेल या कस्टडी वाली जगह के प्रभारी के हस्ताक्षर न हों, तो भी उसे अवैध करार दे दिया जाता है. इसके अलावा संख्या अंक के बजाय शब्दों में लिख देने पर भी वोट अवैध हो जाता है.

दलबदल कानून लागू नहीं होता

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव किसी पार्टी सिंबल पर नहीं लड़ा जाता. इस कारण कोई भी पार्टी व्हिप जारी नहीं करती है. इसकी वजह से सदस्य अपने मन मुताबिक किसी को भी वोट दे सकते हैं. ऐसे में दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधान इसमें लागू नहीं होते. इसके चलते क्रॉस वोटिंग करने पर सांसद की सदस्यता जाने का किसी तरह का खतरा नहीं होता है. 

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