राजस्थान एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वाड) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए दो ऐसे कुख्यात ठगों को गिरफ्तार किया है, जो बीते आठ साल से पुलिस को चकमा देकर फरारी काट रहे थे. हैरानी की बात यह है कि दोनों ने अपनी पहचान छिपाने के लिए होम्योपैथिक डॉक्टर का रूप धर रखा था और लोगों का फर्जी इलाज कर रहे थे. इसी बहाने एंटी टेररिस्ट स्क्वाड की टीम भी मरीज बनकर फर्जी होम्योपैथिक डॉक्टर बने ठगों तक पहुंची और दोनों शातिर ठगों को दबोच लिया.
करोड़ों रुपये की ठगी कर चुके हैं दोनों सगे भाई
दोनों ठग सगे भाई हैं, जिन्होंने सर्वोदय क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के नाम पर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की थी. जबकि इससे पहले दोनों ठगों का महाठग पिता भी पकड़ा जा चुका है. लोगों को दुगुना पैसा करने का झांसा देकर करोड़ों रुपए हड़पने वाले इन ठगों को पकड़ने के लिए एटीएस ने इस ऑपरेशन को “डेविल लॉयन” और “टंडन” नाम दिया था.
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गिरफ्तार आरोपी फर्जी डॉक्टर बनकर लोगों का इलाज करते थे और भरोसा जीतते थे. साथ ही भोली-भाली जनता से निवेश और इलाज के नाम पर लाखों वसूलते रहे थे. दोनों आरोपियों पर 30 से ज़्यादा मुकदमों में वांछित थे, जिन पर 50 हज़ार का इनाम घोषित था. पिछले कई सालों से राजस्थान ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों में भी ठगी के नेटवर्क फैला रखे थे.
मरीज बनकर पहुंची थी एटीएस की टीम
एटीएस आईजी विकास कुमार ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी शैलेंद्र सिंह और उसका भाई ऋषिराज है. जो मूल रूप से बाड़मेर के गिरवा गांव के रहने वाले हैं. सिरोही की PWD कॉलोनी में भी उनका मकान है, जहां ये परिवार सहित रहते थे. करोड़ों रुपए की ठगी के बाद दोनों भाई पुलिस से बचने के लिए जयपुर के झोटवाड़ा में आकर रहने लगे. यहां अपनी पहचान छुपाकर एमडी रेजीडेंसी में ठिकाना बना लिया.
आरोपी शैलेंद्र सिंह ने खुद को होम्योपैथिक डॉक्टर बताकर पहचान बनाई, जो मेडिकल कैंपों में भी जाता था, ताकि शक न हो. एटीएस हवाला कारोबार और टेरर फंडिंग की संभावना को लेकर निगरानी कर रही थी. इसी दौरान झोटवाड़ा कनेक्शन सामने आया और जांच में होम्योपैथिक डॉक्टर शैलेंद्र का नाम जुड़ा. पड़ताल में पता चला कि शैलेंद्र सिंह सर्वोदय क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले का मुख्य सूत्रधार है. जिसके बाद टीम ने 4-5 दिन इलाके में घूमकर आरोपियों की गतिविधियों पर नज़र रखी और मरीज बनकर संपर्क किया. फिर गिरफ्तार कर लिया.
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