इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ में सोमवार (8 सितंबर) को जाने माने स्प्रिंटर विशाल टीके और बॉक्सर कलाइवानी श्रीनिवासन ने भाग लिया. विशाल टीके के नाम पर मेन्स 400 मीटर में नेशनल रिकॉर्ड दर्ज है. विशाल ने हाल ही में चेन्नई में आयोजित इंटर स्टेट सीनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2025 में 45.12 सेकंड का समय निकालकर 400 मीटर की रेस पूरी की थी. विशाल ने मुहम्मद अनस याहिया के 2019 में बनाए रिकॉर्ड (45.21 सेकंड) को तोड़ छोड़ दिया था.
विशाल टीके का मानना है कि देश में खेलों के प्रचार-प्रसार में स्कूलों की बड़ी भूमिका होनी चाहिए. इस धावक ने कहा कि भारत में खेलों की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन माता-पिता बच्चों को खेलों में भेजने से डरते हैं. हालिया समय में अनिमेष कुजूर, अविनाश साबले, गुलवीर सिंह, पारुल चौधरी जैसे एथलीट्स ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है.
विशाल टीके ने कहा, 'कोविड-19 के दौरान मैंने अपने करियर पर सवाल उठाए थे और काफी दुविधा में था. तब मेरी मां ने मेरा साथ दिया. मैं सोचता था कि क्या दौड़ने से अपना फ्यूचर बना सकूंगा. तब मैंने सोचा कि मुझे नए-नए प्रयोग करने होंगे और खुद को पुश करना होगा. अब मैं अपनी यात्रा का आनंद ले रहा हूं.'
स्पोर्ट्स को पढ़ाई के बराबर दर्जा मिले: विशाल टीके
विशाल टीके का मानना है कि भारत में खेलों को पढ़ाई के बराबर सम्मान मिलना चाहिए. उन्होंने कहा, 'आज भी सोच यही है कि पढ़ाई बेहतर है और खेल सिर्फ एक शौक है. बच्चों और माता-पिता को यह भरोसा दिलाना होगा कि खेलों में भी करियर बन सकता है. यह बढ़ावा देना चाहिए कि आप खेलों में भी अपना करियर बना सकते हैं.'
साल 2024 से विशाल टीके ने 400 मीटर में दौड़ना शुरू किया था. उससे पहले वे 100 और 200 मीटर के धावक थे. विशाल लगातार 46 सेकंड से कम का समय निकाल रहे हैं. उनसे भविष्य में और बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है. वह इस समय जमैका के कोच जेसन डॉसन से ट्रेनिंग ले रहे हैं.
बॉक्सर कलाइवानी श्रीनिवासन ने भी अपनी जिंदगी के सफर को साझा किया. कलाइवानी श्रीनिवासन ने बताया कि शुरुआत में उनको परिवार से उतना सपोर्ट मिला, जो उनके बॉक्सिंग करियर के खिलाफ थे, लेकिन जैसे ही उन्होंने पदक जीतना शुरू किया, सबका रवैया बदल गया.

कलाइवानी श्रीनिवासन ने कहा, 'मेरे रिश्तेदार और पड़ोसी मुझे सपोर्ट नहीं करते थे. वे कहते थे कि मुझे चोट लग जाएगी, कट्स लग जाएगा और शादी कैसे होगी. लेकिन जैसे ही मैंने मेडल जीतना शुरू किया, सबका सपोर्ट मिलना शुरू हो गया.' कलाइवानी की बॉक्सिंग जर्नी हिम्मत, मेहनत और समाज की परंपरागत सोच को चुनौती देने वाली है.
कलाइवानी श्रीनिवासन ने बताया, 'शुरुआत में मैंने शौक के लिए बॉक्सिंग शुरू की थी. जैसे कोई बच्चा नया खेल ट्राई करता है, उसी तरह. लेकिन क्लास-7 में पढ़ाई के दौरान जब मैंने अपना पहला नेशनल गोल्ड मेडल जीता, तभी बॉक्सिंग को गंभीरता से लेना शुरू किया. मैंने सोचा कि मुझे जीतना है और बड़ा करना है.'
कलाइवानी के पिता और भाई रह चुके बॉक्सर
25 नवंबर 1999 को जन्मीं कलाइवानी श्रीनिवासन बॉक्सिंग बैकग्राउंड से आती हैं. उनके पिता एम. श्रीनिवासन शौकिया बॉक्सर थे और उनके भाई रंजीत नेशनल लेवल पर खेले, पिता और भाई को ट्रेनिंग करते देखकर कलाइवानी की बॉक्सिंग में रुचि जगी. उनकी मेहनत ने जल्द ही रंग दिखाया. साल 2019 में, उन्होंने विजयनगर में आयोजित सीनियर नेशनल बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीता. उसी साल, उन्होंने नेपाल के काठमांडू में साउथ एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया.
कलाइवानी श्रीनिवासन ने कहा, 'जब मैंने साउथ एशियन गेम्स 2019 में गोल्ड जीता और राष्ट्रगान बजा, तो मैं काफी गर्व महसूस कर रही थी. उस पल ने मुझे विश्वास दिलाया कि मैं बॉक्सिंग में और भी बेहतर कर सकती हूं.'
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